भाग 1 : अम्बाला से ओंकारेश्वर
भाग 2 : ओंकारेश्वर दर्शन
भाग 3 :ममलेश्वर दर्शन
ओंकारेश्वर मन्दिर में दर्शन करने के बाद हम लोग ममलेश्वर मंदिर की ओर चल दिए। ममलेश्वर मंदिर एक बहुत पुराना मंदिर है, यह ओंकारेश्वर मंदिर से नर्मदा नदी के दूसरे तट पर मौजूद है। ओंकारेश्वर एक प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन माना जाता है कि ममलेश्वर ही वास्तविक ज्योतिर्लिंग है।इसका सही नाम अमरेश्वर मंदिर है। ममलेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर 10 वीं सदी में बनाया गया था। यह मंदिरों का एक छोटा सा समूह है। अपने सुनहरे दिनों में इसमें दो मुख्य मंदिर थे लेकिन आजकल केवल एक बड़े मंदिर को ही भक्तों के लिए खोला जाता है। मंदिरों का यह समूह एक संरक्षित प्राचीन स्मारक है।
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ममलेश्वर मन्दिर |
हम ममलेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए मुख्य सड़क से पहले काफी नीचे उतरना पड़ा और फिर सीड़ियों से चढ़ाई करनी पड़ी। पूरे रास्ते में भगवान के चड़ावे के लिए बिल्व पत्र, फूल और मिठाई के पैकेट स्टालों पर बिक रहे थे। ममलेश्वर मंदिर ज्यादा बड़ा मंदिर नहीं है। भगवान शिव, शिवलिंग रूप में पवित्र स्थान के केंद्र में मौजूद है। पार्वती माता की मूर्ति दीवार पर मौजूद है। ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग में आप खुद के द्वारा शिवलिंग को अभिषेकं कर सकते हैं और छू सकते हैं । ममलेश्वर के मुख्य मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के कई छोटे मंदिर हैं।
ममलेश्वर मंदिर में आने वाले श्रदालुओं की संख्या ओंकारेश्वर की तुलना में दसंवा हिस्सा भी नहीं थी। जहाँ एक और ओंकारेश्वर में काफी भीड़ थी और दर्शनों के लिए धक्का मुक्की हो रही थी ,यहाँ भीड़ बिलकुल भी नहीं थी। लोग आराम से दर्शन कर रहे थे।जहाँ ममलेश्वर मंदिर में आप शिवलिंग को स्वयं अभिषेक कर सकते हैं ,छू सकते हैं ,तस्वीरें ले सकते हैं वहीँ ओंकारेश्वर में यह सब कुछ वर्जित है। भगवान से फुर्सत से मिलना सचमुच काफी सकून दायक होता है। लेकिन कम भक्तों के कारण शायद चढ़ावा भी कम होता है जिसका असर मंदिर की देखरेख पर साफ दिख रहा था। मंदिर के गर्भ गृह के आस पास सफाई नगण्य थी।
मुख्य मंदिर में आराम से दर्शनों के बाद मैं आसपास तस्वीरें लेने लगा ओर मेरे दोनों साथी बाहर बैठ कर मेरी प्रतीक्षा करने लगे। मंदिर की दीवारों पर काफी अच्छी मूर्तिकारी की हुई है। इसी मूर्तिकारी के कारण ही इस मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है। मंदिर के गर्भ गृह के सामने नंदी जी की विशाल मूर्ति है। एक अन्य मंदिर भी वहां पर था जिसके बाहर ताला लगा हुआ था।
ममलेश्वर मन्दिर में दर्शन करने के बाद हम लोग बस स्टैंड की ओर चल दिए। ममलेश्वर मंदिर से एक शार्ट कट सीधा बस स्टैंड की तरफ़ निकलता है जिससे आप सीडीयाँ उतरने व दोबारा चढ़ने के झंझट से बच सकते हैं।
ओंकारेश्वर आने से पहले मैंने घुमक्कड़ पर मुकेश भालसे जी से आस पास के घुमने योग्य इलाकों की जानकारी मांगी थी। उन्होंने मुझे महेश्वर व देवास जाने की सलाह दी थी। इसलिए हमने अपने प्रोग्राम में महेश्वर को शामिल किया था । हमारा प्रोग्राम यहाँ से महेश्वर जाने का था और शाम को इंदौर लौटना था, जहाँ हमने पहले से ही कंपनी के गेस्ट हाउस में कमरा बुक करवा रखा था, लेकिन बस स्टैंड से महेश्वर के लिए कोई बस नहीं थी। एक बस ड्राईवर से पूछने पर उसने बताया की अब महेश्वर जाने को यहाँ से कोई सीधी बस नहीं मिलेगी और और यदि मोरटक्का से बस मिल भी जाती है तो भी आप शाम को ही वहाँ पहुँच सकते हैं और वहाँ से रात को इंदौर पहुँचना बहुत मुश्किल हो जायेगा।
हमने महेश्वर जाने का प्रोग्राम रद्द किया और खाना खाने के लिये बस स्टैंड के पास मौजूद एक भोजनालय में चले गये। सुबह की अपेक्षा अब खाना अच्छा था। खाना खाने के बाद हमने इंदौर के लिये बस ले ली। सुबह की अपेक्षा इस बस कि गति ठीक थी लेकिन फ़िर भी 70 किलोमीटर की दुरी तय करने में 2 घंटे लग गये। हमें इंदौर में ट्रांसपोर्ट नगर पहुँचना था इसलिये बस ड्राईवर के कहे अनुसार हम बस स्टैंड से पहले ही उतर गये। वहाँ से हमारा गेस्ट हाउस लगभग 2 किलोमीटर था लेकिन रिक्शा या आँटो रिक्शा करने कि बजाय हम पैदल ही इंदौर के बाजारों में घूमते हुये वहाँ चले गये। गेस्ट हाउस बहुत बढिया बना हुआ था। कमरे पर पहुँचकर सबसे पहले चाय पी और केयर टेकर को रात के खाने के लिये बोल दिया। थोड़ी देर आराम करने के बाद हम सब लोग नहाकर बाहर घूमने निकल गये। वापिस लौटकर खाना खाया, खाना काफ़ी स्वादिष्ट बना था, खाना खाकर एक बार फिर घूमने निकल गये। रात 10 बजे के करीब वापिस आकर सो गये।
अगले दिन सुबह उठ कर जल्दी से तैयार हो गए लेकिन नाश्ता लेट तैयार होने की वजह से कमरे से निकलते-2सुबह के 10 बज गए। मेन रोड पर आकर बस स्टैंड के लिए एक ऑटो लिया और कुछ ही देर में फिर से सरवटे बस स्टैंड पहुँच गए। वहां से उज्जैन जाने वाली पहली बस पकड़ ली लेकिन इस बस ने भी कल की तरह ,इंदौर के हर चौराहे पर रुक रुक कर ,काफी समय बर्बाद कर दिया। हम जल्दी से उज्जैन पहुँच कर कल सुबह होने वाली भष्म आरती में शामिल होने के लिए आवेदन करना चाहते थे लेकिन शायद बस वाले को कोई जल्दी नहीं थी। इंदौर से उज्जैन की दुरी लगभग 80 किलोमीटर है। इंदौर से उज्जैन व् इंदौर से ओम्कारेश्वर के बीच सड़क काफ़ी अच्छी बनी हुई है । इंदौर शहर से बाहर निकलकर बस तेजी से भागने लगी लेकिन फिर भी हमें उज्जैन पहुँचते -2 दोपहर के 1 बज गए।
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ममलेश्वर मन्दिर मुख्य द्वार |
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ममलेश्वर मन्दिर गर्भ गृह द्वार |
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ममलेश्वर मन्दिर गर्भ गृह |
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ममलेश्वर मन्दिर गर्भ गृह |
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ममलेश्वर मन्दिर |
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नंदी महाराज |
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ममलेश्वर मन्दिर की दीवारों पर कलाकारी |
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ममलेश्वर मन्दिर की दीवारों पर कलाकारी |
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ममलेश्वर मन्दिर की दीवारों पर कलाकारी |
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दो बेचारे |
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इंदौर गेस्ट हाउस में रखी गणेश जी की मूर्ति |
नरेश भाई मम्लेश्वर महादेव के दर्शन कराने के लिए आभार। मैं भी जून 2015 में यहां पर गया था, बहुत ही सुंदर जगह है ये।
ReplyDeleteThanks Sachin ji for your kind words
DeleteMamlesgawar mandir ke darshan karane ke liye bahut bahut dhanyvaad
ReplyDeleteThanks Harshita jee
ReplyDeleteममलेश्वर मन्दिर की बनावट बहुत ही खूबसूरत है ! एक अलग तरह की स्टाइल है ! इस मंदिर का भी इतिहास लिखते तो बेहतर होता !!
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी ।
Deleteधन्यवाद योगी जी ।
DeleteThanks, this is a great list. Amazing collection of your list and wonderful pictures.Thanks for sharing your personal marvelous and travel experience about Mamlesgawar mandir. I definitely enjoyed reading it.
ReplyDeleteThanks Ankita.
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