Thursday, 6 October 2016

Mata Vaishno Devi Yatra- Second Part

माता वैष्णो देवी यात्रा – प्रथम भाग

माता वैष्णो देवी यात्रा – दूसरा भाग  
बाण गंगा. माना यह जाता हैं की माता वैष्णोदेवी जब भैरो  देव से छिप कर के आगे बढ़ रही थी तो हनुमान जी भी उनके साथ साथ थे. हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाली और हनुमान जी ने अपनी प्यास बुझाई और उस जल में ही माता ने अपने केश धोए. आज यह पवित्र जलधारा बाणगंगा के नाम से जानी जाती है. बाण गंगा के जल में काफ़ी मछलिया तैरती रहती हैं. यहाँ कई लोग मछलियों को खिलाने के लिए आटे की गोलियां भी बेचते हैं .  बाण गंगा के पवित्र जल को पीने या इसमें स्नान करने से श्रद्धालुओं की सारी थकावट और तकलीफें दूर हो जाती हैं. यहीं पर माता का बाण गंगा मंदिर भी बना हुआ है. बहुत से लोग बाण गंगा पर स्नान करके आगे बढते हैं



बाण गंगा मार्ग के दायीं तरफ़ बह रही है यहाँ से थोड़ा आगे चलते ही दायीं तरफ भी बाण गंगा पर नहाने के लिए घाट बना हुआ है .यहाँ घाट काफ़ी अच्छा बना है और पानी को एक जगह रोक कर छोटा सा झरना भी बनाया हुआ है .इससे थोड़ा आगे चलते ही बायीं ओर से सीड़ियाँ वाला मार्ग भी शुरू हो जाता है . सभी के लिए यह मार्ग उपयुक्त नहीं है . शारीरिक रूप से चुस्त दरुस्त ,एवम पूर्ण स्वस्थ लोगों को ही सीड़ियाँ वाला मार्ग से जाना चाहिए . हमने भी सीड़ियाँ छोड़ दी और सीधा रास्ता पकड़ लिया . लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद ही पहला मोड़ आता है . इसी मोड़ पर गीता मंदिर बना हुआ है . और थोड़ा देर आगे चलने चरण पादुका मंदिर है .कहते हैं यहाँ माँ वैष्णो के चरणों के निशान हैं .यहाँ रूककर हमने मंदिर में माथा टेका और दर्शन किये .
यात्रा के पूरे रास्ते में खाने पीने के सामान की कोई दिक्कत नहीं . प्राइवेट दुकानों के अलावा श्राइन बोर्ड की कण्ट्रोल रेट पर सामान बेचने वाली दुकानों की भी कोई कमी नहीं . 10 रूपये में आपको चाय-कॉफी मिल जाती है .पीने के पानी की भी जगह –जगह सुविधा है और थोड़ी-थोड़ी दुरी पर शौचालय भी बने हुए हैं . रास्ते में सफ़ाई का भी बहुत अच्छा इंतजाम है . रास्ते भर आपको सफ़ाई कर्मचारी काम करते हुए मिल जायेंगे . वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने बहुत अच्छे काम किये हैं .दुसरे धार्मिक स्थानों के प्रबंधक बोर्ड को यहाँ से काफ़ी सिख मिल सकती है . अधिकतर रास्ते के ऊपर टिन शेड की छत है . जहाँ नहीं है वहां पर इसके लिए काम चल रहा है .
हमने सुबह 7:30 पर चढ़ाई शुरू की थी . रास्ते में रुकते-चलते, खाते-पीते सुबह 10 बजे तक अधकुवारी से आधा किलोमीटर पहले ही –जहाँ से नया रास्ता कटता है, वहां पहुँच गए . यहाँ से सीधा रास्ता बिना अधकुवारी गए हिमकोटी होते हुए दरबार पर चला जाता है . दायीं तरफ़ जाने वाला रास्ता अधकुवारी –हाथी मत्था –सांझी छत होते हुए दरबार पर जाता है . अधकुवारी से भी नए रास्ते (हिम कोटि वाले ) पर आने का एक लिंक मार्ग बना हुआ है.
हमने यहाँ थोड़ी देर विश्राम किया . हमने चाय पी और बच्चों ने आइसक्रीम का लुत्फ़ उठाया . थोडा आराम करने के बाद हमने आगे की यात्रा शुरू कर दी . यहाँ से नए रास्ते पर चढ़ाई कम है , महसूस नहीं होती . धीरे धीरे चलते हम दोपहर 12 बजे तक हिमकोटी पहुँच गए . यहाँ काफ़ी खुली जगह है .यहाँ रुकने के लिए धर्मशाला भी है और खाने के लिए भोजनालय भी . सुबह नाश्ता जल्दी किया था और तब से 8.5 किलोमीटर चल चुके थे .अब तक सभी को भूख लग चुकी थी .
खाने में छोले पूरी ,छोले भटूरे,  राजमा चावल ,कड़ी चावल ,डोसा आदि कई प्रकार के व्यंजन मिल जाते हैं ,बस चपाती नहीं मिलती .श्राइन बोर्ड के सभी भोजनालय में खाने के लिए सेल्फ सर्विस है. कैश काउंटर पर जाकर, जो भी खाना है उसके पैसे देकर रसीद लो और भोजन काउंटर पर जाकर रसीद देकर खाना ले लो .यहाँ लंगूर काफ़ी हैं .खाना खाते हुए ध्यान रखना चाहिए नहीं तो आपका खाना छीन कर ले जाने में ये देर नहीं लगाते .
खाना खाकर थोडा सुस्ताए ,चाय पी और आगे की यात्रा शुरू कर दी .यहाँ से रास्ता लगभग 90 डिग्री पर घुमकर उत्तर दिशा की ओर हो जाता हैं .यहाँ एक चेक पोस्ट भी है जहाँ आपका सामान एक बार फ़िर से चेक किया जाता है .यहाँ से लगभग एक घंटे का और रास्ता है .धीरे धीरे चढाई बड़ने लगती है. लेकिन रास्ता बेहद खूबसूरत बना है . इस नए रास्ते पर घोड़े- खच्चर मना है ,तो रास्ता एकदम साफ़ भी है . इसी रास्ते में थोडा सा हिस्सा भूस्खलन प्रभावित भी है .जहाँ काफ़ी सावधानी से निकलना पड़ता है .बरसात के दिनों में यहाँ अक्सर दुर्घटना होती रहती है. भवन से एक ढेड़ किलोमीटर पहले से ही भवन दिखना शुरू हो जाता है . भवन पर निगाह पड़ते ही सबसे पहले मन से ‘जय माता की’ निकलता है और थके हारे बदन को एक नयी उर्जा मिल जाती है .
हम लगभग दोपहर दो बजे माता के दरबार पहुँच गए .दरबार से पहले ही श्राइन बोर्ड की प्रशाद की दुकान है .वहीँ से हमने प्रशाद ले लिया . यहाँ माता को नारियल की भेंट अर्पित की जाती है साथ में फुलियाँ और इलायची दाना  . प्रशाद लेने के बाद सभी लोग नहाकर तैयार हो गए . सिर्फ प्रशाद हाथ में लेकर और बाकि सारा सामान क्लॉक रूम में जमा करवा कर माता के दर्शनों के लिए चले गए . भीड़ काफ़ी कम थी इसलिए लाइन नहीं लगी थी ,सीधा चलते हुए गुफा तक पहुँच गए .गुफा से थोडा पहले ही नारियल जमा करवा लिए जाते हैं उसके बदले आपको टोकन मिल जाता है .पहले नारियल अन्दर गुफा में ले जाना allowed था लेकिन आतंकवादियों द्वारा नारियल में बम भेजने की ख़बर और आशंका के चलते अब नारियल पहले ही जमा करवा लिया जाता है .दर्शनों को जाते हुए आप प्राकृतिक गुफा के सामने से ही निकलना पड़ता है . प्राकृतिक गुफा तो ज्यादातर समय बंद ही रहती है क्योंकि वो काफ़ी संकरी है . आजकल सभी को कृत्रिम गुफा से ही दर्शन होते है .धीरे धीरे चलते हुए हम पवित्र गुफ़ा में पहुँच गए . गुफा में माँ पिंडी स्वरूप में है. पुजारी लोग गुफा में ज्यादा देर नहीं रुकने देते . लेकिन भीड़ कम होने से हमने आराम से दर्शन कर लिए .एक पुजारी सबको तिलक लगा रहा था और दूसरा पिंडी के बारे बता रहा था .( बाएं से दायें) माँ सरस्वती ,माँ लक्ष्मी और माँ काली. दर्शनों के बाद दूसरी गुफा से बाहर आ गये .नीचे उतर कर प्रशाद लिया और टोकन देकर नारियल वापिस मिल गया . वहां से हम बाहर की तरफ आ गए .
बाहर आने पर भोजनालय से पहले ही नीचे की तरफ लगभग सौ सीड़ियाँ उतारकर भोले नाथ की गुफा भी है जहाँ बहुत से लोग अनजाने में नहीं जा पाते क्योंकि इस गुफा का सबको पता नहीं है .अब तो श्राइन बोर्ड ने इसका एक बड़ा सा बोर्ड भी लगाया हुआ है . भोले नाथ की गुफा में एक शिवलिंग स्थापित है और वहां पर प्राकृतिक जल बह रहा है .यहाँ से भी दर्शनों के बाद हम सबसे पहले क्लॉक रूम गए, सारा सामान लिया और कुछ जलपान किया .अब तक शाम के चार बज चुके थे और यहाँ स्तिथ मनोकामना भवन पर हमने रुकने के लिए पता किया .उन्होंने हमें बताया की इसकी बुकिंग ऑनलाइन या नीचे कटरा में  निहारिका भवन से होती है. उनकी फैक्स आने पर यदि जगह बच जाये तो यहाँ से बुकिंग कर लेते हैं .फैक्स शाम को 6 बजे आएगी उसके बाद ही मालूम चलेगा की कोई बेड खाली है या नहीं .यहाँ रूककर दो घंटे इंतजार करने से अच्छा हमने  भैरों मंदिर होते हुए अधकुवारीं जाना ज्यादा सही समझा .
आज की पोस्ट में इतना ही .अगली पोस्ट में भैरों मंदिर, सांझी छत - अधकुवारीं होते हुए कटरा वापसी .





गीता मंदिर

गीता मंदिर

गीता मंदिर

गीता मंदिर


गीता मंदिर
गीता मंदिर
चीड़ के पेड़





हिमकोटी




बैटरी वाली गाड़ी






चरण पादुका




भवन का दूर से दृश्य




पुरानी गुफा
दरबार

33 comments:

  1. मज़ा आ गया,जय माता दी

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    1. धन्यवाद रमेश जी ।जय माता दी।

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  2. बहुत सुन्दर वर्णन ,एक एक कदम की सटीक जानकारी।बहुत अच्छा लग रहा है,मन आत्मविभोर हो गया नरेश जी।जय माता दी।

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    1. धन्यवाद रुपेश जी ।जय माता दी।

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  4. नरेश जी माता के दर्शन कर आत्मा तृप्त हो गयी है। अपनी यात्रा भी याद कर ली आपकी पोस्ट की वजह से। बहुत अच्छा लिखा है आपने।

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    1. धन्यवाद सचिन भाई ।जय माता दी।

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  5. अजय कुमारOctober 07, 2016 11:04 am

    Nice informative post with beautiful pictures.

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    1. धन्यवाद अजय जी ।जय माता दी।

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  6. bahut he sunder hai Vaishno Devi Dhaam, aapka dhanyawaad!! :D

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    1. धन्यवाद संदीप जी ।जय माता दी।

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  7. पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा...जय माता दी करता जा... |

    खूबसूरत पोस्ट....आपने बिना जाए ही वैष्णो देवी की यात्रा करवा दी....|

    फोटो बढ़िया लगे...

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    1. धन्यवाद रितेश जी ।जय माता दी।

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  8. नरेश जी आपकी हर पोस्ट की खूबी ही यही होती है कि इसमें पाठक को यात्रा से सम्बंधित हर तरह की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है। यह पोस्ट भी इस कसौटी पर पूरी उतरती है।
    बहुत ही अच्छा वर्णन और साथ में खूबसूरत फोटोज भी!
    Thanx for sharing!

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    1. धन्यवाद अवतार जी ।जय माता दी। पोस्ट लिखने से पहले अपने अनुभव और कई बार नेट से पढ़ कर भी पूरी जानकारी अपनों पोस्ट में देने की कोशिश करता हूँ । पढ़ने वाले को जानकारी भी पूरी मिलनी चाहिए ।

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  9. नरेश जी आपकी हर पोस्ट की खूबी ही यही होती है कि इसमें पाठक को यात्रा से सम्बंधित हर तरह की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है। यह पोस्ट भी इस कसौटी पर पूरी उतरती है।
    बहुत ही अच्छा वर्णन और साथ में खूबसूरत फोटोज भी!
    Thanx for sharing!

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  10. पोस्ट बहुत अच्छी लिखी है । आनन्द दायक सम्पूर्ण । तस्वीरें भी बेहद खोब्सुरत हैं । यात्रा की यादें ताज़ा ह गयी। जय माता दी।

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    1. धन्यवाद जी ।जय माता दी।

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  11. सुन्दर वर्णन सहगल साहब मेरी यात्रा याद आ गई फोटो कमाल के है जय माता दी

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    1. धन्यवाद विनोद भाई

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  12. जय माता दी ।
    सहगल साहब virtual तो हो गई ।।
    जय माता दी

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    1. जय माता दी ।माता रानी की किरपा से असली वाली यात्रा भी जल्दी ही पूरी होगी ।

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  13. जय माता दी ।
    बहुत बढ़िया तरीके से लिखी गयी बेहतरीन यात्रा पोस्ट । 2012 में हम भी गए थे , तब से अब में बदलाव आ चूका है ।

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  14. जय माता दी ।
    बहुत बढ़िया तरीके से लिखी गयी बेहतरीन यात्रा पोस्ट । 2012 में हम भी गए थे , तब से अब में बदलाव आ चूका है ।

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    1. धन्यवाद पांडे जी . 2012 के बाद काफ़ी बदलाव आया है .

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  15. पंडित जी आपके लेखन से तो ghumakkar.com से ही बहुत प्रभावित हैं आपका लेखन न केवल प्रभावित ही करता है वरन आपकी लेखन शैली का भी कायल कर देता है आपकी यात्रा का हर कदम अपने आप में बड़ी ही सूक्ष्म जानकारियाँ प्रदान करता चलता है जो यात्रा की चाहत रखने वाले हैं उनके लिए बहुत ही उपयोगी होती हैं तथा जो यात्रा कर चुके होते हैं उन्हें भी झिंझोर देती हैं की उनकी यात्रा के समय उन्हें यह जानकारी क्यों न थी अथवा ऐसी जानकारी उन्होंने क्यों नहीं प्राप्त की. ऐसे ही सजीव चित्रण व लेखन पाठकों को वांछनीय होते हैं, भ्रमण करते रहिये और यात्रा ज्ञान बाँटते रहिये ये प्रवाह अविरल रहना चाहिए. धन्यवाद.

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    1. धन्यवाद त्रिदेव जी . मेरा ब्लॉग आज धन्य हो गया .

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    2. उम्दा जानकारी दे रहे हैं नरेश जी। वैसे तो आपके हर लेख में भरपूर जानकारी सदैव ही होती है। बहुत खूब।

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    3. धन्यवाद बिनु भाई .

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  16. बाण गंगा का पानी बहुत ठण्डा ठण्डा लगता है ! सीधे भवन की यात्रा ? अर्द्धकुवारी नही गए थे ?

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    1. धन्यवाद योगी जी .अर्द्धकुवारी में बहुत भीड़ रहती है .वहाँ अब नहीं जाता .

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  17. hi there nice blog
    please check our details
    devi mahatmyam benefits and story

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