Saturday, 22 October 2016

Mata Vaishno Devi Yatra :- Final Part

यात्रा तिथि : 9 नवम्बर 2015  

वैष्णो देवी भवन से भैरों नाथ का मंदिर ढेड़ किलोमीटर की दुरी पर है और सारा रास्ता खडी चढाई है । वैष्णो देवी की सम्पूर्ण यात्रा में सबसे मुश्किल हिस्सा यही है। एक सामान्य व्यक्ति इसे 45-50 मिनट में कर सकता है । रास्ता ठीक बना हुआ है ।इस रास्ते पर घोड़े की सुविधा भी है लेकिन यहाँ रास्ता ज्यादा चौड़ा न होने से घोड़े वालों से पैदल चलने वाले यात्री परेशां रहते हैं । हमने लगभग साढ़े चार बजे भवन से भैरों मंदिर की और प्रस्थान किया । बच्चे साथ थे तो सब धीरे ही चल रहे थे।
सांझी छत से दिखता कटरा 

Thursday, 6 October 2016

Mata Vaishno Devi Yatra- Second Part

माता वैष्णो देवी यात्रा – प्रथम भाग

माता वैष्णो देवी यात्रा – दूसरा भाग  
बाण गंगा. माना यह जाता हैं की माता वैष्णोदेवी जब भैरो  देव से छिप कर के आगे बढ़ रही थी तो हनुमान जी भी उनके साथ साथ थे. हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाली और हनुमान जी ने अपनी प्यास बुझाई और उस जल में ही माता ने अपने केश धोए. आज यह पवित्र जलधारा बाणगंगा के नाम से जानी जाती है. बाण गंगा के जल में काफ़ी मछलिया तैरती रहती हैं. यहाँ कई लोग मछलियों को खिलाने के लिए आटे की गोलियां भी बेचते हैं .  बाण गंगा के पवित्र जल को पीने या इसमें स्नान करने से श्रद्धालुओं की सारी थकावट और तकलीफें दूर हो जाती हैं. यहीं पर माता का बाण गंगा मंदिर भी बना हुआ है. बहुत से लोग बाण गंगा पर स्नान करके आगे बढते हैं

Saturday, 1 October 2016

माता वैष्णो देवी यात्रा – प्रथम भाग

                        Vaishno Devi Yatra 

                       या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

उत्तर भारत में रहने वाले घुमक्कड़ी के शौक़ीन लोगों में से शायद ही कोई ऐसा हो जो माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए कटरा न आया हो। भारत के खूबसूरत जम्मू और कश्मीर राज्य की हसीन वादियों में उधमपुर ज़िले में कटरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है माता वैष्णो देवी मंदिर। भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली, उनके दुखों को हरने वाली, उन्हें संसार की सभी खुशियां प्रदान करने वाली, ‘आदि शक्तिवैष्णो देवी माता का मंदिर हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

गुफ़ा में पिंडी रूप में विराजमान (बाएं से दायें) माँ सरस्वती ,माँ लक्ष्मी और माँ काली