शिवखोरी यात्रा (SHIV KHORI )
नवम्बर के पहले सप्ताह का समय और बेहतरीन मौसम का साथ सोने पर सुहागा साबित हुआ क्योंकि इन दिनों आमतौर पर यात्रियों की संख्या गर्मियों की अपेक्षा आधी ही रह जाती
है । ग्रीष्मावकाश के समय हज़ारों यात्री रोजाना वैष्णो देवी के दर्शन
करते है। साथ ही सर्दी-गर्मी के मिले-जुले माहौल में पहाडों पर पदयात्रा
करने का अपना ही लुत्फ़ है।
5 नवम्बर को अम्बाला से हेमकुंड एक्सप्रेस द्वारा चलने का तय हुआ और समय से ही स्लीपर क्लास में 6 सीटें बुक करवा दी गयी । तीन लोग सोनीपत से थे और तीन लोग अम्बाला से ।
तय तिथि को सोनीपत से संजय कौशिक जी अपने दो मित्रों इंदरजीत एवं प्रवीन जी के
साथ शाम 6 बजे के क़रीब अम्बाला पहुँच गए । जम्मू के लिए ट्रेन रात 9:20 पर थी । तब
तक का समय बिताने के लिए रेलवे स्टेशन के पास ही उनके रुकने और आराम करने की
व्यवस्था कर दी थी। रात 9 बजे से पहले ही मैं अपने अम्बाला के दो साथियों सुखविंदर
और संजीव के साथ स्टेशन पहुँच गया ।तब तक कौशिक जी व् उनके साथी भी रेलवे स्टेशन
पहुँच चुके थे। ट्रेन लगभग 15-20 मिनट लेट थी । ट्रेन के आते ही हम अपने कोच में
चले गए ।10 मिनट बाद ट्रेन भी चल दी ।कुछ देर तक तो सभी बैठ कर गपशप मारते रहे फिर
सभी अपने अपने बर्थ पर सोने के लिए चले गए । हमारे कूपे में चार लड़के बैठे थे
जिनमे से केवल एक की ही सीट कन्फर्म थी
बाकि तीन वेटिंग में थे । वे लड़के सारी रात चिकचिक करते रहे। न खुद सोये न किसी को
ढ़ंग से सोने दिया।
सुबह लगभग 6 बजे तय समय से ट्रेन कटरा स्टेशन पहुँच गयी । मेरी इस स्टेशन पर
तीसरी यात्रा थी लेकिन बाकि सभी लोग यहाँ पहली बार ही आये थे ।सभी लोग स्टेशन की
ख़ूबसूरती को अपने अपने कैमरे में कैद करने लगे ।स्टेशन नया है और काफी खुली जगह
में ख़ूबसूरती से बना है। एक बात जो इस स्टेशन पर दुसरे स्टेशन से अलग लगी वो ये की
आमतौर पर स्टेशन में प्रवेश करने पर आपके सामान की चेकिंग होती है लेकिन यहाँ
उल्टा है । यदि आप स्टेशन में प्रवेश करोगे तो कोई चेकिंग नहीं लेकिन बाहर निकलते
हुए आपके सामान की xray चेकिंग होती है।
रेलवे स्टेशन पर ही माता वैष्णो
देवी बोर्ड का रजिस्ट्रेशन काउंटर है जहाँ से आप यात्रा के लिए पर्ची ले सकते हो ।
इस यात्रा पर्ची के समय से 6 घंटे के भीतर ही आपको बाण गंगा चेक पोस्ट पार करनी
पड़ती है नहीं तो यह पर्ची रद्द हो जाती है । चूँकि हमें आज पहले शिव खोरी जाना था
इसलिए हमने यहाँ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया कुछ देर बाद सभी लोग प्लेटफ़ॉर्म से बाहर आ
गए ।यहाँ से कटरा बस स्टैंड या बाण गंगा तक के लिए एक ऑटो का किराया 100 रूपया है
जिसमे वो तीन सवारी बिठाते हैं । हमने भी ऑटो लिया और सीधा बस स्टैंड पहुँच गए ।
बस स्टैंड में ही सुलभ शौचालय है जहाँ
सभी नित्य कर्म से निर्वृत हो गए ।बस स्टैंड से ही कुछ प्राइवेट ऑपरेटर शिव खोरी
के लिए बसें लेकर जाते हैं ।ऐसे ही एक ओपेरटर से हमने 6 सीटें बुक कर दी । सभी
बसें लगभग 8:30 बजे कटरा से चलती है और शाम को 8 बजे के क़रीब ही यात्रियों को
वापिस लेकर आती है । शिव खोरी के लिए टिकेट आने जाने की ही बुक होती है। किराया
प्रति व्यक्ति 180 रूपये । टिकेट बुक करवाने के बाद हम लोग नाश्ता करने एक भोजनालय
पर चले गए । नाश्ता करने के बाद सभी लोग आकर बस में बैठ गए और बस लगभग 8:45 पर शिवखोड़ी के लिए रवाना हो
गयी । थोड़ी देर चलने के बाद बस एक मंदिर
के बाहर रूक गयी। हम भी उतर कर मन्दिर में चले गए । यहाँ जित्तो बाबा का
मंदिर और समाधी थी ।आसपास के गांवों और इलाके में इसकी काफी मान्यता है । आधा घंटे
बाद बस फिर चली और थोड़ी देर बाद एक अन्य मंदिर के बाहर रुक गयी ।पूछने पर मालूम
हुआ यहाँ नवदुर्गा मंदिर है । यहाँ बस से नहीं उतरे । कुछ लोग ही गए । बस 10 मिनट
बाद फ़िर चल पड़ी। रास्ते में एक जगह बस ने चिनाब नदी को पार किया । लगभग एक घंटा
चलने के बाद बस वाले ने एक ढाबे पर खाने पीने के लिए बस रोक दी । आधा घंटा फिर लग
गया ।
इस तरह चलते रुकते दोपहर 12:30 बजे हम
बस पार्किंग में पहुँच गए । ड्राईवर ने सबको बोल दिया की सभी लोग चार बजे तक वापिस
आ जाएँ। बाहर आकर मालूम हुआ अभी रन्सू गाँव 2-3 किलोमीटर दूर है वहाँ तक के लिए
छोटी गाड़ी लेनी पड़ेगी। 10 रूपये प्रति सवारी के हिसाब से एक मेटाडोर में बैठ गए और
10 मिनट में ही रन्सू पहुँच गए । यहाँ भी वैष्णो देवी श्राइन
बोर्ड की तर्ज पर शिव खोरी श्राइन बोर्ड बना है जहाँ यात्रा से पहले सभी का
रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है । हम सभी ने अपना अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया और यात्रा के
लिए तैयार हो गए । रजिस्ट्रेशन काउंटर के साथ ही पुलिस की चेक पोस्ट है । इस जगह
से शिव खोरी गुफ़ा 3.5 किलोमीटर है । लगभग एक बजे हमने चढ़ाई शुरू कर दी । सारे
रास्ते में हलकी चढाई है और रास्ता अच्छा बना है और बीच बीच में खाने पीने के
सामान की दुकाने भी हैं । रास्ते के साथ साथ एक छोटी सी नदी भी बह रही है।
ठीक 2:15 बजे हम शिव खोरी गुफ़ा पर पहुँच गए । गुफ़ा में प्रवेश के लिए लंबी
लाइन लगी थी । गुफ़ा में कैमरा ,मोबाइल या किसी भी प्रकार का सामान ले जाना मना है ।
हमने भी मोबाइल और कैमरा लॉकर में रख दिए
तथा अपने जूते जूता स्टैंड पर जमा करवा कर सभी लाइन में लग गए । आधे घंटे के बाद
हम भी गुफ़ा में प्रवेश कर गए । शुरू में तो गुफ़ा काफी चौड़ी है लेकिन जैसे जैसे आगे
बढ़ते हैं ये काफी संकरी हो जाती है और आप बिना चट्टानों से रगड़ खाए आगे नहीं निकल
सकते ।आगे जाकर गुफ़ा फिर खुली हो जाती है और गुफ़ा में शिव के साथ पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी
की पिण्डियों के दर्शन होते हैं। वहीँ से आगे जाते हुए बाहर निकलने के लिए अलग से रास्ता बना है । हमें गुफ़ा
में प्रवेश से बाहर निकलने तक लगभग एक घंटा लग गया ।
दर्शनों के बाद हम अपना अपना सामान लेकर तेजी से उतरने लगे । वापसी में हमें
एक घंटा ही लगा होगा और हम 4:30 बजे रन्सू पहुँच गए । वहाँ से पार्किंग से एक वैन
लेकर बस पार्किंग पहुँच गए । अभी हम लोगो के अलावा बस के दो चार लोग ही पहुंचे थे ।
सभी लोगों को आते आते शाम के 6 बज गए । उसके बाद ही बस ने वापसी की । रात 8 बजे हम
सब कटरा पहुँच गए ।
कटरा आकर हमने निहारिका भवन जाकर खाना खाया । उसके बाद आगे के लिए विचार हुआ ।
आज हमने उबड़ खाबड़ रास्तों पर 160 किमी की बस यात्रा और 8 किमी की पैदल यात्रा की
थी और उस पर बीती रात की अधूरी नींद का खुमार भी था । इसी के चलते मेरी इच्छा थी
की अब रात को कटरा में आराम किया जाये इससे नींद पूरी होने के साथ सबकी थकावट भी
उतर जाएगी और सुबह जल्दी से 4 बजे ही वैष्णो माता के भवन के लिए चढाई शुरू की जाये।10-11
घंटे में आराम से आना जाना और दर्शन हो जायेंगे , लेकिन संजय कौशिक जी और उनके
साथियों की इच्छा थी की अभी चढाई शुरू की जाये । कल सुबह वापिस आकर आराम करेंगे ।
उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए न चाहते हुए भी रात को ही चढाई शुरू कर दी ।
इस तरह पहली बार कटरा से कटरा तक
सारी यात्रा रात्रि में ही की गयी । रात 9:30 पर कटरा से शुरू
किया । सुबह 2:30 बजे भवन पर पहुंचे .,नहाने और सामान जमा कराने के बाद 3:30 पर दर्शन ,फिर शिव गुफ़ा के दर्शन । सुबह 5 :30 पर भैरों मंदिर और सुबह 9:30 बजे कटरा
वापसी । वैष्णो देवी
यात्रा के बारे संक्षेप में ही । पिछले ब्लॉग
में ही इस यात्रा को विस्तार से लिख चूका हूँ।
अब थोड़ी सी जानकारी शिवखोरी गुफ़ा के
बारे में :
शिव खोड़ी की गुफ़ा
यह गुफ़ा जम्मू कश्मीर के रयासी जिले में स्थित है। यह भगवान शिव के प्रमुख
पूजनीय स्थलो में से एक है। यह पवित्र गुफ़ा 150 मीटर लंबी है। इस गुफ़ा के अन्दर भगवान शंकर
का 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है। इस शिवलिंग के ऊपर पवित्र
जल की धारा सदैव गिरती रहती है।धार्मिक आस्था है कि इस गुफ़ा में रखी भगवान शिव की पिण्डियों के दर्शन से हर कामना पूरी हो
जाती है। पुराण कथा यह है कि भस्मासुर ने तप कर शंकर को प्रसन्न किया।तब भस्मासुर
ने शिव से यह वर पाया कि वह जिसके सिर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए। वर मिलते ही
भस्मासुर, भगवान शंकर पर ही हाथ रखने के लिए आगे बढ़ा।
गुफ़ा
में छिपे थे शिव:
इस दौरान भगवान शंकर और भस्मासुर में भीष्ण युद्ध हुआ। इसी के
चलते इलाके का नाम रणसु या रनसु हुआ। युद्घ के बाद भी भस्मासुर ने हार नहीं मानी।इसके बाद भगवान शंकर वहां से निकलकर ऊंची पहाड़ी पर पहुंचे और एक
गुफ़ा बनाकर उसमें छिपे। बाद में यही गुफ़ा शिव खोड़ी की गुफ़ा के नाम से प्रसिद्ध हुई।मान्यता है कि भगवान शंकर को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुंदर
स्त्री का रूप लेकर भस्मासुर को मोहित किया। सुंदरी रूप में विष्णु के साथ नृत्य
के दौरान भस्मासुर शिव का वर भूल गया और अपने ही सिर पर हाथ रख कर भस्म हो गया।
शिव खोड़ी की गुफ़ा में शिव के साथ पार्वती, गणेश, कार्तिकेय,
नंदी की पिण्डियों के दर्शन होते हैं। यह गुफ़ा स्वयंभू मानी जाती है। इनके साथ यहां सात ऋषियों, पाण्डवों और राम-सीता की भी पिण्डियां देखी जा
सकती हैं। शिव खोरी को देवताओं के घर के रूप में भी
जाना जाता है । यहाँ की दीवारों पर आपको देवी देवताओं की आकृति भी देखने को
मिलेगी। पिण्डियों पर गुफ़ा की छत से जल की बूंदे गिरने से
प्राकृतिक अभिषेक स्वतः होता है। शिव द्वारा बनाई गई यह गुफ़ा बहुत गहरी है, इसका अंतिम
छोर दिखाई नहीं देता।एक स्थान पर यह दो भागों में बंट जाती है, माना जाता है कि इनमें से एक रास्ता अमरनाथ गुफ़ा में निकलता है।
जम्मू और कटरा दोनों जगहों से गुफ़ा तक पहुंचा जा सकता है। इन स्थानों से रनसू क्रमश: 110 और 80 किमी दूर है।
रनसू से शिवखोड़ी गुफ़ा जाने के लिए लगभग 3.5 किमी की चढ़ाई है। जो सीधे गुफ़ा के पास ही समाप्त होती है।
इसके लिए बस और टैक्सी दोनों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिन
लोगों को पैदल चलने में परेशानी होती है उनके लिए यहां पर खच्चर की सुविधा भी
मौजूद है।
संजय कौशिक |
ग्रुप सेल्फी |
जित्तो बाबा |
जित्तो बाबा का मंदिर |
जित्तो बाबा की समाधी |
चिनाब नदी |
शिव खोरी यात्रा यहीं से शुरू होती है |
शिव खोरी यात्रा मार्ग |
शिव खोरी यात्रा में मंदिर |
शिव खोरी यात्रा मार्ग |
शिव खोरी यात्रा मार्ग |
शिव खोरी गुफ़ा का दूर का दृश्य |
एक कीर्तन मण्डली |
वैष्णो देवी मार्ग से रात के समय दिखता कटरा |
वैष्णो देवी मार्ग से रात के समय माता का भवन |
वैष्णो देवी भवन के आस पास |
बहुत बढ़िया और सटीक वर्णन ।
ReplyDeleteइसमें जे नहीं लिखे सहगल साहब कि संजय कौशिक जो उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम सारा घूम चुके हैं आज तक माँ वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी नहीं लगा पाये । आपके सानिध्य में उन्होंने भी माँ का आशीर्वाद प्राप्त किया।
यात्रा में हामने बेहद थका दिया आपको लेकिन आपकी हिम्मत और सहयोग के बिना ये संभव ना था । जिसके लिए आपको हम सदा याद करेंगे ।
जय माता दी ।। जय भोले की ।।
कौशिक जी मैं तो एक निमित्त मात्र था आपको खुद माँ ने बुलाया था।
Deleteयात्रा थकाऊ तो हो ही गयी थी लेकिन इसका कोई अफ़सोस नहीं । ग्रुप में बहुमत के साथ ही चलना पड़ता है । जय माता की ।।
सुन्दर यात्रा ,अच्छी जानकारी
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी ।।
Deleteजय माता दी
ReplyDeleteजय माता दी ।
Deleteबढ़िया यात्रा सहगल साहब
ReplyDeleteधन्यवाद विनोद भाई ।
Deleteसुन्दर वृतान्त नरेश जी.
ReplyDeleteधन्यवाद बीनू भाई ।
Deleteवाह नरेश जी...
ReplyDeleteमज़ा आया पढ़कर...
धन्यवाद डाक्टर साहेब ।
Deleteधन्यवाद डाक्टर साहेब ।
Deleteबहुत खूब सहगल साहब।यात्रा बहुमत के साथ सही निर्णय मगर यदि यात्रा को थोड़े विश्राम के साथ किया जाता तो यात्रा का औऱ भी लुत्फ उठा पाते। शिव खोरी वृतांत बढिया।
ReplyDeleteउत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद।।
Deleteबहुत बढ़िया सहगल साहब ....👍
ReplyDeleteधन्यवाद त्यागी जी ।
Deleteसुन्दर वर्णन है
ReplyDeleteधन्यवाद त्यागी जी।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनरेश सहगल जी, आपसे, सुखविंदर जी और संजीव जी से मैं पहली बार मिला था और ये सब संभव हुआ संजय कौशिक जी के प्रयास से, जिन्होंने मुझे माता वैष्णो देवी पर चलने का बताया, और माता वैष्णो देवी ने बुलाया ।
ReplyDeleteशिवखोड़ी मैं पहली बार गया था, जिसको की भूल पाना असंभव है ।
वाकई आप और दूसरे भाइयों के सहयोग से यात्रा बेहद सफल रही ।
जय माता दी ।।
धन्यवाद प्रवीन जी ।एक दुसरे के सहयोग से ही यात्रा यादगार बनती है ।
Deleteमैं शिव खोड़ी का फोटो ढूंढता रह गया , मिला नहीं ! ठीक बात है कि आपने कैमरा , मोबाइल सब लॉकर में रख दिया था लेकिन दूर से ही सही , कैमरा रखने से पहले कुछ फोटो तो हो सकते थे ? यात्रा वृतांत बहुत शानदार और सूचनापद है !!
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी। नीचे से चौथी और पांचवी फोटो को ज़ूम करके आप गुफा आराम से देख सकते हैं ।
Deleteबहुत सुन्दर वृतान्त नरेश जी
ReplyDeleteधन्यवाद हितेश जी ।
Deleteनरेश जी बहुत ही तेज यात्रा रही। शिव खोडी के बारे में आपने बहुत सुन्दर शब्दो में वर्णन किया है।
ReplyDelete।।जय शिव शंकर।।
धन्यवाद सचिन भाई । जय शिव शंकर ।।
ReplyDeleteरात में ट्रेन का सफर, सुबह से शाम शिव खोड़ी की यात्रा और उसके बाद रात में ही वैष्णो देवी माता के दर्शन, अपने आप मे ही बहुत बड़ी बात है। माता रानी की कृपा ऐसे ही बने रहे। जय माता दी।
ReplyDeleteधन्यवाद अनित कुमार ।💐💐
ReplyDeleteपार्किंग में भजन मण्डली ने दो घंटे मजेदार मनोरंजन किया था। यात्रा वृत्तांत बहुत खूब सहगल साहब।
ReplyDeleteसही याद कराया सुखविंदर जी .कीर्तन भी बढ़िया किया था .धन्यवाद आपका .
Deleteजय भोलेनाथ ।सचित्र ज्ञानवर्धन के लिए साधुवाद । 2007 मे जम्मू. कश्मीर ,अमरनाथ जी के दर्शन किए थे । लौटते वक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन करने गए।कटरा विश्राम के समय इस पवित्र गुफा की जानकारी मिली थी। दर्शन नहीं कर पाए ।
ReplyDeleteसमय निकाल कर पोस्ट पढ़ने और कमेंट करने के लिए महेशानंद कुकरेती जी आपका धन्यवाद.
DeleteVery beautiful post, Nice information about Indian culture & Temples. I really like this amazing post.
ReplyDeletehttps://www.bharattaxi.com
Good luck
DeleteGood luck
ReplyDeleteधन्यवाद .
Deleteसहगल जी,सादर नमस्कार
ReplyDeleteहम जून में मा वैष्णो देवी के श्री चरणों मे पारवारिक ग्रुप के साथ दर्शन को जाने वाले हैं हमारी इच्छा श्री शिवखोड़ी के दर्शन की भी है पर हमें यात्रा के रूप व आवश्यक समय की जानकारी नही थी पर आप द्वारा प्रस्तुत वर्णन से लगा कि हम भी वहां पहुँच गए । इस तरह यदि माँ के दर्शन के साथ (आप के उपयोगी वर्णन के अनुसार ) श्री शिव जी के भी दर्शन प्राप्त कर सका तो ईस्वर की विशेष कृपा होगी। क्योंकि हमारे पास समय दो दिन का ही है व परिवार के ग्रुप सभी उम्र के सदस्य है
धन्यवाद
जी माता की , जय भोले बाबा की
धन्यवाद .आपकी यात्रा सफल एवं सुखदायी हो .जय माता की , जय भोले बाबा की.
Deleteबहुत ही बढ़िया वर्णन किया है नए भक्तो को काफी जानकारी मिलती है,,,
ReplyDeleteBahut sundar
ReplyDeleteThanks for the blog.Nice shiv khori yatra information.You can also check.
ReplyDeleteshiv khori yatra