अमरनाथ यात्रा - ( Amarnath Yatra )
Jammu to Pahalgam Base Camp - जम्मू से पहलगाम पहला भाग पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें
हमने इस यात्रा के लिए
अम्बाला से ही एक टवेरा बुक कर ली थी । हम कुल छह लोग थे । मेरे साथ मेरा भतीजा
चिरंजीव @चन्दन ,एक मेरे सहकर्मी
सुखविन्दर , तीन मेरे दोस्त
शुशील मल्होत्रा ,स्वर्ण और
देवेंद्र थे। इनमे से चन्दन और सुखविन्दर की यह पहली यात्रा थी , बाकि सब लोग पहले
भी कई बार जा चुके थे । तय दिन हमें अम्बाला से निकलते -निकलते सुबह के 9 बज गए ।
सारा सामान छत पर बांध कर हम लोग यात्रा के लिए रवाना हो गए । पहला विश्राम जालंधर
में लिया जो अम्बाला से लगभग 200 किलोमीटर है । वहां शुशील के मामा जी की
छोले भटूरे की दुकान है । हम जब भी गाड़ी से जाएँ तो यहाँ जरूर रुकते हैं । यहाँ
रूककर सबने छोले भटूरे और छोले चावल खाये । खाना खाने के बाद सबने चाय पी फिर उनसे
विदा लेकर आगे की यात्रा जारी रखी । यहाँ हमें लगभग एक घंटा लग गया ।
अगला ब्रेक पठानकोट से
आगे लखनपुर टोल टैक्स पार करने के बाद एक भंडारे पर लिया । यहाँ मोगा वालों का एक
बड़ा लंगर लगता है । यहाँ चाय के साथ कुछ स्नैक्स लिए और थोड़ी देर रुकने के बाद
जम्मू के लिए निकल दिए । यहाँ से जम्मू लगभग 70 किमी दूर हैं।
जम्मू से पहले ही जम्मू
बाईपास है जिससे आप बिना जम्मू जाये ही सीधा नगरोटा पहुँच सकते हो जिससे जम्मू के भारी
ट्रैफिक से बचा जा सकता है । हमने भी इसी रास्ते से गाड़ी मोड़ ली और तवी नदी के साथ
साथ चलते रहे और फिर एक पुल से इसे पार करके नगरोटा पहुँच गए। नगरोटा से उधमपुर के
बीच बढ़िया फोर लेन सड़क बनी है ।
उधमपुर पहुँचने तक हल्का
अँधेरा हो चूका था । वहाँ पहुँचकर हनुमान मंदिर में लगे हरियाणा के एक भंडारे में
रात्रि विश्राम के लिए रुक गए । हमारे वहाँ रुकने के थोड़ी देर बाद ही बारिश शुरू हो गयी जो रुक रुक कर सारी रात चलती
रही ।सुबह उठे तो भी हल्की
बारिश हो रही थी । जल्दी से सभी
तैयार हो गए औऱ चाय पीकर आगे के सफ़र के लिए रवाना हो गए । हमारा आज का पहला लक्ष्य
उधमपुर से निकल कर कूद, पत्नी टॉप ,बटोट होते हुए रामबन पहुंचना था ,जहाँ देवेंदर
का एक मित्र एक भंडारे में सेवा कर रहा था ,उसने हमारे साथ ही आगे यात्रा में जाना
था । आजकल उधमपुर से आगे नयी सुरंग बन जाने से अब कूद, पत्नी टॉप ,बटोट बाईपास हो
गए हैं । सुरंग 9.2 किलोमीटर लम्बी है और सीधा रामबन से थोड़ा पहले ही निकलती है ।
उधमपुर से थोड़ा आगे जाने
पर ही पुलिस द्वारा हमें रोक लिया गया । पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि रात को अधिक
बारिश होने और अभी भी बारिश जारी रहने से आगे भूस्खलन का खतरा है इसलिए आगे नहीं
जाने दिया जायेगा । थोड़ी देर बाद जब उसने कुछ लोकल गाड़ियों को आगे जाने दिया तो
हमने भी अपनी गाड़ी उनके पीछे भगा दी । बारिश अभी भी जारी थी ,बहुत से बरसाती झरनों
और नालों का पानी सड़क से बह रहा था । कुल मिलाकर मौसम बहुत सुहावना बना हुआ था । कूद
और पत्नी टॉप के बीच यात्रियों के लिये कई लंगर लगे हुए थे ।उन्ही में से एक जगह
रुक्कर हमने नाश्ता किया।
रामबन पहुँचने से पहले ही
हम एक भारी जाम में फंसे । मालूम हुआ आगे भूस्खलन हुआ है । गाड़ी से निकल कर आसपास
के नजारों का आनंद लेने लगे। जहाँ हम रुके थे वहीं चिनाब नदी पर बगलिहार डैम बना
है। वहीँ रुककर फोटोग्राफी का आनद लेते रहे । लगभग एक घंटे बाद जाम खुला तो हम
थोड़ी देर में ही रामबन पहुँच गए । वहाँ हमारे साथी देवेंदर का मित्र अपने भंडारे
पर हमारा इंतजार कर रहा था । वहां पहुंचकर मालूम हुआ की आगे दो तीन जगह भारी भूस्खलन
हुआ है इसलिये आज यात्रा स्थगित कर दी गयी है। हम वहीँ रुककर यात्रा फिर से शुरू
होने का इंतजार करने लगे ।
मेरे एक मित्र हैं –बंगाल
से “ शान्तनु पाठक ” । जब ये पिछले वर्ष अमरनाथ यात्रा पर गए थे तो जाने से पहले वहां
की जानकारी आदान प्रदान करने के लिये इनका मेरे से काफी संपर्क हुआ था । इस बार
भोले बाबा की कृपा से इनकी और हमारी पंजीकरण तिथि और रूट एक ही था । इनका मुझसे पहलगाम
में मिलने का तय था क्योंकि ये मुझसे कुछ पीछे चल रहे थे । मेरी कोशिश थी कि यदि
वे हमें रास्ते में कहीं भी मिल जाएँ तो इनको अपने साथ ही गाड़ी में ले चलेंगे। इनसे
बात कर बोल दिया कि हम रामबन मे रुके हैं आप वहां तक पहुँच जाओ, लेकिन बाद में मालूम
हुआ की इन्हें जम्मू ही रोक लिया गया है ; कारण वही- भारी भूस्खलन।
पूरा दिन निकल गया ,रात
निकल गयी लेकिन जाम नहीं खुला । अगले दिन दोपहर के बारह बजे रास्ता साफ़ हुआ और
यात्रा फिर से शुरू की गयी । उधर हमारे मित्र शान्तनु पाठक जी दुसरे रास्ते-मुग़ल
रोड होते हुए पहलगाम की और चल दिए । रात्रि विश्राम एक सहयात्री के घर किया और
अगले दिन हमसे काफी पहले ही पहलगाम में पहुँच गए । मैंने उन्हें कैंप में जाकर
किसी टेंट में रुकने को बोल दिया क्योंकि हमें पहुँचने में अभी काफी वक़्त लगना था
और तब तक ये बाहर ठण्ड में जम जाते। उन्होंने ऐसा ही किया ।
हम रामबन से रामसू –बनिहाल
–जवाहर सुरंग –काज़ीकुंड होते हुए अनंतनाग पहुँच गए । यहाँ से बालताल और पहलगाम का
रास्ता अलग हो जाता है । दायीं तरफ वाला मार्ग पहलगाम और बायीं तरफ वाला मार्ग
श्रीनगर होते हुए बालताल पहुँच जाता है । अनंतनाग से पहलगाम 45 किलोमीटर दूर है और
अनंतनाग से श्रीनगर लगभग 60 किलोमीटर दूर
है। अनंतनाग से निकलते ही सड़क लिद्दर नदी के साथ चलती है । जैसे –जैसे हम पहलगाम
की ओर बढ़ रहे थे आसपास के नज़ारे तेजी से बदल रहे थे । कंक्रीट के जंगल की जगह हरे
भरे खेत , लहलहाती फसलें ,दूर दिखती बर्फ से ढकी चोटियाँ , मंद मंद बहती शीतल स्वच्छ
हवा ,सड़क के साथ साथ बहती लिद्दर नदी की तेज आवाज – ऐसा लग रहा था जैसे हम कोई
दूसरी ही दुनिया में जा रहे हैं ।
पहलगाम से एक ढेड़
किलोमीटर पहले ही नुनवान गाँव में अमरनाथ यात्रियों के लिये कैंप बना हुआ है जिसे
नुनवान बेस कैंप कहते हैं । कैंप सुरक्षा की दृष्टि से एक किले की भांति बना है और
इसके अन्दर ही ठहरने के लिये टेंट ,खाने के लिये कई लंगर और एक छोटी सी मार्किट भी
है जहाँ रोजमर्रा की और यात्रा से संबंधित सभी सामान मिलते हैं। कैंप से थोड़ा पहले
ही सुरक्षा बलों द्वारा सभी गाड़ियों की ,यात्रियों की और उनके सभी सामान की बारीकी
से जाँच की जाती है । जाँच पड़ताल से निकलने के बाद लगभग शाम 6 बजे हम कैंप पर
पहुँच गए ।यहाँ काफी ठंडक थी ।
यहाँ पहुंचकर सभी ने पहले
नहाने का निश्चय किया लेकिन ठन्डे पानी में नहाने की हिम्मत नही हो रही थी ।बाद
में हिम्मत करके सभी नहा लिये और गर्म कपडे पहन लिये ।यहाँ आकर सबने अपने –अपने बैग
फिर से पैक किये । तीन दिन की यात्रा के लिये सब जरूरी सामान पिठ्ठू बैग में डाल
लिया और बाकि सारा सामान गाड़ी में रख दिया और ड्राईवर को समझा दिया की कल सुबह
बाकि गाड़ियों के साथ बालताल चले जाना । हम आपको तीन दिन बाद बालताल पार्किंग में
मिलंगे । उसे हमने अपना एक पोस्टपेड नंबर वाला फ़ोन भी दे दिया ताकि हम आपस में
कांटेक्ट कर सकें।
गाड़ी वाले को पार्किंग
में भेज हम कैंप में चले गए । वहाँ जाकर 100 रूपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से एक
टेंट ले लिया फिर शान्तनु दादा को फ़ोन लगाया । वो अपने टेंट में अकेले ही थे तो उनको
भी हमने अपने टेंट में बुला लिया । थोड़ी देर बाद खाना खाकर, सुबह जल्दी उठने के
लिये लगभग 9 बजे सब सो गए ।
यात्रा के साथी (बाएं से दायें )-मेरा भतीजा चन्दन ,शुशील ,वाहन चालक, स्वर्ण ,सुखविंदर और देवेंदर |
बगलिहार डैम प्रोजेक्ट |
लिद्दर के किनारे |
मस्ती के क्षण |
पहलगाम से पहले |
लिद्दर नदी |
बढिया यात्रा। भूस्खलन ने काफी देरी करा दी लेकिन कोई नही यह भी यात्रा का एक भाग है। फोटो बहुत सुंदर है।
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन भाई । इस यात्रा मेभूस्खलन ने बहुत तंग किया ।
Deleteबढ़िया...👍
ReplyDeleteजय भोले की...
शानदार चित्र...👌
धन्यवाद डॉ साहेब।
Deleteजय भोले की ।।
आपके साथ साथ हम भी यात्रा कर रहे हैं, जब बाबा बर्फानी, भूखे को अन्न प्यासे को पानी
ReplyDeleteअगले भाग के इंतज़ार में
धन्यवाद सिन्हा साहब ।।
Deleteवाह सहगल साहब वाह ..बहुत बढ़िया . जय भोले की
ReplyDeleteधन्यवाद शर्मा जी ।
Deleteबहुत बढ़िया आप की यात्रा पढ़कर लग रहा है कि हम भी आप के साथ ही घूम रहे है
ReplyDeleteधन्यवाद जी ।
Deleteजय हो बाबा बर्फानी की सहगल साहब... बढ़िया यात्रा और चित्र भी... as usual.. :)
ReplyDeleteधन्यवाद कौशिक जी ।
Deleteनरेश भाई पढ़ लिया बहुत अच्छा लिखा है आपने.
ReplyDeleteऔर आपने ड्राईवर को फ़ोन दे दिया वो भी पोस्टपेड��
धन्यवाद अजय जी ।हमारे पास 5 पोस्टपेड थे ।2 मेरे पास ही थे ।इसलिए उसे एक दे दिया।
Deleteबहुत अच्छा लेख
ReplyDeleteधन्यवाद जी ।
Deleteजय बाबा अमरनाथ की ।
ReplyDeleteपोस्ट इतनी अच्छी लगी कि पता ही न चला कि कब खत्म हो गयी । खैर बरसात के मौसम में यही भूस्खलन ही तो बहुत परेशान करते है ।
अच्छी पोस्ट और चित्र
dhanyvad Ritesh ji.
Deleteजय बाबा बर्फानी की. बहुत बढ़िया चित्र और पोस्ट
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई ।💐💐
Deleteजय बाबा बर्फानी
ReplyDeleteभोलेनाथ का बुलावा आया तो अगले साल मुझे भी ले चलना
धन्यवाद अनिल भाई ।हमने तो आपको इस बार भी आफर दिया था ।
Deleteधन्यवाद प्रतीक भाई ।💐💐
ReplyDeleteअभी तक खूब बढ़िया यात्रा चल रही है !! हर हर महादेव
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी ।
DeleteBeautiful photos. So misty...and mystic.
ReplyDeleteThanks for liking.
Deleteबहुत खूब सहगल साहब।
ReplyDeleteधन्यवाद बीनू भाई . हौसला बढ़ाते रहो .
Deleteim just reaching out because i recently published .“No one appreciates the very special genius of your conversation as the
ReplyDeletedog does.
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