मणि महेश कैलाश
यात्रा-5 ( मणिमहेश-हडसर- भरमौर- पठानकोट )
पिछले
भाग से आगे ....
पथरीला
रास्ता और घना जंगल; ऊपर से कृष्ण पक्ष की काली रात। डर लगना स्वाभाविक था लेकिन मुझे अपने
से आगे और पीछे ,दोनों जगह से, किसी के चलने और बोलने की आवाज आ रही थी- मतलब और
यात्री भी आगे पीछे हैं। इसी बात का होंसला था। मैंने तेजी से चलकर आगे वाले ग्रुप
के साथ होना चाहता था लेकिन वो भी तेज चल रहे थे । फिर भी थोड़ी देर में मैंने उनको
पकड़ लिया और उनके साथ ही हो लिया । उनका साथ मिल जाने से भय निकल गया । वे तीन लड़के
थे और तीनो पंजाब से बाइक पर आये थे । कल रात वे जाते हुए धन्छो में रुके थे और आज
दर्शन के बाद वापिस लौट रहे थे । वे भी मेरी तरह बुरी तरह थके हुए थे।