मणि महेश कैलाश
यात्रा-2 ( Manimahesh Yatra )
मणि महेश कैलाश
यात्रा-2 ( पठानकोट-चम्बा-भरमौर–हडसर )
पठानकोट
से चम्बा की दुरी लगभग 125 किलोमीटर है। लगभग पूरा रास्ता पहाड़ी है । बस में 160 रुपये की टिकेट लगी । टिकेट के पीछे दुरी 130 किलोमीटर लिखी थी ।
शायद बस का रूट कुछ अलग हो ,बाइपास वगैरह से ।
बस धार कलां , भात्वान और बनीखेत होते हुए गयी । बनीखेत से ही दायें तरफ डलहौजी की सडक कटती है । यहाँ से डलहौजी मात्र 8 किलोमीटर की दुरी पर है जबकि चम्बा 45
किलोमीटर दूर है । यहाँ तक खूब बारिश मिली, मौसम
भी एकदम सुहावना बना हुआ था लेकिन मेरे लिए बस का सफ़र आरामदायक नहीं रहा , पुरे
रास्ते खाली पेट होने से और नींद के कारण परेशान रहा । पहाड़ी रास्ता होने के कारण
जी अलग मिचलाने लगा । बैग में परांठे पैक किये हुए रखे थे लेकिन खाने की बिलकुल भी इच्छा नहीं थी ।
मालूम था अगर कुछ भी खा लिया तो तुरंत मुंह से ही वापिस निकालना
पड़ेगा । रास्ते में एक जगह चाय नाश्ते के लिए बस रुकी । यहाँ मैंने नीबूं सोडा ही लिया , इसके बाद
मेरी तबियत में हल्का सा सुधार आया ।
हडसर से दिखता हिमालय |
चार घंटे की थकाऊ यात्रा के बाद आख़िरकार दोपहर करीब
साढ़े बारह के करीब बस चम्बा
पहुंची । चम्बा बस अड्डे से पहले ही बस कंडक्टर ने घोषणा कर दी की यही बस आगे भरमौर
जाएगी और जिन्होंने मणिमहेश जाना है वो इसी बस में बैठे रहे । वैसे मेरी पहले ये इच्छा थी की थोड़ी देर चम्बा में रूककर , कुछ खा पीकर फिर भरमौर की बस लेता लेकिन सुबह के
अनुभव को देखते हुए वो विचार त्याग दिया । चम्बा आकर बस लगभग आधी खाली हो गयी। मैं
जल्दी से एक दुकान से एक लिम्का और निम्बू ले आया ताकि आगे का बस का सफ़र भी ठीक से कट जाये ।
10 मिनट रुकने के बाद
बस भरमौर की ओर चल दी। चम्बा से भरमौर
की दुरी 65 किलोमीटर है, यहाँ 90 रुपये की टिकेट लगी। पूरा रास्ता पहाड़ी और खतरनाक है और लगभग सारा सिंगल लेन भी ।
पठानकोट से चम्बा तक तो काफी अच्छी सड़क बनी है लेकिन चम्बा से भरमौर जाने वाली सड़क
की हालत काफी ख़राब थी। रास्ते की भयावकता को देखकर आँखों से नींद तो गायब ही हो
गयी । लगभग पुरे रास्ते सड़क
के बायीं तरफ गहरी खाई मे नदी बह रही थी । सिंगल लेन होने के कारण बस की गति भी कम
ही थी । इस 65 किलोमीटर की दुरी तय करने में तीन घन्टे से ज्यादा लग गए और बस साढ़े
चार बजे भरमौर पहुंची, यहाँ का बस स्टैंड हडसर की तरफ है यानि की पूरा भरमौर क्रॉस
करने के बाद । भरमौर में प्रवेश करते ही भयंकर जाम मिला ,थोड़ी देर तक तो बस में ही
बैठे रहे लेकिन फिर धीरे -2 सवारियां उतर कर पैदल ही चलने लगी । मैं भी नीचे उतर
गया एक दुकान से पूछा की हडसर जाना है किस तरफ जाऊं तो उसने बताया कि जो सड़क नीचे
की तरफ जा रही है उस पर जाओ और आखिर में सड़क के ऊपर ही हडसर जाने वाली बस खडी
होंगी । मैं वहाँ से पैदल ही हडसर की तरफ़ चल पड़ा ।
पूरे रास्ते में बुरी तरह जाम था ,लगता था सभी
लोग अपना काम धाम छोड़ कर यहीं आ गए हैं ।गाड़ियों की बड़ी लम्बी लाइन और उस पर उनके
हॉर्न की कर्ण भेदी आवाजें । गाड़ियों के बीच से निकलता हुआ लगभग एक किलोमीटर चलने
के बाद मैं बस स्टैंड पहुँच गया । यहाँ से हडसर की दुरी 13 किलोमीटर है । यहाँ से
सामने हडसर दिखता भी है लेकिन पहाड़ी रास्ता होने के कारण दूर पड़ता है । हडसर
जाने के लिए एक बस खड़ी थी 8 -10 लोग पहले से उसमे बैठे थे , मैं भी उसमे बैठ गया ।
जब काफ़ी देर तक बस नहीं चली तो ड्राईवर से पूछा की बस का चलने का टाइम क्या है तो
उसने बताया की कोई टाइम नहीं है जब भर जाएगी तो चलेंगे , ऐसा तो मैंने प्राइवेट
जीपों में देखा था सरकारी बस में पहली बार ऐसा देखा। कोई और चारा न देख, बस भरने
का इंतजार करने लगा । तभी एक पिक-अप वैन जो हडसर की तरफ जा रही थी वहाँ आकर रुक गयी
। एक लड़के ने उससे बात की और फिर बस में बैठे अपने साथियों को बुला लिया और बस में
से लड़के भागकर उस पर सवार हो गए, मैंने भी देर नहीं की। वैन में सामान के बावजूद काफ़ी
लोग उस पर सवार हो गए और थोड़ी ही देर में सब से 20-20 रुपये देकर हडसर पहुँच गए ।
अब
तक शाम के 6:30 बज चुके थे और दिन ढल आया था। मैंने घर से चलने से पहले जो
प्रोग्राम बनाया था उसके अनुसार मैं आराम से 2-3 बजे तक हडसर पहुँचता और सीधा धणछो
के लिए निकल जाता ।हडसर से धणछो 6 किलोमीटर की दुरी पर है और चढ़ाई भी ज्यादा कठिन
नहीं है । धणछो में ठहरने के लिए काफी जगह मिल जाती हैं । अगले दिन सुबह धणछो से
मणिमहेश जाता जो वहाँ से 8 किलोमीटर दूर हैं और वहाँ से दर्शन के बाद शाम तक वापिस
हडसर पहुँच जाता । इसमें ज्यादा भागदौड़ भी नहीं थी। समान्यत ऐसा हो भी जाता
क्योंकि पठानकोट से हडसर की दुरी लगभग 200 किलोमीटर है । 7-8 घंटे में यहाँ पहुँच जाना चाहिए था ।लेकिन जैसा
आदमी सोचता है हमेशा वैसा होता नहीं ।पहले बस न मिलने से फिर भयंकर जाम मिलने से
हडसर पहुँचने में 12 घंटे से भी ज्यादा समय लग गया ।
अब
तक मेरी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी सबह का भूखा प्यासा और नींद का मारा । मुझे सड़क
पर चलते हुए भी चक्कर आ रहे थे। मुझे ठहरने के लिए जगह की तलाश थी । कहीं कोई रूम
मिले और जाकर सो जाऊं लेकिन हडसर में ठहरने के लिए बहुत सिमित जगह हैं। कही रूम
मिल ही नहीं रहा था । लंगर वालों से पता किया तो जबाब मिला की रात 9 बजे के बाद
बता पायेंगे । काफ़ी खोजबीन के बाद एक रूम मिला ।
नीचे दुकाने थी और ऊपर दो तीन मंजिला घर । सीडियाँ चढ़कर ऊपर गया तो सामने एक
18 -19
वर्ष की दिखने वाली सुन्दर लड़की दिखी ।
मैंने कहा रात
रुकने के लिए रूम चाहिए।
वो बोली हाँ ,मिल जायेगा , कितने लोग हो ?
मैंने कहा.. अकेला ।
लड़की थोडा मुस्कराई
और थोड़ी हैरानी से बोली अकेले ही आये हो ?
मैंने सर हिलाया । क्यूँ
अकेले आना मना तो नहीं है ?
नहीं । कहाँ से आये
हो ?
अम्बाला से। रूम के लिए किससे बात
करनी पड़ेगी ?
बोली.. मैं हूँ न ।
मुझसे ।
मैंने भी पूछ लिया
तुम यहाँ अकेले मैनेज करते हो ?
बोली नहीं सब हैं ।
सास, ससुर, देवर, देवरानी ।
मैं आश्चर्य से मन
ही मन बुदबदाया सास, ससुर ???? देवर, देवरानी भी ।
चलो ठीक है। रूम
दिखाओ और रेंट बताओ ।
एक कमरा दिखाया।
पुराना सा सीलन वाला कमरा , लकड़ी की छत। शायद काफ़ी समय से बंद था और किराया 200
रुपये । साथ में शर्त भी की कोई और आ गया तो शेयर करना पड़ेगा । नहीं तो तीन सौ किराया । सारी शर्तें मंजूर की और कोई रास्ता भी
नहीं था । लड़की बड़ी व्यवहार कुशल थी । बातचीत में कोई संकोच नहीं। मैंने उनसे पूछा
की मुझे सुबह जल्दी निकलना है लेकिन मैं अपना सामान यहीं छोड़कर जाऊँगा तो जबाब
मिला की आप कल रात तो वापिस आ नहीं पाओगे सामान हमारे पास रख देना उसका कोई किराया
नहीं । मैंने थोड़ी उनसे मणिमहेश की जानकारी ली । उस लड़की ने बताया कि 14 किलोमीटर
की लगातार चढाई है कहीं भी समतल या उतराई नहीं मिलेगी। उसका पति वहीँ मणिमहेश झील
पर पुजारी है ।
कमरे से बाहर आँगन में ही शौचालय और स्नानघर था
। मेरा तो दिन ही अब शुरू हुआ था अभी तक सबह का ब्रश भी नहीं किया था । सारे काम
निपटाए और नहा-धोकर ट्रैकिंग के लिए पूरी तरह तैयार हो गया । अब खाना खाने की बारी
थी । नीचे सड़क पर कई लंगर लगे हुए थे लेकिन वहाँ जाने की हिम्मत नहीं हुई । बैग में से घर से लाये हुए परांठे निकाले .लाया तो इन्हें नाश्ते के लिए था लेकिन सुबह नाश्ता न कर सका .इन्ही ठन्डे परांठो को आचार के साथ खाकर भूख शांत की और सोने के लिए लेट गया। अभी झपकी लगने ही वाली थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई । वोही घर की छोटी
मालकिन थी । दरवाजा खोला । वो बोली, तीन लोग और आयें हैं। यह रूम उनको दे दो। आप
मेरे साथ ऊपर चलो वहां एक दूसरा कमरा है आप वहां सो जाना । आदेश मान्य हुआ । जिस
कमरे में अब गया वो पहले के मुकाबले साइज़ में आधा भी नहीं था मुश्किल से 8 फिट
गुना 7 फ़ीट का , लेकिन एकदम साफ़ सुथरा। एक सिंगल बेड लगा था और नरम नरम बिस्तर ।
दिल खुश हो गया । मैंने घर की छोटी मालकिन से पूछ लिया अब यह रूम तो फाइनल है न ?
अब मैं चेंज नहीं करने वाला और हाँ ,मैं सुबह जल्दी निकल जाऊँगा और मेरा बाकी
सामान यहीं रहेगा, आप संभाल लेना। । मुस्कराते हुए जबाब मिला , ठीक है और ये रूम
आपका फाइनल है, जो आपका फ़ालतू सामान होगा उसे यहीं छोड़ देना ,हम संभाल लेंगे । अब
आप आराम से सो जाओ ।
आज बहुत थक गया था
। नींद के कारण अजीब सा फील हो रहा था । सोने से पहले भोले नाथ से धमकी वाले अंदाज
में प्रार्थना की भोले नाथ आज की सारी थकान और परेशानी नींद के साथ ही मिटा देना
अगर सुबह भी यही हाल रहा तो यहीं से वापिस लौट जाऊँगा । ऐसा कहकर सुबह पांच बजे का
अलार्म लगा कर गहरी नींद में सो गया ।
अगली पोस्ट जल्दी
ही तब तक आप हडसर व मणिमहेश ट्रेक की कुछ फोटो देखें ।
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
बहुत बढ़िया, सहगल साहब
ReplyDeleteधन्यवाद ओम भाई जी .
ReplyDeleteबढ़िया सहगल साहब मैंने भी अकेले यात्रा की बहुत लेकिन मुझे कभी कोई नही मिला ऐसा
ReplyDeleteधन्यवाद विनोद भाई . किसी का मिलना न मिलना इत्तफाक की बात है .
Deleteसबसे बढ़िया लगा "अकेले मैनेज करते हो, नहीं सब हैं ना सास ससुर, देवर देवरानी"। इतने सारे लोग मैनेज करते होंगे क्या। फोटो के लिए निशब्द हूँ।
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षिता जी .
Deleteछुपे छुपे से रहते हैं सरे आम नहीं हुआ करते..
ReplyDeleteकुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं उनके नाम नहीं हुआ करते nice post with beautiful pictures.
धन्यवाद .
Deleteदिल का बुरा नहीं बिलकुल ,
बस
लफ्जों में थोड़ी शरारत लिये फिरता हूँ . :)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteलाजवाब यात्रा वर्णन हमेशा की तरह और तस्वीरें तो मनमोहक हैं ही।
ReplyDeleteधन्यवाद मुकेश जी . ब्लॉग पर आतें रहें .
Deleteजैसा कि मुझे आशा थी कि चंबा के लिए सीट मिलने के साथ ही आपकी दुश्वारियाँ कम होती चली जाएंगी, स्थितियाँ उस तरफ बढ़ ही रही है। अंत होते होते एक सीलन भरे कमरे से आरामदायक कमरे में जगह मिल पाना उसी अच्छी शुरुआत की अगली कड़ी है। दोनों पोस्ट्स अपने अंत में एक बेहतर संभावना के साथ समाप्त हो रही है, यह आपकी साकारत्मकता को प्रदर्शित करता है।
ReplyDeleteआपकी धमकी का अंदाज़ जबरदस्त है और एक भोला ही अपने भोले पर इतना अधिकार रख सकता है 🙏
फ़ोटोज़ मनमोहक हैं।
शेयर के लिए धन्यवाद 💐
धन्यवाद अवतार जी . अब भोले पर विश्वाश करना है तो पूरा ही करेंगे .किश्तों में क्या करना . जैसे छोटे बच्चे मन बाप को कई बार निस्वार्थ धमका लेते है , मेरी धमकी भी कुछ वैसी ही थी .
Deleteबहुत बढ़िया.लाजवाब यात्रा वर्णन और शानदार तस्वीरें .
ReplyDeleteधन्यवाद अजय जी .
Deleteबढ़िया संस्मरण,बढ़ते चलो।
ReplyDeleteधन्यवाद ललित जी .स्नेह बनाये रखें .
Deleteबेहतरीन।
ReplyDeleteधन्यवाद सैनी साहेब .
Deleteअरे सहगल साब , होटल का नाम पर्सनल में बता देना मुझे ! :) खैर यात्रा अच्छी और जानकारी भरा वृतांत चल रहा है ! तसवीरें शानदार हैं ! सारे काम निपटाए और नहा-धोकर ट्रैकिंग के लिए पूरी तरह तैयार हो गया । अब खाना खाने की बारी थी । नीचे जाकर कहीं खाने की हिम्मत नहीं हुई । घर से लाये हुए परांठे निकाले और आचार के साथ खाकर सोने के लिए लेट गया। यहां तारतम्य सही नहीं बैठ रहा ? दोबारा पढ़िए एक बार
ReplyDeleteयोगी जी होटल नहीं , होम स्टे था . आपकी सलाह पर वाक्य में परिवर्तन कर दिया है .आशा है अब तारतम्य सही बैठ रहा है .
Deleteधन्यवाद आपका
Deleteभोला से पहले भोली से मुलाकात !
ReplyDeleteबढ़िया यात्रा संस्मरण लिखा सहगल साहब , मगर जल्दी ही ख़त्म हो गया । योगी जी की बात पर भी ध्यान दीजिए । फोटो तो हमेशा की तरह शानदार रही ।
धन्यवाद मुकेश जी . अगले दिन का संस्मरण शुरू होने से पहले यहीं ब्रेक देना उचित लगा . योगी जी की सलाह माँ ली गयी गयी है .
Deleteपहाड़ी सदैव ऐसे ही मुस्कुरा के मिलते है :)👍 शानदार लेख, संभव हो तो मणिमहेश माहात्म्य पर भी एक पेज लिखे ज्ञानवर्धन के लिए
ReplyDeleteधन्यवाद मिश्रा जी . अगले भाग में मणिमहेश माहात्म्य पर लिखने की कोशिश रहेगी .
Deletenice post
ReplyDeleteधन्यवाद रमेश जी.
Deleteयात्रा की शुरुआत थोड़ी परेशानी वाली थी , पर भोले बाबा जो करता है अच्छा ही करता है ।पढ़ने में मजा आ रहा है ।
ReplyDeleteधन्यवाद किशन जी . आपकी बात से सहमत
Deletebadhiya shuruat hai... jaldi trek ki foto lagao.
ReplyDeletechhoti malkin ki foto nahi li ?
धन्यवाद तिवारी जी .अगले भाग में ट्रेक की तस्वीरें खूब मिलेंगी .. और फोटो कैसे लेता ..शरीफ बच्चा हूँ .
Deleteबहुत ही बढ़िया यात्रा विवरण
ReplyDeleteधन्यवाद तारकेश्वर गिरी जी .
Deletebahut hi achcha vivaran hai sirji... kaya aap ne jo rout apanaya us ke alava koi or rout nahi? jo delhi se sidha ja sako?
ReplyDeleteधन्यवाद किशोर जी.
Deleteमस्त...
ReplyDeleteधन्यवाद जोगी जी.
Deletenice post and beautiful pic. thanks for sharing
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन जी.
Deleteजय भोलेनाथ
ReplyDeleteधन्यवाद अनिल जी.जय भोलेनाथ .
Deleteबहुत अछि शुरुआत और दूसरा दिन बहुत अच्छा...फोटो देख कर बहुत अच्छा लगा...भोले के लिए आपका प्यार ही आपकी सकारात्मकता की और अग्रसर कर रहा है
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक जी .
Deleteबहुत अछि शुरुआत और दूसरा दिन बहुत अच्छा...फोटो देख कर बहुत अच्छा लगा...भोले के लिए आपका प्यार ही आपकी सकारात्मकता की और अग्रसर कर रहा है
ReplyDeleteपुनः सीलन भरे कमरे कमरे से साफसुथरे कमरे का मिलना आप पर भोलेनाथ की कृपा को इंगित करता है....
ReplyDeleteजय हो भोले की ...
धन्यवाद त्यागी जी . जय भोले की .
Deleteचित्र बहुत ही मनमोहक है । यात्रा और ठहरने का इतंजाम मे दिमाग दौड़ाना पड़ा । बहुत ही जानकारी सहित लेख है । अगले भाग के प्रतिक्षा मे है ।
ReplyDeleteधन्यवाद कपिल जी . जय भोले की .अगला भाग भी लिख दिया है .
Delete2012 में जाट देवता के साथ गया था सहगल जी
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश जी . जय भोले की .
Deleteजानकारी ,रोचकता व मनमोहक चित्रों से सम्माहित एक शानदार लेख.
ReplyDeleteधन्यवाद राज जी . जय भोले की .
Deleteअति सुन्दर चित्र और उनसे भी सुन्दर वर्णन।
ReplyDeleteधन्यवाद सुशांत जी .स्नेह बनाये रखें .
Deleteजय भोले की नरेश जी....
ReplyDeleteआपकी मणिमहेश यात्रा का ये भाग बहुत अच्छा लगा... अच्छा हुआ की आपको हडसर कमरा मिल गया चाहे कैसा भी हो...जब थकान होती है तो यही पांच सितारा जैसा आराम देता है...
लेख अच्छा लगा और चित्र तो हमेशा की तरह शानदार
धन्यवाद रीतेश जी . आपकी बात से बिलकुल सहमत .जय भोले की
DeleteBahut badhiya Naresh Ji, yaatra sahi ja rahi hai...Maja aa raha hai padhkar
ReplyDeletethanks Pradeep ji..
Deletekya baat hai naresh ji, manimahesh yatra ki yaaden taaja karwa di aap ne
ReplyDeletekya baat hai naresh ji, manimahesh yatra ki yaaden taaja karwa di aap ne
ReplyDeleteThanks Sushil ji..
ReplyDeleteमन में ठान लिया तो सब सुगम हो जाता है। पर भोला भी इतना भोला नहीं है कि हर किसी को आराम से बुला ले ,प्रयास करने वालो को कभी खाली हाथ नहीं भेजता भोले, शानदार और दमदार यात्रा ...हम भी साथ है भोला की कृपा से 🤓
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ जी ।जब तक ईश्वर का बुलावा न हो किसी भी तीर्थ यात्रा पर जाना संभव नहीं है ।
Deleteवाह वाह मजा आ गया सहगल साहब आपने भोलेनाथ को भी धमकी दे दिया। वैसे ऐसा धमकी देने वाला कार्य केवल महादेव के भक्त ही कर सकते हैं, जो उनको नहीं मानता वो धमकी भी नहीं दे सकता। धमकी या प्यार तो अपने से ही करते हैं न।
ReplyDeleteधन्यवाद सिन्हा साहेब . अब भोले नाथ के भरोसे वहां तक अकेले चल पड़े ,अगर दिक्कत आई तो उसे ही धमकायंगे .
Deleteजय हो । हम जैसे नए लोगों के लिए बहुत प्रेरणा दायक ।
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश जी ..
Deletepadh k aisa laga jaise ki main hi safar kar rha hu. bahut achi lekhni hain aapki aur aapke irade bhi bahut mazboot hai. itni visam paristhiti me bahut kam log hi jo haar nahi maante hian.
ReplyDeleteधन्यवाद अनित कुमार जी ..
Deleteवाह! ये तस्वीरें वास्तव में अद्भुत हैं। आपकी तस्वीरें एक अद्भुत कहानी बताती हैं। आपकी तस्वीरें बिल्कुल आश्चर्यजनक हैं! मुझे एक दिन मनीमाहेश कैलाश यात्रा का दौरा करना अच्छा लगेगा। मुझे वास्तव में आपकी सुंदर पोस्ट पसंद है। प्रभावी जानकारी के लिए धन्यवाद। यदि आप टैक्सी सेवाओं को चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से बुक कर सकते हैं। हम पूरे भारत में टैक्सी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
ReplyDeleteVisit:-https://www.bharattaxi.com
धन्यवाद अंकिता सिंह जी
Delete"Great blog, it seems lots of effort and time was put into it. But its nicely written, reading this is effortless.
ReplyDeleteThanks"
Visit for us -
Car Hire
Car Booking
Taxi Rental
Taxi Hire
Car Hire
Cab Hire
Sehgal sahab yatra ka teesra n last part kab aayega
ReplyDeletesearch engine optimization services in bangalore
ReplyDeleteSearch engine optimization Services & why we need SEO Services
SEO is one of the important marketing methods any business would
require to get strong visibility on Search Engines. If you want
your website to get displayed on the first few results pages, this
is where you exactly required SEO.
If you looking for an expert in SEO services In Bangalore, Connect
with us and we guarantee to provide you with the right plans and strategies
that would meet your business requirements.
SEO might be a long-term process but success is certainly guarante
ed. You just have to apply the right strategies for the good yield.SEO is
successful when both searchers and the search engine are
provided with the relevant information.
So, if you want to boost your brand's online presence with our
Professional Search engine optimization Services, please look
for these benefits to have some more clarity:
search engine optimization in bangalore
?SEO increases Organic Traffic
SEO works wonder when you have to offer the same services what
your customer are exactly looking for. They are a great tool for
targeting and re-targeting strategies. If your traffic is increased,
visibility of your pages increases automatically and you don't have to
pay to get the messages to them.
सा कि मुझे आशा थी कि चंबा के लिए सीट मिलने के साथ ही आपकी दुश्वारियाँ कम होती चली जाएंगी, स्थितियाँ उस तरफ बढ़ ही रही है। अंत होते होते एक सीलन भरे कमरे से आरामदायक कमरे में जगह मिल पाना उसी अच्छी शुरुआत की अगली कड़ी है। Cordelia Cruise Packages
ReplyDeleteCordelia Cruise Mumbai to Goa
This is a good website, I have been reading its articles for a long time. If I do not find a solution to any problem, then I come and search on this website. However, a lot of work has happened that day when I did not get the answer to my question.
ReplyDelete1 Day Outing Near Delhi
Weekend Getaways Near Delhi NCR
Farmhouse Near Delhi For Weekend
im just reaching out because i recently published .“No one appreciates the very special genius of your conversation as the
ReplyDeletedog does.
(buy puppies online )
(shih tzu puppies )
(buy puppie online )
(buy puppies online )
(shih tzu puppies )