Friday 29 September 2017

Mata Chintpurni Temple

माता चिन्तपूर्णी मंदिर- छिन्नमस्तिका देवी (Mata Chintpurni Temple)

बगुलामुखी मंदिर में दर्शन के बाद हम सीधा माता चिंतपूर्णी के मंदिर की ओर चल दिये । माता चिंतपूर्णी का मंदिर यहाँ से लगभग 35 किलोमीटर दूर है ।यही रोड आगे मुबारकपुर ,अम्ब होते हुए ऊना  और नंगल की तरफ चली जाती है । बगुलामुखी से चिंतपूर्णी जाते हुए रास्ते में ब्यास नदी भी मिलती है लेकिन उस समय सर्दी होने के कारण ब्यास नदी में पानी काफी कम था । ब्यास नदी का पुल लगभग मध्य में पड़ता है यानि इस पुल से बगलामुखी और माता चिंतपूर्णी के मंदिर लगभग बराबर दुरी पर ही होंगे ।

मन्दिर का गर्भ गृह 

Tuesday 26 September 2017

Mata Chamunda Devi

चामुंडा देवी मंदिर (Mata Chamunda Devi Temple)

बृजेश्वरी देवी, काँगड़ा में दर्शन के बाद हम चामुंडा देवी मंदिर की ओर चल दिए । काँगड़ा से चामुण्डा देवी का मंदिर लगभग 25 किलोमीटर दूर है । सड़क अच्छी बनी है ,ट्रैफिक भी कम था तो गाड़ी तेजी से भागी जा रही थी । काँगड़ा से आगे चलने पर धौलाधार पर्वत माला दिखनी शुरू हो गयी और इसकी बर्फ से ढकी ऊँची चोटियाँ काफी मनोरम दृश्य पैदा कर रही थी।, हरि भरी वादियाँ और कल कल बहते झरने हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे । बीच में दो या तीन जगह पठानकोट –जोगिन्दर नगर रेल मार्ग की छोटी लाइन भी मिलती है । कुल मिला कर इस यात्रा मार्ग में अनेंक मनमोहक दृश्य हैं , पहाडी सौन्दर्य का लुफ्त उठाते हुए हमें समय का मालूम ही नहीं चला और हम चामुण्डा देवी पहुंच गए ।

Monday 25 September 2017

Mata Brijeshwari Devi Temple-Kangra

माँ बृजेश्वरी देवी - नगरकोट वाली माता (Mata Brijeshwari Devi Temple)

ज्वाला जी में माता के दर्शन के बाद हमने बिना समय गवाएं, जल्दी से पार्किंग से गाड़ी निकाली और काँगड़ा की तरफ़ चल दिए जहाँ हमने बृजेश्वरी देवी यानि काँगडे वाली माता के दर्शन करने थे । काँगड़ा यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है, मात्र 35 किलोमीटर ही है। काँगड़ा तक सड़क भी अच्छी बनी है इसलिए हम लगभग एक घंटे से भी कम समय में वहां पहुँच गए। मंदिर के आसपास कहीं पार्किंग नज़र नहीं आई तो एक सामने ही एक गली में गाड़ी साइड में लगा दी, मतलब पचास रूपये बचा लिये। मंदिर जाने के लिये गलियों से गुज़र कर जाना पड़ता है । मुख्य सड़क से मंदिर दिखायी भी नहीं देता सिर्फ़ एक छोटा सा गेट बना है और सारा रास्ता तंग गलियों से होकर है । मंदिर तक पहुंचना एक भूल भुलैया जैसा ही है ।


Saturday 23 September 2017

Maan Jwala ji Temple

ज्वालामुखी देवी (Jwala Devi Temple )

नैना देवी मंदिर में दर्शन के बाद बाहर आकर पार्किंग की तरफ चल दिए और वहीँ एक भोजनालय में अमृतसर के मशहूर छोले कुलचे खाए और फिर चाय पीकर आगे के सफ़र के लिये निकल लिये । यहीं से एक सड़क सीधे भाखड़ा बांध होते हुए नंगल-उना की तरफ चली जाती है । जब यहाँ से चलने लगे तब  स्वर्ण ने कहा कि मुझे बाबा बालक नाथ के मंदिर जाना है वो इधर कहीं पास ही है , गूगल पर चेक किया तब मालूम हुआ की वो स्थान यहाँ से लगभग 100 किमी दूर है लेकिन जिस रास्ते से हमें जाना है उससे केवल 16 किमी हटकर है । हमने सर्वमत से सबसे पहले वहीँ चलने का फ़ैसला किया । वैसे तो इन दोनों स्थानों में एरियल दुरी 20 किमी ही होगी लेकिन बीच में गोविंग सागर झील पड़ने से इसके किनारे –किनारे घूम कर आने से बहुत दूर पड़ता है । यहाँ से हमने अपनी गाड़ी नंगल-उना वाली सड़क पर दौड़ा दी और भाखड़ा बांध के आगे से होते हुए उना-हमीरपुर रोड पर पहुँच गए । इसी मार्ग पर बडसर नमक जगह से बाबा बालक नाथ के मंदिर का रास्ता अलग हो जाता है। इस जगह से मंदिर 16 किमी दूर है। इस यात्रा का जिक्र कभी बाद में करेंगे आज सिर्फ़ ज्वाला माता के मंदिर ही चलते हैं ।

माँ ज्वाला जी मंदिर

Friday 22 September 2017

Maa Naina Devi Temple

नैना देवी मंदिर Temple
हिमाचल में पाँच देवियों की यात्रा , एक काफी प्रसिद्ध यात्रा सर्किट है । माँ नैना देवी से शुरू होकर ,माँ चिंतपूर्णी ,माँ ज्वाला जी, कांगडे वाली माता (बृजेश्वरी देवी) और माता चामुण्डा देवी । बहुत से टूर ओपेरटर भी इन देवियों के एक साथ दर्शन के लिये बस द्वारा यात्रा आयोजित करते रहते हैं। अम्बाला से तीन दिन में इन सभी स्थानों पर जाकर वापिस आया जा सकता है।

Thursday 21 September 2017

Mansa Devi Yatra -Panchkula

माता मनसा देवी मंदिर ,पंचकुला

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके  शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते 

शिवालिक पर्वत माला की गोद में बसी माता मनसा देवी पर जाने का मुझे कई बार सौभाग्य मिला है । यहाँ परिवार के साथ ,दोस्तों के साथ और अकेले भी कई बार जा चूका हूँ । आज से 16 -17 वर्ष पहले मैं चंडीगढ़ में प्राइवेट जॉब करता था तो जब भी काम से जल्दी फ्री हो जाते तो शाम को अम्बाला की ट्रेन पकड़ने से पहले कई बार जल्दी से माता मनसा देवी के मंदिर में चले जाते थे । इस मंदिर की दूर दूर तक काफी मान्यता है और रविवार के दिन तो यहाँ काफी भीड़ हो जाती है ।

माता मनसा देवी 

Monday 11 September 2017

Kedarnath Jyotirling Yatra-2011

 केदारनाथ यात्रा- 2011

मैं आज आपको अपने साथ भोले नाथ के धाम केदारनाथ लेकर चलूँगा । केदारनाथ - भोले बाबा के 12 ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारवें क्रमांक पर है लेकिन यात्रा में सबसे कठिन है । जहाँ बाकि सभी ज्योतिर्लिंग मैदानी इलाकों में हैं और यहाँ केदारनाथ में 14 किलोमीटर की ख़तरनाक चढ़ायी . (2013 की आपदा के बाद ये अब 2-3 किमी और बढ़ गयी है ). मैंने 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सिलसिला सबसे पहले सबसे कठिन से ही शुरू करने का फ़ैसला लिया .

जून-2011 में केदारनाथ ,बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिये  एक तवेरा गाड़ी 1 +8 सिटर बुक कर ली । हमने जून का महीना इसलिए चुना था क्योकि इन दिनों पहाडॊं में बारिश की संभावना बहुत कम होती है और भूस्खलन का खतरा भी ।


Thursday 7 September 2017

Omkareshwar-Mamleshwar Jyotirling darshan

ओंकारेश्वर- ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग  दर्शन
पिछले भाग से आगे

अगले दिन सुबह जल्दी उठकर हम संक्रांति स्नान के लिए आश्रम के सामने वाले नरसिंह घाट पर चले गए। इस बार राम घाट पर नहीं गए क्योंकि राम घाट दूर भी था और वहां भीड़ भी ज्यादा मिलनी थी। स्नान करने के बाद वापिस आश्रम आए और नाश्ता करने के बाद इंदौर जाने की तैयारी करने लगे।

ओम्कारेश्वर मन्दिर