Tuesday 24 October 2017

Dharamshala - Mcleodganj

धर्मशाला - मैक्लोडगंज 

बैजनाथ मंदिर में पुनः दर्शन के बाद हम लोग नाश्ते की तलाश में मार्किट की तरफ़ गए लेकिन अभी तक यहाँ की मार्किट नही खुली थी इसलिए यहाँ से बिना नाश्ता किये ही धर्मशाला की तरफ चल दिये । धर्मशाला के लिए हमें पालमपुर होते हुए चामुंडा देवी तक जाना था जहाँ से धर्मशाला का रास्ता अलग हो जाता है । यानि कल रात हम जिस रास्ते से आये थे उसी रास्ते से हमें चामुंडा देवी तक वापिस जाकर  , वहां से कांगड़ा जाने वाले मार्ग को छोड़ कर धर्मशाला जाने वाली सड़क पर जाना था । बैजनाथ से चामुंडा देवी की दूरी 22 किलोमीटर है और सारा रास्ता पहाड़ी ही है। इस पूरे रास्ते मे धौलाधार के शानदार नज़ारे देखने को मिलते हैं । मशहूर हिल स्टेशन पालमपुर लगभग मध्य में पड़ता है। पालमपुर अपने चाय के बागानों के लिए मशहूर है । पालमपुर में हम सबने एक चाय के बागान से हरी पत्तियों की चाय खरीदी ।

Thursday 12 October 2017

Baijnath Temple -Himachal Pardesh

बैजनाथ मंदिर- हिमाचल प्रदेश
माँ चामुंडा देवी के दर्शन के बाद मंदिर परिसर से बाहर आकर पहले सबने चाय पी । सुबह नाश्ते के बाद से हमने अभी तक चाय नही पी थी इसलिए चाय की तलब भी हो हो रही थी । चाय पीने के बाद पार्किंग से गाड़ी निकाल कर बैजनाथ की ओर चल दिए । अब तक साढ़े पांच बज चुके थे औऱ हल्का अंधेरा होने लगा था । चामुंडा से बैजनाथ तक सारा रास्ता पहाड़ी ही है और  मशहूर हिल स्टेशन पालमपुर से होकर जाता है । पालमपुर अपने चाय के बागानों के लिए मशहूर है । इस पूरे रास्ते मे धौलाधार के शानदार नज़ारे देखने को मिलते हैं । अब चूँकि अंधेरा हो चुका था इसलिए इस समय हम बर्फ़ीली चोटियाँ नही देख पा रहे थे ।


Friday 29 September 2017

Mata Chintpurni Temple

माता चिन्तपूर्णी मंदिर- छिन्नमस्तिका देवी (Mata Chintpurni Temple)

बगुलामुखी मंदिर में दर्शन के बाद हम सीधा माता चिंतपूर्णी के मंदिर की ओर चल दिये । माता चिंतपूर्णी का मंदिर यहाँ से लगभग 35 किलोमीटर दूर है ।यही रोड आगे मुबारकपुर ,अम्ब होते हुए ऊना  और नंगल की तरफ चली जाती है । बगुलामुखी से चिंतपूर्णी जाते हुए रास्ते में ब्यास नदी भी मिलती है लेकिन उस समय सर्दी होने के कारण ब्यास नदी में पानी काफी कम था । ब्यास नदी का पुल लगभग मध्य में पड़ता है यानि इस पुल से बगलामुखी और माता चिंतपूर्णी के मंदिर लगभग बराबर दुरी पर ही होंगे ।

मन्दिर का गर्भ गृह 

Tuesday 26 September 2017

Mata Chamunda Devi

चामुंडा देवी मंदिर (Mata Chamunda Devi Temple)

बृजेश्वरी देवी, काँगड़ा में दर्शन के बाद हम चामुंडा देवी मंदिर की ओर चल दिए । काँगड़ा से चामुण्डा देवी का मंदिर लगभग 25 किलोमीटर दूर है । सड़क अच्छी बनी है ,ट्रैफिक भी कम था तो गाड़ी तेजी से भागी जा रही थी । काँगड़ा से आगे चलने पर धौलाधार पर्वत माला दिखनी शुरू हो गयी और इसकी बर्फ से ढकी ऊँची चोटियाँ काफी मनोरम दृश्य पैदा कर रही थी।, हरि भरी वादियाँ और कल कल बहते झरने हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे । बीच में दो या तीन जगह पठानकोट –जोगिन्दर नगर रेल मार्ग की छोटी लाइन भी मिलती है । कुल मिला कर इस यात्रा मार्ग में अनेंक मनमोहक दृश्य हैं , पहाडी सौन्दर्य का लुफ्त उठाते हुए हमें समय का मालूम ही नहीं चला और हम चामुण्डा देवी पहुंच गए ।

Monday 25 September 2017

Mata Brijeshwari Devi Temple-Kangra

माँ बृजेश्वरी देवी - नगरकोट वाली माता (Mata Brijeshwari Devi Temple)

ज्वाला जी में माता के दर्शन के बाद हमने बिना समय गवाएं, जल्दी से पार्किंग से गाड़ी निकाली और काँगड़ा की तरफ़ चल दिए जहाँ हमने बृजेश्वरी देवी यानि काँगडे वाली माता के दर्शन करने थे । काँगड़ा यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है, मात्र 35 किलोमीटर ही है। काँगड़ा तक सड़क भी अच्छी बनी है इसलिए हम लगभग एक घंटे से भी कम समय में वहां पहुँच गए। मंदिर के आसपास कहीं पार्किंग नज़र नहीं आई तो एक सामने ही एक गली में गाड़ी साइड में लगा दी, मतलब पचास रूपये बचा लिये। मंदिर जाने के लिये गलियों से गुज़र कर जाना पड़ता है । मुख्य सड़क से मंदिर दिखायी भी नहीं देता सिर्फ़ एक छोटा सा गेट बना है और सारा रास्ता तंग गलियों से होकर है । मंदिर तक पहुंचना एक भूल भुलैया जैसा ही है ।


Saturday 23 September 2017

Maan Jwala ji Temple

ज्वालामुखी देवी (Jwala Devi Temple )

नैना देवी मंदिर में दर्शन के बाद बाहर आकर पार्किंग की तरफ चल दिए और वहीँ एक भोजनालय में अमृतसर के मशहूर छोले कुलचे खाए और फिर चाय पीकर आगे के सफ़र के लिये निकल लिये । यहीं से एक सड़क सीधे भाखड़ा बांध होते हुए नंगल-उना की तरफ चली जाती है । जब यहाँ से चलने लगे तब  स्वर्ण ने कहा कि मुझे बाबा बालक नाथ के मंदिर जाना है वो इधर कहीं पास ही है , गूगल पर चेक किया तब मालूम हुआ की वो स्थान यहाँ से लगभग 100 किमी दूर है लेकिन जिस रास्ते से हमें जाना है उससे केवल 16 किमी हटकर है । हमने सर्वमत से सबसे पहले वहीँ चलने का फ़ैसला किया । वैसे तो इन दोनों स्थानों में एरियल दुरी 20 किमी ही होगी लेकिन बीच में गोविंग सागर झील पड़ने से इसके किनारे –किनारे घूम कर आने से बहुत दूर पड़ता है । यहाँ से हमने अपनी गाड़ी नंगल-उना वाली सड़क पर दौड़ा दी और भाखड़ा बांध के आगे से होते हुए उना-हमीरपुर रोड पर पहुँच गए । इसी मार्ग पर बडसर नमक जगह से बाबा बालक नाथ के मंदिर का रास्ता अलग हो जाता है। इस जगह से मंदिर 16 किमी दूर है। इस यात्रा का जिक्र कभी बाद में करेंगे आज सिर्फ़ ज्वाला माता के मंदिर ही चलते हैं ।

माँ ज्वाला जी मंदिर

Friday 22 September 2017

Maa Naina Devi Temple

नैना देवी मंदिर Temple
हिमाचल में पाँच देवियों की यात्रा , एक काफी प्रसिद्ध यात्रा सर्किट है । माँ नैना देवी से शुरू होकर ,माँ चिंतपूर्णी ,माँ ज्वाला जी, कांगडे वाली माता (बृजेश्वरी देवी) और माता चामुण्डा देवी । बहुत से टूर ओपेरटर भी इन देवियों के एक साथ दर्शन के लिये बस द्वारा यात्रा आयोजित करते रहते हैं। अम्बाला से तीन दिन में इन सभी स्थानों पर जाकर वापिस आया जा सकता है।

Thursday 21 September 2017

Mansa Devi Yatra -Panchkula

माता मनसा देवी मंदिर ,पंचकुला

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके  शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते 

शिवालिक पर्वत माला की गोद में बसी माता मनसा देवी पर जाने का मुझे कई बार सौभाग्य मिला है । यहाँ परिवार के साथ ,दोस्तों के साथ और अकेले भी कई बार जा चूका हूँ । आज से 16 -17 वर्ष पहले मैं चंडीगढ़ में प्राइवेट जॉब करता था तो जब भी काम से जल्दी फ्री हो जाते तो शाम को अम्बाला की ट्रेन पकड़ने से पहले कई बार जल्दी से माता मनसा देवी के मंदिर में चले जाते थे । इस मंदिर की दूर दूर तक काफी मान्यता है और रविवार के दिन तो यहाँ काफी भीड़ हो जाती है ।

माता मनसा देवी 

Monday 11 September 2017

Kedarnath Jyotirling Yatra-2011

 केदारनाथ यात्रा- 2011

मैं आज आपको अपने साथ भोले नाथ के धाम केदारनाथ लेकर चलूँगा । केदारनाथ - भोले बाबा के 12 ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारवें क्रमांक पर है लेकिन यात्रा में सबसे कठिन है । जहाँ बाकि सभी ज्योतिर्लिंग मैदानी इलाकों में हैं और यहाँ केदारनाथ में 14 किलोमीटर की ख़तरनाक चढ़ायी . (2013 की आपदा के बाद ये अब 2-3 किमी और बढ़ गयी है ). मैंने 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सिलसिला सबसे पहले सबसे कठिन से ही शुरू करने का फ़ैसला लिया .

जून-2011 में केदारनाथ ,बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिये  एक तवेरा गाड़ी 1 +8 सिटर बुक कर ली । हमने जून का महीना इसलिए चुना था क्योकि इन दिनों पहाडॊं में बारिश की संभावना बहुत कम होती है और भूस्खलन का खतरा भी ।


Thursday 7 September 2017

Omkareshwar-Mamleshwar Jyotirling darshan

ओंकारेश्वर- ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग  दर्शन
पिछले भाग से आगे

अगले दिन सुबह जल्दी उठकर हम संक्रांति स्नान के लिए आश्रम के सामने वाले नरसिंह घाट पर चले गए। इस बार राम घाट पर नहीं गए क्योंकि राम घाट दूर भी था और वहां भीड़ भी ज्यादा मिलनी थी। स्नान करने के बाद वापिस आश्रम आए और नाश्ता करने के बाद इंदौर जाने की तैयारी करने लगे।

ओम्कारेश्वर मन्दिर

Thursday 31 August 2017

Simhastha Kumbh Ujjain

उज्जैन कुम्भ यात्रा
पिछले वर्ष मेरा अपने बचपन के दो दोस्तों -सुशील और स्वर्ण , के साथ उज्जैन कुम्भ जाने का प्रोग्राम बना । प्रोग्राम कुछ इस तरह बनाया ताकि संक्रांति के मुख्य स्नान पर हम वहीँ हों ।उसी के अनुसार आने जाने की टिकेट बुक करवा दी गयी । हमारा प्रोग्राम कुछ इस तरह से था ।
13 मई की रात को अम्बाला से चलकर 14 दोपहर तक उज्जैन पहुँचना ।
14 मई शाम को कुम्भ स्नान और महाकाल दर्शन उपरांत उज्जैन भ्रमण और रात्रि विश्राम ।
15 मई सुबह संक्रांति के मुख्य स्नान के बाद इंदौर होते हुए ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिये जाना और रात्रि विश्राम इंदौर में करना ।
16 मई दोपहर को इंदौर से अम्बाला के लिये वापसी ।


Tuesday 22 August 2017

Amarnath Yatra :Holy Cave to Baltal base camp

अमरनाथ यात्रा  ( Amarnath Yatra )

भाग 6 : पवित्र गुफा से बालताल

पिछले भाग से आगे :
गुफा से बाहर निकल कर भोले नाथ से अगले वर्ष फिर बुलाने की प्रार्थना करता हुआ मैं सीडियां उतरने लगा। चन्दन मेरे साथ ही था। जूताघर पहुंचकर वहां से हमने अपने जूते लिए । नीचे उतर कर एक लंगर से बेसन का एक पुड़ा मीठी चटनी के साथ खाया और फ़िर एक कटोरी खीर। खाना खाकर ऊपर से गरम चाय पी और फिर से तरोताजा हो वापसी शुरू कर दी। थोड़ी दूर चलने के बाद हमें बाकि के चारों साथी भी मिल गए । वे अभी स्नान करने की तैयारी में थे और गर्म पानी मिलने का इंतजार कर रहे थे । हम उन्हें दोमेल में गिरी जी महाराज के लंगर में मिलने का तय करके अपनी वापसी यात्रा पर चल दिए । देवेंदर और पाठक जी पहले ही घोड़ों से बालताल की और जा चुके थे । यहाँ मैं यह बताना चाहूँगा की गिरी जी महाराज को अमरनाथ यात्रा पर लगने वाले लंगरों का जनक कहा जाता है । सबसे पहले यहाँ केवल उनका ही लंगर हुआ करता था । धीरे -2 लंगर लगाने वालों की संख्या बढने लगी ,1996 की त्रादसी के बाद तो इनमे काफी तेज़ी आई। एक बात और अमरनाथ यात्रा में सभी जगह लगने वाले भंडारों में सिर्फ़ गिरी जी महाराज का लंगर स्थल का निर्माण ही स्थायी है । 


Tuesday 8 August 2017

Amarnath Yatra : Panchtarni to Holy Cave


अमरनाथ यात्रा ( Amarnath Yatra )

भाग 5 : पंचतरणी से पवित्र गुफा 


पिछले भाग से आगे :

अगली सुबह सभी जल्दी ही उठ गए और दैनिक दिनचर्या से निर्वित हो आगे के सफर के लिये निकल गए । आज भी देवेंदर और शान्तनु दादा ने शुरू से ही घोड़े कर लिये । चन्दन को भी उन्ही के साथ घोड़े पर भेज दिया।पंचतरणी से पवित्र गुफा की दुरी 6 किमी है । शुरू में एक- ढेड़ किलोमीटर रास्ता तो पंचतरणी नदी के साथ-साथ ही है, उसके बाद लगभग ढेड़ किलोमीटर ख़डी चढ़ाई है । 3660 मीटर से 3950 मीटर तक । ये चढ़ाई संगम पर जाकर ख़त्म होती है, जहाँ संगम घाटी से होते हुए, बालताल से आने वाला मार्ग इसमें मिल जाता है । संगम से आगे लगातार बेहद हलकी उतराई है जिसमे से अधिकतर रास्ता ग्लेशियर के ऊपर से है जिसके नीचे से अमरावती नदी बहती रहती है ।
पवित्र गुफा

Tuesday 1 August 2017

Amarnath Yatra : Sheshnag to Panchtarni

अमरनाथ यात्रा  ( Amarnath Yatra )

भाग 4 : शेषनाग से पंचतरणी

पिछले भाग से आगे :

अगले सुबह सभी 6 बजे से पहले ही उठ चुके थे लेकिन ठण्ड काफी होने के कारण बिस्तर में ही दुबके हुए थे । धीरे -2 एक- एक करके सभी दैनिक दिनचर्या से निर्वित होने लगे । मैं भी अपना कैमरा लेकर पीछे की तरफ बर्फ से लदी पहाड़ी की सूर्योदय के समय तस्वीरें लेने के लिये बाहर आ गया लेकिन चोटी पर तो पहले से ही काफ़ी धुप आ चुकी थी । जिस दृश्य की उम्मीद थी वो तो कब का जा चूका था । खैर कुछ फोटो लेकर मैं भी वापिस टेंट में आ गया और चलने की तैयारी करने लगा । चन्दन से उसका हाल-चाल पूछा, कल से बेहतर था लेकिन मुझे आशंका थी कि उसकी तबियत आज भी ख़राब हो सकती है क्योंकि आज हमें ज्यादा ऊँचाई से होकर जाना था।

ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश 

Thursday 27 July 2017

Amarnath Yatra- Part 3: Pahalgam to Sheshnag

अमरनाथ यात्रा  ( Amarnath Yatra )
भाग 3 : पहलगाम से शेषनाग
पिछले भाग से आगे :

सुबह 6 बजे से पहले ही सब उठ चुके थे । दैनिक दिनचर्या से निर्वित हो सभी नाश्ते के लिए लंगर पर चले गए । हालांकि वहां 7-8 लंगर थे लेकिन सब पर काफी भीड़ थी । उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत के व्यंजन उपलब्ध थे । कुछ देर बाद सभी नाश्ता करके आ गए और यात्रा के लिए तैयार हो गए तब तक कैम्प के गेट खुल चुके थे ।सभी के पंजीकरण चेक करने के बाद ही जाने दिया जा रहा था । कैम्प  से बाहर निकलकर बाहर से चंदनवाड़ी के लिए लोकल गाड़ियाँ मिलती है । चंदनवाडी यहाँ से 16 किमी दूर है और वहां तक अच्छी सड़क बनी है । रास्तेमें ही बेताब वैली है जो पहलगाम का एक फेमस पर्यटन स्थल है ।
शेषनाग झील

Thursday 20 July 2017

Amarnath Yatra : Jammu to Pahalgam Base Camp

अमरनाथ यात्रा - ( Amarnath Yatra )
Jammu to Pahalgam Base Camp - जम्मू से पहलगाम 
पहला भाग पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें

हमने इस यात्रा के लिए अम्बाला से ही एक टवेरा बुक कर ली थी । हम कुल छह लोग थे । मेरे साथ मेरा भतीजा चिरंजीव @चन्दन ,एक मेरे सहकर्मी सुखविन्दर , तीन मेरे दोस्त शुशील मल्होत्रा ,स्वर्ण और देवेंद्र थे। इनमे से चन्दन और सुखविन्दर की यह पहली यात्रा थी , बाकि सब लोग पहले भी कई बार जा चुके थे । तय दिन हमें अम्बाला से निकलते -निकलते सुबह के 9 बज गए । सारा सामान छत पर बांध कर हम लोग यात्रा के लिए रवाना हो गए । पहला विश्राम जालंधर में लिया जो अम्बाला से लगभग 200 किलोमीटर है । वहां शुशील के मामा जी की छोले भटूरे की दुकान है । हम जब भी गाड़ी से जाएँ तो यहाँ जरूर रुकते हैं । यहाँ रूककर सबने छोले भटूरे और छोले चावल खाये । खाना खाने के बाद सबने चाय पी फिर उनसे विदा लेकर आगे की यात्रा जारी रखी । यहाँ हमें लगभग एक घंटा लग गया ।


Friday 14 July 2017

Amarnath Yatra - General information and instructions for the Yatra

अमरनाथ यात्रा -Amarnath Yatra

वैसे तो मैं पहले भी दो बार अपने ब्लॉग पर अमरनाथ यात्रा के बारे में लिख चूका हूँ –पहली बालताल रूट से (Baltal),दूसरी बार पहलगाम रूट से (Chandanwari) ,लेकिन दोनों बार इस अंग्रेजी में ही लिखा। बहुत से मित्रों की ख़वाहिश है की मैं इसे एक बार फिर से लेकिन हिंदी मैं लिखूं । इसलिये फिर से अमरनाथ यात्रा को लेकर हाज़िर हूँ । इस वर्ष भी ,अभी एक सप्ताह पहले ही बालताल रूट से अमरनाथ यात्रा करके आया हूँ लेकिन मेरे इस लेख का आधार पिछली बार की गयी यात्रा रहेगी जिसमे दोनों रूट कवर हुए थे यानि हमने पहलगाम से शुरू कर बालताल पर समाप्त किया था। यात्रा विवरण से पहले मैं इस यात्रा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साँझा करना चाहूँगा ।

अमरनाथ गुफ़ा  

Sunday 14 May 2017

वो सुबह कभी न आएगी


अभी तक मैंने यात्रा वृतांत ही लिखे हैं लेकिन आज कुछ हटकर लिख रहा हूँ । अपनी माँ के साथ बिताये पलों और ख़ासकर माँ के साथ बिताये अंतिम क्षणों को लेखनी की सहायता से कहना चाह रहा हूँ।

माँ भगवान से भी बढ़कर है क्यूंकि भगवान तो हमारे नसीब में सुख और दुख दोनो देकर भेजते हैं, लेकिन  हमारी माँ हमें सिर्फ़ और सिर्फ़ सुख ही देना चाहती है। माँ त्याग, बलिदान, क्षमा, धैर्य, ममता की प्रतिमूर्ति होती है । वैसे तो नारी के कई रूप हैं जैसे माँ, बहन, बेटी, बहु एवं सास लेकिन माँ का रूप ही सबसे बड़ा माना जाता है । ये बातें तो सभी जानते हैं और बहुत से मानते भी हैं तो मैं सीधा अपनी बात पर आता हूँ ।

मई 2010: माँ पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थी । हार्ट की प्रॉब्लम थी । डाक्टरों के अनुसार दिल के एक वाल्व में जन्म से ही छेद था । पहले समस्या कम थी ,कभी कभी परेशानी होती थी , दवाई लेने से ठीक हो जाती थी लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती गयी बीमारी भी बढती गयी । दवाई और परहेज दिनचर्या का हिस्सा बन गये । एक बार हार्ट अटैक भी आया ,तबियत ज्यादा ख़राब हुई तो माँ एक सप्ताह हस्पताल में दाखिल भी रही। अब डाक्टर ऑपरेशन के लिये कहने लगे लेकिन माँ ऑपरेशन के नाम से ही डरती थी । एकदम मना कर देती। हमारे कहने-समझाने पर भी न मानती ।

Tuesday 18 April 2017

BIKE TRIP: Chopta-Tungnath-Deoria Tal :Part 5

चोपता, तुंगनाथ, देवरिया ताल यात्रा- 5

यात्रा तिथि -04/05 अक्टूबर 2015

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा की हम लोग सुबह 9 बजे देवरिया ताल के लिये चले थे और लगभग दोपहर 12:30 बजे सारी गाँव वापिस आ गए । सारी गाँव पहुंचकर हमने अपनी अपनी बाइक उठाई, सामान लिया और उखीमठ की तरह चल दिए । मस्तुरा गाँव के पास एक दुकान पर रुककर चाय पी। चोपता जाते हुए भी इसी दुकान पर रुके थे। थोड़ा ब्रेक लेने के बाद फिर से उखीमठ की तरफ हमारी बाइक भागने लगी । सारा रास्ता तीखी ढलान वाला है तो बिना स्टार्ट करे ही बाइक सरपट भाग रही थी । उखीमठ से आगे कुंड तक ऐसे ही चला ।वहां आकर उतराई ख़तम हो जाती है और लगभग प्लेन रास्ता आ जाता है । कुंड से थोड़ा पहले ही बाइक फ़िर से स्टार्ट कर ली।

रुद्रप्रयाग -अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल

Friday 7 April 2017

BIKE TRIP: Chopta-Tungnath-Deoria Tal :Part 4 (Deoria Tal )

चोपता, तुंगनाथ, देवरिया ताल यात्रा-4 ( देवरिया ताल )
यात्रा तिथि -04 अक्टूबर 2015

अगली सुबह जल्दी ही मेरी आँख खुल गयी । समय देखा अभी 6 भी नहीं बजे थे । मैं जब भी घर से बाहर होता हूँ मेरी नींद हमेशा जल्दी खुल जाती है । साथी अभी सो रहा था और मैं उठकर बाहर आ गया । बाहर अभी हल्का अँधेरा था, थोड़ी देर कमरे के बाहर टहलता रहा । बाहर काफी ठण्ड थी । अन्दर कमरे में आया और जैकेट पहन कर ऊपर सड़क पर आ गया । अभी ढाबे भी बंद थे ,थोड़ी दूर सड़क पर टहलने निकल गया । कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिले । मोनाल (उत्तराखंड का राजकीय पक्षी ) और कई अन्य दुसरे खूबसूरत पक्षी आसपास  दिखे, पर अफ़सोस मेरे पास न कैमरा था न फ़ोन । कोई फोटो न खींच पाया ।

Saturday 1 April 2017

BIKE TRIP -Chopta Tungnath -Deoria Tal- 3rd Part (Tungnath )


चोपता, तुंगनाथ, देवरिया ताल यात्रा-3 (चोपता तुंगनाथ –चोपता )
यात्रा तिथि -03 अक्टूबर 2015

चोपता पंहुच कर एक ढाबे वाले से कमरा पता किया । ढाबे के नीचे की तरफ 2 कमरे बने थे और अभी दोनों खाली थे । एक कमरा हमने 400 रूपये में ले लिया । ढाबे वाले ने बताया कि कल यहाँ बहुत भीड़ थी और रहने के लिए जगह कम पड़ गयी थी और किराया भी डबल था । खैर हम अपना सामान कमरे में रखकर बिना देर किये तुंगनाथ की और चल दिए । हमें चंद्रशिला भी जाना था तो इसलिए फ़िलहाल आराम करने का विचार त्याग दिया ।

सुन्दर बुग्याल

Thursday 23 March 2017

BIKE TRIP- Chopta,Tungnath and Deoria Tal- 2nd Part

चोपता, तुंगनाथ, देवरिया ताल यात्रा-2 (देवप्रयाग से चोपता )
यात्रा तिथि -03 अक्टूबर 2015 

देवप्रयाग में जिस गेस्ट हाउस में हम ठहरे थे वो संगम के ठीक ऊपर काफी ऊंचाई पर बना हुआ है । रात को तो अँधेरा हो जाने के कारण हम यहाँ से संगम देख नहीं पाए थे। । सुबह उठकर जब बाहर निकल कर देखा वहीँ से संगम दिख रहा था। अलकनंदा और भागीरथी ,दोनों नदियों काफी शोर करते हुए बह रही थी । मंद मंद बहती शीतल हवा के बीच आसपास का नज़ारा बेहद हसीं लग रहा था ।