चोपता, तुंगनाथ,
देवरिया ताल यात्रा-4 ( देवरिया ताल )
यात्रा तिथि -04 अक्टूबर 2015
अगली सुबह जल्दी ही
मेरी आँख खुल गयी । समय देखा अभी 6 भी नहीं बजे थे । मैं जब भी घर से बाहर होता
हूँ मेरी नींद हमेशा जल्दी खुल जाती है । साथी अभी सो रहा था और मैं उठकर बाहर आ गया
। बाहर अभी हल्का अँधेरा था, थोड़ी देर कमरे के बाहर टहलता रहा । बाहर काफी ठण्ड थी
। अन्दर कमरे में आया और जैकेट पहन कर ऊपर सड़क पर आ गया । अभी ढाबे भी बंद थे ,थोड़ी
दूर सड़क पर टहलने निकल गया । कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिले । मोनाल (उत्तराखंड का राजकीय पक्षी ) और कई अन्य दुसरे
खूबसूरत पक्षी आसपास दिखे, पर अफ़सोस मेरे
पास न कैमरा था न फ़ोन । कोई फोटो न खींच पाया ।
अकेला होने के कारण ज्यादा दूर
नहीं गया और वापिस लौट आया । कमरे पर साथी अभी भी निद्रा में तल्लीन थे आकर उन्हें
उठाया । उठते ही उन्होंने चाय की फ़रमाइश कर दी । कुछ देर बाद दोबारा ढाबे पर गया ।
वहां भी अभी सिर्फ़ एक आदमी उठा था बाकि अभी भी सोये थे । अभी उसने चूल्हा जलाया
नहीं था । वो बोला पहले सफाई कर लूं फिर चूल्हा जला कर चाय बनाता हूँ । मैं भी उसे
दो कप चाय कमरे पर पहुँचाने का कहकर वापिस आ गया। थोड़ी देर बाद कमरे पर चाय आ गयी ।
चाय पीकर हम तैयार होने लगे। पानी इतना ठंडा था कि नहाने का तो किसी के मन में
विचार भी न आया।
तैयार होने के बाद
अपना सारा सामान लेकर ऊपर ढाबे पर आ गए । एक एक कप चाय और पी और बाइक स्टार्ट कर देवरिया ताल की ओर चल
दिये । इस मार्ग पर चोपता लगभग सबसे अधिक ऊंचाई पर है । इसके दोनों ओर सड़क पर तीखी
ढलान है । थोड़ी देर बाद ही हमने अपनी अपनी बाइक के इंजन बंद कर दिए । ढलान के कारण
हमारी बाइक वैसे ही तेजी से भागी जा रही थी । जब भी मोड़ आता ब्रेक लगानी पड़ती
लेकिन फिर गति पकड़ लेती । 30-40 की स्पीड मजे में आ रही थी । देवरिया ताल जाने के
लिए पहले सारी गांव जाना पड़ता है। चोपता से ऊखीमठ की तरफ लगभग 20 किलोमीटर दूर
मस्तुरा गाँव से थोड़ा पहले ही सारी गांव के लिए दायीं तरफ अलग रास्ता कट जाता है ।
यहाँ से सारी गांव तक तीन ,साढ़े तीन किलोमीटर लगातार चढाई है इसलिये फिर से हमें
बाइक स्टार्ट करनी पड़ी ।
सुबह लगभग सवा आठ
बजे हम सारी गांव पहुँच गए । गांव में शुरू में ही दायीं तरफ बीएसएनएल का मोबाइल
टावर लगा है इसके साथ ही खाने पीने की एक दुकान थी । नाश्ते के लिये पूछा तो दूकानदार
ने बताया जल्दी ही आपके लिये आलू के परांठे तैयार कर देता हूँ । जब तक नाश्ता
तैयार होता तब तक हम कुर्सियां लेकर बाहर धुप में बैठ गए । एक दो गाँव वाले पास आ
गए उनसे गपशप करने लगे । वे लोग ट्रेवल से ही जुड़े थे । चोपता ,तुंगनाथ ,देवरिया
ताल के अपने-2 पैकेज बना रखे थे । थोड़ी देर बार नाश्ते के लिये बुलावा आ गया ।
नाश्ते के बाद हमने दुकानदार के पास अपना सामान रखकर देवरिया ताल की ओर चल दिए । 150
-200 मीटर सड़क पर चलने के बाद देवरिया ताल जाने का रास्ता दायीं तरफ अलग हो जाता
है । यहाँ एक गेट भी बना हुआ है । सारी गाँव से देवरिया ताल 2.5 किलोमीटर की दूरी
पर है । शुरू शुरू में तो चढाई हलकी है
लेकिन धीरे धीरे ये मुश्किल होने लगती है । कोई ढ़ंग का रास्ता भी नहीं बना हुआ
जैसा तुंगनाथ में बना हुआ था ।सारे रास्ते बस उबड़ खाबड़ पगडण्डी सी है। इस क्षेत्र में बुरांस बहुतायत से है।
चढाई चढ़ते हुए काफी
लोग ऊपर से नीचे आते हुए मिले ।ये सभी लोग रात ऊपर ही ठहरे थे । ऊपर ताल पर जाने
वाले बहुत कम लोग थे । हमारे साथ साथ एक स्कूल के बच्चों का ग्रुप भी ऊपर जा रहा
था ।पास के किसी गाँव के स्कूल के बच्चे थे और आज उनके अध्यापक उन्हें पिकनिक पर
देवरिया ताल लेकर जा रहे थे। सारी गाँव से थोड़ा सा चलने पर ही एक शिव मंदिर हैं । यहाँ
वापसी में आने का तय कर हम आगे बढ़ते रहे ।
थोड़ा आगे चलने पर
हमें दिल्ली का एक 7-8 लोगों का ग्रुप मिला । कुछ लड़के और कुछ लड़कियां । ये सभी किसी
आईटी कम्पनी में काम करते थे और कम्पनी की तरफ से ही टूर पर आये थे । ग्रुप की बॉस
भी एक लड़की ही थी । ये हमसे लगभग एक घंटा पहले सारी गाँव से चले थे लेकिन काफी
धीरे चल रहे थे इसलिए हमें रास्ते में ही मिल गए । हम भी इनके साथ ही चलने लगे और
बातचीत होने लगी । इस ग्रुप में एक सर्वविदित, सर्वमान्य ‘प्रेमी जोड़ी’ भी थी । इसमें
से लड़की बुरी तरह थक चुकी थी ,बेचारा लड़का उसकी सेवा में तल्लीन था और लगातार उसका होंसला बड़ा रहा था । इनकी वजह
से पूरा ग्रुप धीरे चल रहा था । जब शायद आधा किलोमीटर रह गया तो ग्रुप इस जोड़ी को
छोड़ कर आगे बढ़ गया । उन्हें बोल दिया हम ऊपर इंतजार करते हैं आप ‘आराम’ से आओ ।इनकी हालत देख कर लग रहा था कि इन्हें हमारे मदद की आवश्कता कहीं भी पढ़ सकती है इसलिए
आखिर तक हम इनके साथ ही रहे। लेकिन वे भी हिम्मत कर शकुशल ऊपर ताल तक पहुँच गए ।
हमें ताल तक पहुँचने
में ढेड़ घंटा लग गया और ठीक 10:30 बजे हम देवरिया ताल के सामने खड़े थे । ताल के अप्रतिम सौंदर्य
ने हमें नि:शब्द कर दिया । हमारा पूरा ध्यान सामने अचानक आ गए बेहद मनोहारी दृश्य से हटने का
नाम ही नहीं ले रहा था । प्रकृति का यह अनछुआ सौंदर्य सच में अभिभूत करने वाला था ।
ताल बहुत बड़ा तो
नहीं,
पर छोटा भी नहीं है। यदि मौसम साफ़ हो और आसमान में बादल न हों तो सामने भरत-कुंठा, केदार,सुमेरु ,मदानी, जानुकुत ,चौखंबा बद्रीनाथ, आदि पर्वत श्रृंखलाएं साफ़ नज़र आती हैं और ताल के शांत जल में हिममंडित पर्वतश्रृंखलाओं का प्रतिबिंब ऐसा लगता है मानो ये पर्वतश्रृंखला पानी में भी हो। अपने आप में यह एक बेहद खूबसूरत नज़ारा होता है और इसी प्रतिबिंब को देखने का आकर्षण ही हजारों लोगों को प्रतिवर्ष बरबस यहाँ खींच लता है । झील के चारों तरफ परिक्रमा पथ बना हुआ है । इस झील की अलग अलग कोणों से अलग
छटा नज़र आती है । यहाँ प्रकृति के सौंदर्य की
अलग ही अनुपम छटा देखने को मिलती है ।
देवरिया ताल : रूद्रप्रयाग से 49 किमी और उखीमठ से 14 किमी की दूरी पर स्थित देवरिया
ताल एक सुंदर पर्यटन स्थल है। हरे भरे
जंगलों से घिरी हुई यह एक अद्भुत झील है। इस झील के जल में गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और नीलकंठ की
चोटियों के साथ चौखम्बा की श्रेणियों की स्पष्ट छवि प्रतिबिंबित होती है। समुद्र
तल से 2438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह
झील चोपटा – उखीमठ रोड से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। यह झील यहाँ आने वाले यात्रियों को नौका विहार, कांटेबाजी और विभिन्न
पक्षियों को देखने के अवसर प्रदान करती है।यहाँ रात भर के शिविर और ट्रेकिंग
दर्शकों की लोकप्रिय गतिविधियाँ है।
किंवदंतियों के
अनुसार देवता इस झील में स्नान करते थे अतः पुराणों में इसे ‘इंद्र सरोवर’ के नाम से उल्लेखित किया गया है।
ऋषि-मुनियों का मानना है ‘यक्ष’ जिसने पांडवों से उनके
वनवासकाल के दौरान सवाल किए थे और जो पृथ्वी में छुपे हुए प्राकृतिक खजानों और
वृक्षों की जड़ों का रखवाला है, इसी झील में रहता था।
कहते हैं यह ताल
देवताओं
का विचरण
स्थान
है और चौखंभा उनकी विशिष्ट मंत्रणा का स्थल। अत: इस स्थान की अलौकिक
गरिमा बनाए रखें।
कैसे
पहुंचें
ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, अगस्त मुनि, कुंड ,ऊखीमठ, मस्तुरा और सारी गाँव और वहां से देवरिया ताल तक ट्रैकिंग पथ । उखीमठ से
सारी गाँव के लिये जीपें मिल जाती हैं ।
कहां
ठहरें
ठहरने के लिए लगभग हर जगह सामान्य और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। गढ़वाल मंडल के गेस्टहाउस बेहतर विकल्प हैं, परंतु पूर्व बुकिंग आवश्यक है। देवरिया ताल पर भी टेंटो में रुकने की
अच्छी व्यवस्था है ।
मौसम
ऊखीमठ, चोपता तथा
देवरिया आदि स्थानों पर हर मौसम में
ठंड रहती है। मार्च से लेकर नवम्बर तक यहाँ आराम से आ सकते थे । दिसम्बर ,जनवरी,
फ़रवरी में भी यहाँ पहुंचा जा सकता हैं ।इन दिनों यहाँ काफी ठण्ड होती है और काफी
बार बर्फबारी भी होती है ।
दूरी तथा
समुद्रतल से ऊंचाई
दूरी : ऋषिकेश से दुरी लगभग 194 किमी है।
ऊंचाई : देवरिया ताल 2438 मीटर , चोपता 2680 मीटर।
वन विभाग द्वारा यहाँ प्रति व्यक्ति 150 रूपये
की एंट्री फीस ली जाती है। पर्ची कटवाने के बाद हम आगे झील की और चल दिए । हमारे
यहाँ पहुँचने पर पर्वतश्रृंखलाओं की तरफ घने सफ़ेद बादल छाये
हुए थे । जिस कारण हम न तो यहाँ से दिखने वाली सभी चोटियाँ देख पाए और न ही उनका
ताल में पड़ने वाला प्रतिबिंब। झील के चारों तरफ लगभग एक किमी लम्बा परिक्रमा पथ
है उस पर एक चक्कर लगा आये और थोड़ी देर यहाँ बैठ कर प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेते रहे । एक घंटा यहाँ रुकने के बाद हम वापिस चल दिए ।उतरने में
हमें मात्र 40 मिनट लगे ।सारी गाँव पहुंचकर हमने अपनी अपनी बाइक उठाई,सामान लिया और
उखीमठ की तरह चल दिए ।
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यहीं से चढ़ाई शुरू होती है |
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ऊपर से दिख रहा सारी गाँव |
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ऊपर से दिख रहा आसपास का दृश्य |
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महादेव मंदिर |
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देवरिया ताल का प्रथम दृश्य |
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देवरिया ताल |
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बादलों से घिरा चौखम्बा |
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देवरिया ताल |
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देवरिया ताल |
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वन विभाग की चेक पोस्ट |
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देवरिया ताल |
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यही स्कूल के बच्चे हमें रास्ते में मिले थे |
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स्कूली बच्चे सुखविंदर के साथ |
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देवरिया ताल |
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सामने दुसरे किनारे से |
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परिक्रमा पथ |
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इन्ही बादलों ने सभी कुछ छुपा रखा था |
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परिक्रमा पथ |
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परिक्रमा पथ |
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बुरांश के पेड़ |
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यही ग्रुप दिल्ली से था |
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यहाँ मंदिर के महंत रहते हैं |
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सारी गाँव |
सहगल साहब आप को प्रेमी जोड़े मिल ही जाते है फ़ोटो कमाल के है लेख शानदार है मजा आ गया
ReplyDeleteधन्यवाद विनोद जी ।जो जैसे मिला दिखा वैसे ही लिख दिया ।😊💐
Deleteबुरांश के पेड़ ही पेड़ हैं, फूल तो दिखे नहीं ।
ReplyDeleteसहगल साहब आपना दिल है ही बहुत बड़ा,देसी तो देसी विदेसी मेम के लिए भी अपन बड़े व्यथित हो गए थे मधेश में जहाँ उनका बॉय फ्रेंड गुम हो गया था, पर एक से एक धर्मात्मा और सेवक भरे पड़े हैं म्हारे देश में ।
बढ़िया फोटू सहगल साहब और बढ़िया पोस्ट
"दिल से" लिखी है सहगल साहब और हमने भी "दिल से" ही पढ़ी है as usual
Deleteकौशिक जी हम अक्टूबर में गए थे ।उन दिनों फूल बिलकुल नहीं होते । और मदेश में सिर्फ व्यथित ही हुए थे पर कुछ मदद न कर पाए थे। बाकि जैसी प्रभु इच्छा ।💐💐
Deleteऔर ढेर सारा धन्यवाद दिल से ।💐💐
Deleteआपकी श्रम दान की इतनी प्रबल इच्छा होने के बावजूद सेवा का मौक़ा न मिलना निराशाजनक रहा बाकी पोस्ट और फोटोज़ तो हमेशा की तरह शानदार है ही। आप फ़ोटोज खूब सारी डालते हैं पोस्ट में इस वजह से आपकी पोस्ट हमेशा आंखों को सुकून देती है।
ReplyDeleteश्रम दान पर शर्म दान वाले भारी पड़ते हैं भाई अक्सर :(😢
Deleteहा हा हा धन्यवाद सैनी साहब ।☺☺दुसरो की मदद करना अच्छी आदत है ।। और जब मेरे पास ढेर सारी फोटो हों तो पोस्ट में डालने में कोई कंजूसी नहीं करता । कहाँ लेकर जाऊँगा । 😊😊
Deleteसहगल साहब , हमेशा की तरह शानदार पोस्ट ! सुन्दर फोटो से जानदार भी हो गयी । कुछ खूबसूरत अहसास मिलते रहने चाहिए , जिंदगी मजेदार हो जाती है ।
ReplyDeleteबधाई हो दिल से
धन्यवाद पाण्डेय जी .
Deleteताल के शांत जल में हिममंडित पर्वतश्रृंखलाओं का प्रतिबिंब ऐसा लगता है मानो ये पर्वतश्रृंखला पानी में भी हो। अपने आप में यह एक बेहद खूबसूरत नज़ारा होता है
ReplyDeleteआपकी इन लिखी लाईनो ने पूरा चित्रण कर दिया। बहुत सुंदर व उपयोगी जानकारी से परिपूर्ण पोस्ट ।
धन्यवाद त्यागी जी.ताल के जल में हिममंडित पर्वतश्रृंखलाओं का प्रतिबिंब देखना एक बेहद खूबसूरत अहसास होता है .यहाँ तो न देख पाए लेकिन मदेष में काफी समय यह नज़ारा देखते रहे .
Deleteगज़ब की ख़ूबसूरती बिखरी पड़ी है गढ़वाल में और देवरिया ताल तो नगीना है , नगीना ! आपके फोटो इस जगह को बेहतरीन तरीके से परिभाषित और व्यक्त कर रहे हैं ! बहुत ही सुन्दर और सूचनाप्रद पोस्ट सहगल साब "दिल से "
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी. आपसे पूर्ण सहमत हिमालय में गज़ब की ख़ूबसूरती बिखरी पड़ी है.
Delete
ReplyDeleteAs usual nice post with nice pictures. Such a great man you are! Always stay blessed dear. Go ahead. Jai ho. 🙏
धन्यवाद जी. दिल से .
Deleteफ़ोटो बहुत सुंदर आते हैं आपकी ब्लॉग में नरेश जी, दस बार भी देख लो तो मन ना भरे "दिल से"
ReplyDeleteधन्यवाद हर्षिता जी. फोटो की तारीफ के लिये फिर से धन्यवाद दिल से .
Deleteबढ़िया लेख नरेश जी, यादें ताज़ा हो गई आपका लेख पढ़कर ! मैं यहाँ पिछले वर्ष 26 जनवरी वाले सप्ताह में गया था !
ReplyDeleteधन्यवाद प्रदीप जी .आपको तो बर्फ मिली होगी जनवरी में .
DeleteNice Post.Beautiful pictures.
ReplyDeleteधन्यवाद अजय जी .
Deleteडेढ़ साल पहले की गयी यात्रा , फिर भी बिलकुल ताजे अंदाज़ में लिखा है। बहुत बढ़िया।
ReplyDelete#घुमक्कड़ी दिल से
धन्यवाद राम भाई .बड़े दिनों बाद दर्शन हुए .
Deleteवैसे इसे चित्रकथा कहा जा सकता है, सुंदर वर्णन। शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteधन्यवाद गुरु जी .आशीर्वाद बनायें रखें .
Deletevery nice pics and post
ReplyDeleteThanks Pratik ji.
Deleteनरेश जी.... सच कहूँ तो देवरियां ताल के बारे में काफी सुना था ममैंने...पर आज आपके ब्लॉग से पढ़कर का साक्षात् साक्षत्कार हो गया ..
ReplyDeleteबड़े दयावान हो जी...ऐसे ही बने रहो....
एक जगह ब्लॉग लेखन में गड़बड़ लगी ... आप भी चेक कीजिये
"ऊंचाई : देवरिया ताल 2438 मीटर , चोपता 2680 मीटर।"
ये होना चाहिए मेरे हिसाब से
ऊंचाई : देवरिया ताल 2398 मीटर , चोपता 2000 मीटर।
बाकी पोस्ट अच्छी लगी ....
#दिल से
एक जगह
धन्यवाद रीतेश जी . मेरे हिसाब से देवरिया ताल और चोपता की ऊंचाई मैंने सही लिखी है . वैसे भी चोपता देवरियाताल से काफी ऊंचाई पर है .
ReplyDeleteबुरांश की पहचान ही उत्तराखंड से है। सुंदर दृश्यों के साथ शानदार लेखन शैली
ReplyDeleteThanks Sunil Mittal ji.
Deleteशानदार, बच्चो के ग्रुप वाली फोटो बहुत अच्छी है। तुंगनाथ और चंद्रशिला जाने का सौभाग्य तो प्राप्त हो चूका है, लेकिन देवरिया ताल नहीं जा सका। आपको ब्लॉग के माध्यम से देवरिया ताल भी घूम लिया। मौका मिला तो खुद भी घूम आऊंगा।
ReplyDeleteधन्यवाद अनित कुमार जी . आप भी देवरिया ताल जरूर जाएँ ,काफी अच्छी जगह है .
DeleteWonderful n informative blog and beautiful pics. .
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुंदर और बारीकी से लिखी पोस्ट न जाने कब जाने को होगा पर आपकी पिस्ट5 पढ़कर जल्दी जाने का मन हो रहा है
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