अमरनाथ यात्रा ( Amarnath Yatra )
भाग 6 : पवित्र गुफा से बालताल
पिछले भाग से आगे :
गुफा से बाहर निकल कर भोले नाथ से अगले वर्ष फिर बुलाने की प्रार्थना करता हुआ
मैं सीडियां उतरने लगा। चन्दन मेरे साथ ही था। जूताघर पहुंचकर वहां से हमने अपने
जूते लिए । नीचे उतर कर एक लंगर से बेसन का एक पुड़ा मीठी चटनी के साथ खाया और फ़िर
एक कटोरी खीर। खाना खाकर ऊपर से गरम चाय पी और फिर से तरोताजा हो वापसी शुरू कर
दी। थोड़ी दूर चलने के बाद हमें बाकि के चारों साथी भी मिल गए । वे अभी स्नान करने की तैयारी में थे और गर्म
पानी मिलने का इंतजार कर रहे थे । हम उन्हें दोमेल में गिरी जी महाराज के लंगर में
मिलने का तय करके अपनी वापसी यात्रा पर चल दिए । देवेंदर और पाठक जी पहले ही घोड़ों
से बालताल की और जा चुके थे । यहाँ मैं यह बताना चाहूँगा की गिरी जी महाराज को
अमरनाथ यात्रा पर लगने वाले लंगरों का जनक कहा जाता है । सबसे पहले यहाँ केवल उनका
ही लंगर हुआ करता था । धीरे -2 लंगर लगाने वालों की संख्या बढने लगी ,1996 की
त्रादसी के बाद तो इनमे काफी तेज़ी आई। एक बात और अमरनाथ यात्रा में सभी जगह लगने
वाले भंडारों में सिर्फ़ गिरी जी महाराज का लंगर स्थल का निर्माण ही स्थायी है ।
पवित्र गुफा से वापसी में लगभग दो किलोमीटर चलने के बाद रास्ता दो हिस्सों में
बंट जाता है दायीं तरफ वाला रास्ता काली मार्ग से होते हुए बालताल की तरफ जाता है जिसमे
शुरू में एक -डेढ़ किलोमीटर खड़ी चढाई है और रास्ता काफी ख़तरनाक है लेकिन इसमें घोड़े –खच्चर के मना होने से
चलने में सुविधा भी रहती है। बायीं तरफ़ वाला रास्ता पुराना रास्ता है । संगम पॉइंट तक पंचतरणी और बालताल के लिये साँझा
रास्ता है । संगम पॉइंट से आगे बायीं तरफ ऊपर की और रास्ता पंचतरणी चला जाता है और
नीचे की और जाने वाला रास्ता संगम घटी से होता हुआ बालताल चला जाता है और बरारी टॉप पर काली मार्ग से आने वाले बालताल
वाले नए रास्ते से मिल जाता है ।
बालताल वाले रास्ते में
धुल मिटटी बहुत उड़ती है , खासकर बरारी टॉप से
दोमेल तक रास्ता बहुत धूल भरा है। यदि बारिश हो जाये तो सारे रास्ते में बुरी तरह
कीचड़ हो जाता है और यदि बारिश ना हो तो घोड़ों और
खच्चरों के कारण इतनी धूल उड़ती है कि अच्छा खासा इंसान भी धूल-मिटटी से भूत जैसा
ही बन जाता है। शायद भगवान भूतनाथ ऐसा ही चाहते हैं कि उनके भक्तों को उनकी भभूत जरूर मिले।
बरारी टॉप से आगे पूरी ढलान ही है । हम लगभग बिना रुके लगातार चलते रहे और
लगभग चार बजे दोमेल पहुँच गए । वहां गिरी जी महाराज के लंगर पर देवेंदर और पाठक जी
हमारा पहले से इंतजार कर रहे थे । लगभग एक घंटे बाद बाकि साथी भी वहां पहुंच गए । हम
सब एक साथ बालताल की और चल दिए । तभी अचानक बड़ी तेजी से बारिश आने लगी । हम सब ने
भाग कर एक लंगर में शरण ले ली । बारिश बहुत देर चलती रही । काफी देर बाद बारिश
थोड़ी हलकी होने पर हम वहां से निकल लिये और थोड़ा आगे जाने पर 100 रूपये प्रति
व्यक्ति के हिसाब से एक टेंट बुक कर लिया ।
पूरी रात भी बारिश चलती रही । सुबह उठे तो मौसम साफ़ था । सभी जल्दी से तैयार
होकर पार्किंग में अपनी गाड़ी की तरफ चल दिए । वहां जाकर मालूम हुआ की रात को
सोनमर्ग के पास तीन जगह भारी भूस्खलन हुआ है इसलिए रास्ता बंद होने से यात्रा रोक
दी गयी है। थोड़ी देर बाद इसकी सुचना केंद्र से उद्घोषणा भी कर दी गयी । काफी देर
तो हम गाड़ी में ही रहे लेकिन जब यह पक्का हो गया की आज रास्ता नहीं खुल सकता तो
वापिस कैंप में जाकर एक टेंट ले लिया और एक ताश की गड्डी लेकर, ताश खेलते हुए अपना
टाइम पास करने लगे। थोड़ी -2 देर बाद कोई न कोई सुचना केंद्र पर जाकर ख़बर ले आता ।
रात को खा पीकर सो गए ।
अगले दिन भी वो ही हालात थे । शान्तनु पाठक जी की अगले दिन सुबह श्रीनगर से
फ्लाइट थी और आज के लिये उनकी श्रीनगर के एक होटल में बुकिंग थी । उनका आज श्रीनगर
पहुंचना जरूरी था । उन जैसे और भी काफी लोग थे जिनकी पहले से बुकिंग थी । लोगों ने
इस विपदा का भी कुछ अस्थायी हल निकाल लिया । भूस्खलन वाले क्षेत्र तक जीप से जाकर
,कुछ घोड़े वाले भूस्खलन वाले हिस्से को ऊपर की तरफ से पैदल या घोड़े से पार कर रहे
थे । तीनों क्षेत्र पार कर आगे श्रीनगर की गाड़ियाँ मिल रही थी । जिन लोगों की
बुकिंग थी वे सब धीरे -2 ऐसे ही निकलने लगे । घोड़े वाले और गाड़ी वाले मनचाहे दाम
मांग रहे थे । शान्तनु पाठक जी ने भी इसी तरीके से श्रीनगर जाने का इरादा कर लिया
और हमसे विदा लेकर चले गए।
कुछ घंटे बाद शाम के चार बजे के आसपास अचानक घोषणा हुई की रास्ता अस्थायी तौर
पर खुल गया है जिससे सिर्फ़ छोटी गाड़ियाँ जा सकती है । हम सब भी जल्दी से अपनी गाड़ी
पर जा पहुंचे और धीरे-2 वहां से निकल लिये । आगे जाकर देखा तो भूस्खलन का भयानक
मंजर था ,पूरा पहाड़ ही बह कर नीचे आ गया था । सड़क पर जाम की बुरी स्तिथि थी । भूस्खलन
वाले क्षेत्र में मलबा बार बार नीचे आ रहा था । कुछ गाड़ियाँ निकलती फिर मलबा आ
जाता ,फिर JCB उसे साफ़ करती फिर दूसरी गाड़ियों को निकलने दिया
जाता । दूसरी जगह एक छोटी नदी का रास्ता ही बदल गया था, वो अब सड़क पर बहने लगी थी
जिस कारण गाड़ियाँ बेहद धीमे और सावधानी से निकल रही थी । हमें 10 किलोमीटर के उस
भूस्खलन वाले क्षेत्र को पार करने में लगभग 6 घंटे लग गए ।
ड्राइवर ने कुशलता का परिचय देते हुए सारी रात गाड़ी चलाई और सुबह 5 बजे रामबन
के उस भंडारे पर लगा दी जहाँ हम जाते हुए रुके थे । हमारे साथी कमल को यहीं उतरना
था ।वहां जाकर सभी थोड़ी देर के लिये सो गए। 10 बजे तक सब उठ कर आगे के सफ़र के लिये
तैयार हो चुके थे । वहां से चलकर शाम को अम्बाला पहुँच गए ।
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बालताल की तरफ -काली मार्ग |
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ऊपर का रास्ता पंच तरणी जा रहा है -नीचे की और संगम घाटी में |
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नीचे की और संगम घाटी में |
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संगम घाटी में बहती पंचतरनी नदी |
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दूर दिखायी दे रही पंचतरनी वैली |
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संगम घाटी |
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बरारी टॉप की ओर
बरारी से गुफा की ओर देखने से
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रास्ते में एक बड़ा झरना पड़ता है |
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कैसे धुल उड़ रही है |
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दोमेल के पास
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दोमेल के पास
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दोमेल में लगा साइन बोर्ड |
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सिंध -बालताल |
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सिंध -बालताल |
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सोनमर्ग में राफ्टिंग भी होती है -सोनमर्ग की सभी फोटो दुसरे साल की है |
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सोनमर्ग |
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सोनमर्ग |
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सोनमर्ग |
Namskar naresh ji mai shuru se amaranth yatra ka vartant pdh rhi hu aisa lga rha h maine bhi apke sath ye yatra kar li hai...apne itne sunderta se vrnan kiya hai aur chitron ne toh post me char chaand lga diye...bahut bahut bdhai apko..�� pratima.
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिमा जी .
Deleteएक बार फिर से आपने अमरनाथ यात्रा की याद ताजा कर दी .. वक़्त ही नहीं मिल रहा हैं फोटो अपलोड करने का आज याद आया हैं तो करता हूँ जल्द ही अपनी यात्रा की फोटोज ..
ReplyDeleteधन्यवाद नटवर भाई .
Deleteजय बाबा बर्फानी ! बढ़िया विवरण । तस्वीरें और शानदार है ।
ReplyDeleteधन्यवाद मुकेश जी .
Deleteजय बाबा बर्फानी ! बढ़िया विवरण । तस्वीरें और शानदार है ।
ReplyDeleteबढ़िया वृतांत नरेश जी....तस्वीरें भी हमेशा की भांति खूबसूरत..👌
ReplyDeleteधन्यवाद डाक्टर साहेब .
Deleteजय बाबा बर्फानी
ReplyDeleteधन्यवाद अनिल जी .जय बाबा बर्फानी
Deleteशानदार यात्रा विवरण ओर फोटो उससे भी सूंदर
ReplyDeleteधन्यवाद रावत जी .
Deleteबढ़िया व्रतांत नरेश भाई शानदार फोटोग्राफी����
ReplyDeleteआपके साथ ये सफर शानदार रहा
धन्यवाद अजय भाई जी .
Deleteमुझे ये कहने में कोई गुरेज़ नहीं कि हर हिन्दू को जीवन में कम से कम एक बार अमरनाथ यात्रा जरूर करनी चाहिए ! हालाँकि मैं अभी तक नहीं कर पाया !! अच्छा लिखा नरेश जी !!
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी .आपसे सहमत हूँ हर हिन्दू को जीवन में कम से कम एक बार अमरनाथ यात्रा जरूर करनी चाहिए !अगली बार तैयार रहें .
DeleteSehgal Sahab Yatra Sansmaran Ke sath stah Photo Dekhkar Aap Poore Professional Photographer lag rahe ho
ReplyDeletejai bhlonath
धन्यवाद उमेश भाई .
DeleteBeautiful post complemented with very good photographs. Congratulations for the completion of this post . Jai Gauri Shankar💐💐
ReplyDeleteThanks dear.
Deleteजय हो शिव जी की...बढ़िया यात्रा
DeleteThanks Pratik Bhai
Deleteआपके साथ साथ हमारी भी अमरनाथ यात्रा पूरी हुई , आपने वास्तविक दर्शन किया बाबा बर्फानी के और हमने आभासी दर्शन, जय बाबा बर्फानी भूखे को अन्न प्यासे को पानी।
ReplyDeleteधन्यवाद अभ्यानंद जी ।💐
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय। नरेश भाई मजा आ गया यात्रा कर के। सारी फोटो बहुत ही अच्छी आई हैं। आप बहुत ही खुशकिस्मत वाले हो जिसे बाबा ने अपने धाम में बुलाया। मेरी अभी अमरनाथ यात्रा बाकी है। देखते हैं भोले बाबा कब बुलाते हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद शुशील जी .भोले बाबा आपको जल्दी ही बुला लेंगे .तैयारी करो .
Deleteशानदार लेख नरेश जी, पढ़कर मज़ा आया, व्यस्तता के कारण पिछले भाग नहीं पढ़ पाया हूँ, जल्द ही उन्हें पढ़कर उनपर भी प्रतिक्रिया दूँगा ! सबसे मजेदार पंक्ति ये लगी "शायद भगवान भूतनाथ ऐसा ही चाहते हैं कि उनके भक्तों को उनकी भभूत जरूर मिले।"
ReplyDeleteधन्यवाद प्रदीप भाई .
Deleteजानकारी के लिए धन्यवाद ,
ReplyDeleteऐसा लग रहा था हम भी आपके साथ यात्रा में शामिल थे
धन्यवाद किशन जी .
Deleteशानदार,आज ही सभी पोस्ट पढ़ी ह आनंद आ गया लगा की आपके साथ मैने भी य यात्रा कर ली
ReplyDeleteआभार,
धन्यवाद अशोक कुमार जी .संवाद बनाये रखिये ..
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ReplyDeleteYour photos are absolutely stunning! I would love this post. I really like this post. Beautiful blog post. The way the blog is represented with pictures of the places you travelled is really mesmerising.
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