भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirling Temple)
आज से लगभग 4 साल पहले महाराष्ट्रा की घुम्म्कड़ी के दौरान मुंबई ,शिर्डी ,शनि
सिंग्नापुर ,एल्लोरा केव्स ,औरंगाबाद फोर्ट ,बीबी का मकबरा आदि स्थानों के साथ तीन
ज्योतिर्लिंग के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था । वैसे तो ये पूरी सीरीज काफी
पहले इंग्लिश में लिख चूका हूँ लेकिन इन तीनो ज्योतिर्लिंग की यात्रा को हिंदी में
भी लिखना चाहता हूँ। इस सीरीज में आपको सबसे पहले भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा
पर लेकर चलते हैं ।
यात्रा का पहला दिन तो ट्रेन के सफ़र में ही कट गया और दुसरे दिन हम सुबह- सुबह
मुंबई पहुँच गए । पहले के तय प्रोग्राम के तहत हमें आज ही यहाँ से भीमाशंकर के लिए
निकलना था लेकिन यहाँ आकर प्रोग्राम थोडा चेंज किया और पहले मुंबई घुमने का प्लान
बना लिया । एक टैक्सी बुक कर ली और पूरा
दिन मुंबई में ही घूमते रहे और खूब मस्ती की । रात को रुकने के लिए CST रेलवे
स्टेशन पर ही रिटायरिंग रूम बुक कर लिया । अब अगले दिन सुबह हमें यहाँ से भीमाशंकर
के लिए निकलना था ; लेकिन जाना कैसे था ये पहले से कुछ फिक्स नहीं था । मुंबई से
सीधी बस नहीं थी । हमें किसी तरह पुणे –नासिक रोड तक पहुंचना था जहाँ से हमें
भीमाशंकर के लिए बस मिल सकती थी। इसके लिए जितना हो सके ट्रैन से बाकि सफ़र बस से
करने का निर्णय लिया। CST रेलवे स्टेशन से सुबह 5:40 पर पुणे के लिए एक
इन्द्र्यानी सुपर फ़ास्ट चलती है, उससे लोनावाला तक चलने का फाइनल कर रात को एक बार
फिर गेट वे ऑफ़ इंडिया का चक्कर लगा लगभग 11 बजे सो गए ।
सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गए और लोनावाला की चार पैसेंजर टिकेट लेकर ट्रेन में
सवार हो गए । कल पूरी रात जबरदस्त बारिश हुई थी और हलकी हलकी बारिश अभी भी चल रही
थी। कुल मिलाकर इस समय मौसम बड़ा मस्त बना हुआ था। मुंबई से लोनावाला तक का रेलवे
सफ़र पश्चिमी घाट से होकर ही था और आज कुछ समय के लिए हमारी बिना किसी प्री प्लान
के मानसून के मौसम में पश्चिमी घाट की लगभग 130 किमी की यात्रा होने वाली थी । पूरा
पश्चिमी घाट मानसून के मौसम में हरियाली से भरपूर एकदम निखर जाता है ।
ट्रेन का सफ़र काफी बढ़िया रहा । बारिश में पश्चिमी घाट को देखकर आनंद आ गया । रात
भर चली बारिश से जगह जगह झरने बने हुए थे और कई अस्थायी नदियाँ भी भर कर चल रही थी
। हवा में भी एक अलग सी ताजगी मह्सूस हो रही थी। हमारी ट्रेन भी तेज़ गति से चल रही
थी और दादर ,थाणे ,कल्याण पर स्टॉप लेते हुए
लगभग सुबह आठ बजे लोनावाला पहुँच गयी । लोनावाला एक छोटा सा स्टेशन है यहाँ ज्यादा
चहल पहल नहीं थी । मार्किट की तरफ जाकर हमने चाय के साथ वडे-पाव का नाश्ता किया और
फिर स्टेशन को पार कर दूसरी तरफ स्तिथ बस स्टैंड चले गए । लोनावाला में मार्किट
स्टेशन के दायीं तरफ है और बस स्टैंड
बायीं तरफ ।
बस स्टैंड से भीमाशंकर जाने के लिए बस का पता किया तो मालूम हुआ कि अभी यहाँ
से कोई सीधी बस नहीं मिलेगी हमें मंचर जाना पड़ेगा। वहाँ से हमें पुणे से
आने वाली बसें मिल जाएँगी । पुणे से भीमा शंकर के लिए सीधी बसें चलती है जो मंचर
होते हुई ही जाती हैं । ये जानकर हम मंचर जाने वाली पहली बस में सवार हो गए । यहाँ
से मंचर लगभग 80 किमी दूर है लेकिन बस की गति धीरे होने के कारण हमें वहां पहुँचने
में तीन घंटे से भी ज्यादा लग गए ।
मंचर, पुणे- नासिक हाईवे पर स्तिथ एक छोटा सा नगर है। यहाँ
से भीमाशंकर की दुरी 70 किमी है और पुणे की 60 किमी यानि पुणे और भीमाशंकर के लगभग
मध्य पड़ता है । आप पुणे से आयें या नासिक से ,आपको यहाँ से ही जाना पड़ेगा । यहाँ से लगभग हर आधे घंटे बाद भीमाशंकर के लिए बस मिल जाती है।
जब हम मंचर पहुंचे तो भीमाशंकर के लिए अगली बस आने में अभी कुछ समय था तब तक
हमने कुछ फलाहार कर लिया । थोड़ी देर बाद बस भी आ गयी और हम जल्दी से बस में सवार
हो गए । इस बस में महिला कंडक्टर थी जो हमारे लिए एक नया अनुभव था । मंचर से आगे
हल्की हलकी चढ़ाई शुरू हो जाती है ,पूरा घाट का एरिया है । यहाँ भी बस की गति धीमी
थी ,बस रास्ते में पड़ने वाले हर गाँव पर रुकते हुए जा रही थी । थोड़ी दूर ही गए थे
कि बारिश दोबारा शुरू हो गयी जिससे परेशानी और बढ़ गयी । लगभग तीन घंटे के सफ़र के
बाद हम भीमाशंकर बस स्टैंड पहुंच गए । बस स्टैंड भी क्या एक खुली सी जगह में बसें
रुकने के लिए जगह बनायीं हुई थी, कोई शेड या छत नहीं थी । बारिश अब तक चल रही थी ।
बस से उतर कर भाग कर एक दुकान में चले गए और बारिश के रुकने का इंतजार करने लगे ।
थोड़ी देर बाद बारिश हलकी हुई तो हम मंदिर की तरफ चल दिए । मंदिर यहाँ से नीचे की
तरफ है और लगभग सौ सीडियां उतरकर ही वहाँ जाया जाता है।
बारिश की वजह से यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं थी । हमारे अलावा सिर्फ कुछ लोग ही लाइन
में थे । लगभग 10 मिनट में हम गर्भ गृह में पहुँच चुके थे । वहां हमने बड़े आराम से
ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये, जलाभिषेक किया और बाहर आ गये। थोड़ी देर मंदिर परिसर
में रुके और फिर वापसी के लिए बस स्टैंड की तरफ चल दिए । तभी अचानक बारिश फिर से
शुरू हो गयी । हमने भागकर एक चाय की दुकान में शरण ली । काफी देर तक तेज़ बारिश
होती रही और जब तक बारिश रूकती चाय और गरमा गरम पकोड़ों के दो दौर चल चुके थे ।
बारिश रुकने पर हमने मंचर के लिए बस ले ली और शाम 6:30 बजे तक मंचर आ गए । मजे
की बात है, मंचर बिलकुल सुखा पड़ा था यहाँ बारिश का कोई निशान नहीं था । हमारा अगला
लक्ष्य कल त्रिम्बकेश्वर ज्तोतिर्लिंग के दर्शन करना था । जिसके लिए हमें पहले
नासिक पहुँचना था जो यहाँ से लगभग 150 किमी दूर था । कल सुबह यहाँ से निकलते तो
काफी लेट हो जाते और यहाँ की बसों की स्पीड देखते हुए आज रात भी काफी लेट ही पहुँच
सकते थे । इसलिए हमने नासिक और मंचर के लगभग
मध्य में संगमनेर नामक जगह पर रात को रुकने का फाइनल किया और बस से रात नो बजे तक
वहाँ पहुँच गए । वहाँ एक होटल में कमरा बुक कर लिया और खाना खाकर सो गए ।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
पौराणिक कथा :
भीमाशंकर मंदिर एक ज्योतिर्लिंग है,
जो भारत में पुणे के पास
खेड के उत्तर-पश्चिम से 50 किलोमीटर की दुरी
पर स्थित है। भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंग में श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का
छठा स्थान हैं। यह मंदिर पुणे के शिवाजी नगर से 127 किलोमीटर की दुरी पर सह्याद्री पहाडियों की घाटी में बना
हुआ है। भीमाशंकर, भीमा नदी का भी स्त्रोत है, जो दक्षिण-पूर्व में बहती है और रायचूर के पास कृष्णा नदी
में मिल जाती है।
भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया
है कि पुराने समय में कुंभकर्ण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस था। उसका जन्म ठीक
उसके पिता की मृ्त्यु के बाद हुआ था। अपनी पिता की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों
होने की घटना की उसे जानकारी नहीं थी। बाद में अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई
तो वह श्री भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो गया।अपने उद्देश्य को पूरा करने
के लिए उसने अनेक वषरें तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर उसे ब्रह्मा जी ने
विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद राक्षस निरंकुश हो गया। उससे
मनुष्यों के साथ साथ देवी-देवता भी भयभीत रहने लगे। धीरे-धीरे सभी जगह उसके आंतक
की चर्चा होने लगी। युद्ध में उसने देवताओं को भी परास्त करना प्रारंभ कर दिया।
उसने सभी तरह के पूजा पाठ बंद करवा दिए और लोगों से उसकी पूजा करने को कहा । उस राक्षस
से अत्यंत परेशान होने के बाद सभी देव भगवान शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने सभी
को आश्वासन दिलाया कि वे इस का उपाय निकालेंगे। भगवान शिव ने राक्षस तानाशाह भीम
से युद्ध करने की ठानी।
कामरूपेश्वप नाम के राजा भगवान शिव के भक्त थे। एक दिन भीम ने राजा को शिवलिंग
की पूजा करते हुए देख लिया। भीम ने राजा को भगवान की पूजा छोड़ उसकी पूजा करने को
कहा। राजा के बात न मानने पर भीम ने उन्हें बंदी बना लिया। राजा ने कारागार में ही
शिवलिंग बना कर उनकी पूजा करने लगा। जब भीम ने यह देखा तो उसने अपनी तलवार से राजा
के बनाए शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया। ऐसा करने पर शिवलिंग में से स्वयं
भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव और भीम के बीच घोर युद्ध हुआ, जिसमें भीम की मृत्यु हो गई। सभी देवों ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे इसी
स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजित हो़। उनकी इस प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार
किया और वे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी यहां विराजित हैं। ऐसा माना जाता है की लड़ाई के बाद भगवान शिव के
शरीर से निकले पसीने से भीमरथी नदी का निर्माण हुआ था।
शहरो की भीड़-भाड़ वाली जिंदगी से दूर, सफ़ेद बादलो के बीच बना हुआ भीमाशंकर किसी स्वर्ग से कम नही है। यहाँ की पहाडियों
के आस-पास वाली ऊँची पर्वत श्रुंखलाओ में जंगली वनस्पतियाँ और जानवरों की दुर्लभ
प्रजातियाँ भी पाई जाती है। भीमाशंकर यात्रा करने के लिए एक सर्वोत्तम स्थान है,
यहाँ की ठंडी हवाएं और पक्षियों की चहचहाट आपको
बहुत पसंद आएँगी। भगवान शिव के
दुसरे ज्योतिर्लिंगों की तरह यहाँ भी महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से
मनाया जाता है।
मंदिर की संरचना
भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नई संरचनाओं का
समिश्रण है। इस मंदिर से प्राचीन विश्वकर्मा वास्तुशिल्पियों की कौशल श्रेष्ठता का
पता चलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। कहा जाता है कि महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर
की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की। नाना फड़नवीस द्वारा निर्मित
हेमादपंथि की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता है।
यहां के मुख्य मंदिर के पास मोक्ष कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञान कुंड, और कुषारण्य कुंड भी स्थित है। इनमें से मोक्ष नामक कुंड को
महर्षि कौशिक से जुड़ा हुआ माना जाता है और कुशारण्य कुंड से भीम नदी का उद्गम
माना जाता है। भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार
हैं। भीमाशंकर वन क्षेत्र और
वन्यजीव अभयारण्य द्वारा संरक्षित है जहां पक्षियों, जानवरों, फूलों, पौधों की भरमार है। यह जगह श्रद्धालुओं के
साथ-साथ ट्रैकर्स प्रेमियों के लिए भी उपयोगी है। इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की
भीड़ लगती है।
मंदिर की समय सारणी
:
मंदिर खुलने का
समय – 4:30 AM
आरती –
4:45 AM से 5।00 AM
निजारुप (मूल
शिवलिंग) का दर्शन – 5:00 AM से 5।30 AM
सामान्य दर्शन और
अभिषेक – 5:30 AM से 2:30 PM।
नैवेद्य पूजा –
12।00 PM। से 12।30 PM (इस समय अभिषेक नहीं किया
जाता)
आरती –
3:00 PM से 3:30 PM
श्रृंगार दर्शन –
3:30 PM से 9:30 PM।
आरती –
7:30 PM से 8:00 PM
(मदिर में सोमवार के प्रदोषम, अमावस्या, ग्रहण, महाशिवरात्रि के दौरान दर्शन नहीं कराये जाते।
कार्तिक और श्रवण महीने के दौरान मुकुट और श्रृंगार दर्शन नहीं कराये जाते)
आप
यहां सड़क और रेल मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। पुणे से भीमाशंकर के लिए
सीधी सरकारी बसें रोजाना सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक चलती हैं, जिसे पकड़कर आप आसानी से भीमाशंकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मुंबई के कल्याण से भी सीधी बस मिल जाती है ।
महाशिवरात्रि या प्रत्येक माह में आने वाली शिवरात्रि
को यहां पहुंचने के लिए विशेष बसों का प्रबन्ध भी किया जाता है।
रुकने के लिए :
भीमाशंकर में रुकने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा एक धर्मशाला है और कुछ
दुकानदार भी होम स्टे करवाते हैं । इसके अलावा यहाँ और कोई अच्छा होटल या गेस्ट हाउस उपलब्ध नहीं है। यहाँ
से लगभग 10 किमी पहले एक जंगल रिसोर्ट में रुकने की अच्छी व्यवस्था है ।
अगली पोस्ट में आपको त्रिम्बकेश्वर ज्तोतिर्लिंग के दर्शन करवाएंगे .तब तक आप यहाँ की तस्वीरें देखिये ।
अगली पोस्ट में आपको त्रिम्बकेश्वर ज्तोतिर्लिंग के दर्शन करवाएंगे .तब तक आप यहाँ की तस्वीरें देखिये ।
जुहू बीच |
जुहू बीच |
जुहू बीच |
वाह ताज |
दोनों ताज और गेट वे ऑफ़ इंडिया -एक साथ |
पश्चिमी घाट |
पश्चिमी घाट |
भीमा शंकर की ओर |
भीमा शंकर परिसर |
मंदिर के पास तालाब |
नंदी महाराज |
विकी पीडिया से |
ॐ नमः शिवाय
ReplyDeleteहर हर महादेव
जय भीमाशंकर
धन्यवाद सचिन भाई .हर हर महादेव .
Deleteकल्याण से जाने के लिए बस कितने बजे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के लिए मिलेगी प्लीज जानकारी दीजिए
DeleteWaha room mil jayenge ki nhi...
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-07-2018) को "सावन आया रे.... मस्ती लाया रे...." (चर्चा अंक-3049) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शाश्त्री जी .संवाद बनाये रखें
Deleteबहुत ही सुंदर लेख...
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी ..
DeleteBahut badhiya mujjhe pichle saptah bheemashankar jyotirling ke darshan ka soubhagya prapt hua. Atyadhik barish ke karan jayada jankari nhi mil ski thi jo aapke lekh ne puri kar di.vatsav me bhemashanr mandir aur vaha tk jane vala rasta behed khubsurat aur ajeeven yaad rahne vala hai..aapka dil se dhnaywad aur badhia itni khubsoorat post ke liye naresh ji.
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिमा जी .हम भी वहाँ बारिश में ही पहुंचे ..बारिश में ही वापिस आये .
DeleteDetailed information about Bhimashankar Jyotirling.Thanks Sehgal ji for sharing it with us.
ReplyDeleteधन्यवाद अजय जी .
DeleteHar Har Mahadev आपका आशीर्वाद सदैव सब पर बना रहे..........Mukesh Kukreti
ReplyDeleteधन्यवाद मुकेश कुकरेती .
Deleteहर हर महादेव .... भीमाशंकर महादेव की जानकारी से परिपूर्ण शानदार लेख और चित्र
ReplyDeleteधन्यवाद रीतेश गुप्ता जी .
DeleteGood description with beautiful pictures. Om Hr Hr Mahadev.
ReplyDeleteधन्यवाद जी .
Deletehar har mahadev jay Baba kashi vishvanatha
ReplyDeleteधन्यवाद रवि कान्त शुक्ल जी
Deleteसपूर्ण जानकारी से भरी हुई एक शानदार पोस्ट. जय भीमाशंकर की .
ReplyDeletedhanyvad, jai Bhimashankar.
Deleteसुंदर सजीव वर्णन व चित्र। भीमाशंकर यात्रा के दौरान मेरा एक रोमांचक अनुभव आप यहाँ पढ़ सकते है।
ReplyDeletehttps://meenasharmma.blogspot.com/2016/08/blog-post.html
धन्यवाद मीना शर्मा जी .ब्लॉग पर आपका स्वागत है . सवांद बनाये रखिये .
Deleteमेरी माताजी जो घुटनों के दर्द के कारण ज्यादा दूरी तक चल फिर नहीं पाती और ज्यादा सीढियां चढ उतर नहीं पाती है क्या उन्हें भीमाशंकर व घुष्नेश्वर ले जाना उचित रहेगा?? अपनी राय देवे..
ReplyDeleteआनन्द जी घुष्नेश्वर तो कोई दिक्कत नहीं होगी . वहाँ तो मात्र तीन चार सीडियां है और जयादा चलना भी नहीं पड़ता .हाँ भीमाशंकर में काफी सीडियां उतरना-चढना पड़ता हैं और कुछ दूर पैदल भी चलना पड़ता है .
DeleteVery interesting post, we enjoyed each and everything as per written in your post. Thank you for this article because it’s really informative. Your photos are absolutely stunning! I would love this awesome post.
ReplyDeleteThanks Ankita Singh.
DeleteThank you so much for this information ….I liked your blog very much it is very interesting and I learned many things from this blog which is helping me a lot.
ReplyDeleteVisit our website: Escape to the vibrant Mexico City