Tuesday 29 December 2015

श्री बड़ा गणेश मंदिर, क्षिप्रा घाट, चारधाम मंदिर व श्री राम मंदिर ( उज्जैन यात्रा )

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जैसे की मैंने पिछली पोस्ट में बताया था की हमने उज्जैन घुमने  के लिए एक ऑटो कर लिया था।  ऑटो के चलने के सिर्फ एक मिनट बाद ही नंदू ने ऑटो रोक दिया और  बोला " लो पहला  स्थान (पॉइंट)  आ गया है। सामने बडे गणेश जी का मंदिर है , जाओ और दर्शन कर के आ जाओ मैं यहीं पर आपका इंतजार करूँगा। " हमने बोला कि यहाँ तो हम पैदल ही आ जाते ,क्या  सारे  मंदिर पास में ही हैं " उसने जबाब दिया नहीं कुछ मंदिर तो 5-6 किलोमीटर की दुरी पर हैं।  सबसे नजदीक यही है। यह सुनकर हम लोग जल्दी से मंदिर की ओर चल दिए।

श्री बड़े गणेश मंदिर में स्थित गणेश जी

Tuesday 22 December 2015

राजा भर्तृहरि गुफा और मंदिर ( उज्जैन यात्रा )



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भाग 5 :राजा भर्तृहरि गुफा

 राजा भर्तृहरि की गुफ़ा शहर से बाहर की ओर हैं । गुफ़ा के आस-पास शहरी आबादी नहीं है और इलाका सुनसान सा है। भर्तृहरि की गुफ़ा थोड़ी सी ऊंचाई पर है। ऐसा माना जाता है कि राजा भर्तृहरि ने इन गुफ़ाओं में कई साल तपस्या की थी। यहाँ दो गुफ़ा हैं जिनका प्रवेश द्वार काफ़ी संकरा है। हम पहले पहली गुफ़ा में गये जिसमें प्रवेश के बाद सीड़ियाँ नीचे की तरफ़ ले जाती हैं । गुफ़ा की ऊंचाई लगभग 8 फ़ुट होगी। गुफ़ा में एक बरामदा है जिससे कई छोटे-2 कमरे नुमा स्थान जुडे हुऐ हैं । गुफ़ा जमीन से नीचे बने होने के कारण यहाँ जल्दी ही आक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है और दम घुटने लगता है। इन गुफ़ा में एक अजीब सी गंध भी आ रही थी जो शायद धुनी लगाने से उठने वाले धुएँ जैसी थी। यहाँ कई बार कुछ जोगी किस्म के बाबा लोग , यात्रियों से दान मिलने की अपेक्षा में धुनी लगाकर बैठ जाते हैं जिस कारण यहाँ और भी ज्यादा घुटन हो जाती है। पहली गुफ़ा अच्छी तरह देखने के बाद हम बाहर आ गये। ताजी हवा में आकर खुल कर साँस ली और फिर दुसरी गुफ़ा में गये। यह गुफ़ा भी पहले जैसी पर उससे छोटी थी।

भर्तृहरि की गुफ़ा


Saturday 5 December 2015

ममलेश्वर दर्शन ( Omkareshwar, mahakaleshwar and Ujjain darshan report )

भाग 1 : अम्बाला से ओंकारेश्वर
भाग 2 : ओंकारेश्वर दर्शन

भाग 3 :ममलेश्वर दर्शन

ओंकारेश्वर मन्दिर में दर्शन करने के बाद हम लोग ममलेश्वर मंदिर की ओर चल दिए। ममलेश्वर मंदिर एक बहुत पुराना मंदिर है, यह ओंकारेश्वर मंदिर से नर्मदा नदी के दूसरे तट पर मौजूद है। ओंकारेश्वर एक प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन माना जाता है कि ममलेश्वर ही वास्तविक ज्योतिर्लिंग है।इसका सही नाम अमरेश्वर मंदिर है। ममलेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर 10 वीं सदी में बनाया गया था। यह मंदिरों का एक छोटा सा समूह है। अपने सुनहरे दिनों में इसमें  दो मुख्य मंदिर थे लेकिन आजकल केवल एक बड़े मंदिर को ही भक्तों के लिए खोला जाता है। मंदिरों का यह समूह एक संरक्षित प्राचीन स्मारक है।

ममलेश्वर मन्दिर