Thursday, 27 December 2018

Trip to Chakrata and Budher Forest

चकराता  और बुधेर फारेस्ट हाउस की यात्रा
घूमने-फिरने की जब भी बात आती है तो हर किसी के मन में पहला ख्याल पहाड़ों की तरफ ही जाता है। मेरा भी इस वर्ष सितम्बर में चकराता जाने का प्रोग्राम अचानक बना । इससे पहले भी एक- दो बार प्रोग्राम बना था लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाया । असल में चकराता हमारे अम्बाला से ज्यादा दूर नहीं, मात्र 180 किलोमीटर दूर है ,तो यही सोचते थे अरे ये तो पास ही है कभी भी चले जायेंगे ।लेकिन इस कभी भी के चक्कर में काफी समय निकल गया। इस बार 21 सितम्बर को मुहर्रम की छुट्टी थी और 23 को रविवार की ।22 की छुट्टी लेकर तीन दिन का बढ़िया प्रोग्राम बना लिया । प्रोगाम के अनुसार हमें चकराता, उन्दावा वन , मोइला टॉप और टाइगर फॉल देखना था । चूँकि हम दो ही लोग थे –मैं और मेरा मित्र सुखविंदर –तो गाड़ी से चलने की बजे बाइक पर ही चलने का निश्चय किया । हमारी एक साथ यह चौथी बाइक यात्रा थी ।सबसे पहले 2015 में चोपता –तुंगनाथ और देवरिया ताल गए थे , फिर 2016 में बाइक पर हिमाचल में पराशर लेक और बिजली महादेव की यात्रा की। 2017 में कोटद्वार , लैंसडौन , द्वारीखाल और बर्सुड़ी की यात्रा की थी। 

 
तय दिन सुबह लगभग 8:30 बजे हम अम्बाला से निकल लिये । ज्यादा दूर नहीं जाना था इसलिए चलने में ज्यादा जल्दबाजी नहीं दिखायी । जाने से पहले हमने चकराता से 20 किमी आगे उन्दावा वन स्तिथ बुधेर फारेस्ट हाउस में रुकने के लिए बुकिंग करवा ली थी और आज हमें कलसी स्तिथ वन विभाग के कार्यलय से फारेस्ट हाउस में रुकने का परमिट लेना था । अम्बाला से चलकर पहला स्टॉप 100 कि.मी. बाद पौंटा साहिब से आगे ही लिया । चाय के विश्राम के बाद सफ़र फिर जारी रखा । पौंटा साहिब से आगे विकास नगर के बाद दायीं तरफ एक रास्ता यमुनोत्री के लिए चला जाता है और सीधा रास्ता चकराता की ओर । विकास नगर से आगे कलसी तक मैदानी मार्ग ही है । कलसी से आगे पहाड़ी मार्ग शुरू होता है । हमें कलसी से ही फारेस्ट हाउस में रुकने का परमिट लेना था । पूछते- पुछाते वन विभाग के ऑफिस पहुंचे तो मालूम हुआ आज छुट्टी के कारण ऑफिस बंद हैं । हमें हमारा परमिट आगे सड़क पर स्तिथ वन विभाग की चेक पोस्ट से मिल जायेगा । अब इस रोड पर तीन चेक पोस्ट थी । पहली पुलिस की, दूसरी आर्मी की और सबके बाद वन विभाग की। सब जगह रुकते ,पूछते और आगे चल पड़ते । आख़िरकार हमें परमिट मिला और हम आगे के सफ़र के लिए चल पड़े । इस परमिट के चक्कर में एक घंटा ख़राब हो गया । कलसी से चकराता लगभग 45 किमी आगे है ,सारा पहाड़ी मार्ग है पर सड़क अच्छी बनी है । जयादा ट्रैफिक नहीं था हम बाइक पर मस्ती में चले जा रहे थे ।

कलसी से लगभग 20 किमी आगे सहिया गाँव है, गाँव काफी बड़ा है और सड़क पर ही गाँव की मार्किट भी है और टैक्सी स्टैंड भी । हमें यहाँ से चकराता के लिए दाहिने हाथ ही चलना है । यहाँ से चकराता 25 किमी दूर ही रह जाता है । जैसे-जैसे हम चकराता की तरफ बढ रहे थे आसपास के नज़ारे मस्त होते जा रहे थे । बारिश का मौसम होने के कारण पहाड़ों पर चारों तरफ हरियाली छायी हुई थी। हम भी इन नजारों का आनंद लेते हुए बाइक पर चकराता की तरफ बढे चले जा रहे थे । दोपहर के दो बज चुके थे और भूख लगने लगी थी । रास्ते में एक चाय की दूकान पर रूककर घर से लाया हुआ खाना निपटाया और फिर एक-एक कप चाय पीने के बाद थोडा आराम फ़रमाया। दुकानदार से आसपास की थोड़ी जानकारी ली  और फिर अपनी आज की मंजिल की तरफ चल दिये । चकराता से 7-8 किलोमीटर पहले से ही नज़ारा एकदम बदलने लगता है । सड़क के आसपास हरे भरे पहाड़ों के शानदार व्यू दिखने शुरू हो जाते हैं। चकराता से पहले ही सड़क पर दो –तीन बढ़िया होटल /रिसोर्ट बने हुए हैं। जैसे-जैसे हम चकराता के पास पहुँच रहे थे मौसम में ठंडक बढती जा रही थी। लगभग 3:15 पर हम चकराता पहुँच गए । थोड़ी देर के लिए यहाँ रुके लेकिन मौसम को ख़राब होता देखकर आगे निकल लिये ।  
          
चकराता: उत्तराखंड में स्थित चकराता अपने शांत वातावरण और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से लगभग 7000  फीट (2118 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित यह नगर देहरादून से 98 किलोमीटर दूर स्थित है। चकराता प्रकृति प्रेमियों और ट्रैकिंग में रुचि लेने वालों के लिए एकदम उपयुक्त स्थान है। यहाँ के सदाबहार देवदार ,चीड़ , रोडोडेंड्रंस और ओक के वर्जिन जंगलों में दूर तक पैदल चलने का अपना ही मजा है। पहाड़ों के बीच बसा चकराता बहुत ही सुंदर जगह है। यहाँ के बारे में अभी कम लोगों को पता है और यही कारण है कि वहां भीड़-भाड़ भी ना के बराबर है। चकराता अपने आप में अनूठी सुंदरता समेटे हुए है और यह आपको धरती पर स्वर्ग का अनुभव कराता है। । हालांकि यह बहुत लंबा चौड़ा नहीं है लेकिन यहां की खूबसूरती आपके मन में बस जाएगी। चकराता की मार्केट छोटी सी लेकिन सुंदर है घूमने के लिहाज से चकराता से करीब 17 किमी की दूरी पर टाइगर फॉल बेहद सुंदर जगह है। यह फॉल इतना सुंदर है कि यहां से वापस आने का ही मन न करे। हिमाचल की सीमा पर होने कारण चकराता की संस्कृति में हिमाचली संस्कृति की झलक मिलती है। जौनसार-बावर क्षेत्र में बटे चकराता के लोग बाहर से आने वाले की आव-भगत में कोई कसर नहीं छोड़ते। सर्दियों के मौसम में यहां भारी बर्फबारी होती है। जिसके चलते यहां देश-दुनिया से आने वाले सैलानियों का जमावड़ा लग जाता है। चकराता जाने के लिए अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर का समय बेहतर है। यहां आप अपने वाहन से या फिर रोजवेज बस से आसानी से जा सकते हैं। यहां जाने के लिए विकासनगर से प्राइवेट टैक्सी की सुविधा भी है। आप देहरादून से भी विकासनगर-कालसी-सहिया होते हुए चकराता पहुंच सकते हैं” ।

 हमें आज चकराता से लगभग 20 किमी आगे बुधेर फारेस्ट हाउस में रुकना था । आगे देवबन के पास फिर रुके । घाटी का शानदार नज़ारा दिख रहा था । कुछ फोटो लिए और फिर चल दिए । इसी सड़क पर लोखंडी नाम से एक जगह है यहाँ से सड़क यू टर्न लेती है । यहाँ एक दो होटल और दुकान भी है । इसी स्थान से बुधेर फारेस्ट रेस्ट हाउस का रास्ता अलग हो जाता है । लोखंडी से बुधेर फारेस्ट रेस्ट हाउस 3 किमी दूर है । सड़क नहीं बनी है लेकिन गाड़ी जाने लायक रास्ता है । पूरा रास्ता उबड़ खाबड़ और देवदार के सघन जंगल से होकर है रास्ते में कोई आबादी नहीं है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे थे, जंगल घना होता जा रहा था और रौशनी कम होती जा रही थी । अभी शाम का समय होने के बावजूद, लंबे -२ पेड़ों और आसमान में छाये बादलों के कारण पर्याप्त रोशनी नीचे नहीं आ पा रही थी लेकिन सफ़र में जबरदस्त रोमांच आ रहा था ।

शाम 4:30 बजे आख़िरकार हम बुधेर फारेस्ट रेस्ट हाउस पहुँच गए । हमें देखकर एक लड़का बाहर आया । हमने उसे बताया की हमारी यहाँ आज की बुकिंग है तो उसने हमसे पुछा की क्या हमारे पास परमिट है । हमारे हाँ कहने पर वो रेस्ट हाउस के केयर टेकर को बुला लाया । केयर टेकर ने हमारा परमिट देखा लेकिन खुश नहीं हुआ । बुझे मन से कहने लगा देखो यहाँ बिजली नहीं है , ना ही यहाँ खाने को कुछ मिलेगा । हमने भी कह दिया जो तुम खाओगे वही हमें खिला देना.. वो बोला पानी की भी समस्या है ,बड़ी दूर से भरकर लाते हैं। मैंने बोला हम कौन सा इतनी ठण्ड में यहाँ नहाने आने हैं, बस बाथरूम के लिये दे देना। वो निराश होकर अन्दर गया और एक कमरा खोल दिया । केयर टेकर का जो हेल्पर था वो लड़का बढ़िया था, उसका नाम शायद सुनील था । उसे हमने बोला यार चाय तो पिला दे , वो बोला -सर देखता हूँ दूध है या नहीं ,यह कहकर वो चला गया । थोड़ी देर बाद सुनील हमारे लिए चाय ले आया । हमने उससे कहा की हमें ऊपर मोइला टॉप पर जाना है ,वो बोला सुबह जाना, अब तो अँधेरा शुरू हो गया है। वहां जाने में भी एक-ढेड़ घंटा लग जायेगा , अँधेरे में ऊपर जाकर क्या देखोगे । बात तो उसकी सही थी । ऊपर टॉप पर एक बढ़िया बुग्याल है और एक दो छोटी गुफाएं भी है । इन्हें बुधेर केव्स कहा जाता है । अँधेरे में कुछ न देख पाते । सुनील ने कहा सुबह चलना ,मैं भी आपके साथ चलूँगा ।

अब तक बाहर अँधेरा हो चूका था । वैसे तो अभी शाम के 5:30 ही हुए थे लेकिन जंगल में होने के कारण रोशनी जल्दी चली गयी । कुछ देर तो हम रेस्ट हाउस के बाहर इधर उधर घूमते रहे लेकिन हलकी बूंदा बंदी होने पर कमरे में आ गये । थोड़ी देर बाद सुनील हमारे कमरे में एक छोटी सी सोलर लाइट रख गया और हम भी ठण्ड को दूर भगाने के लिए ‘खाने-पीने’ में व्यस्त हो गए। बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी । लगभग आठ बजे सुनील हमें खाने के लिए बुलाने आ गया । बाहर डाईनिंग हाल में खाना लगा दिया और एक मोमबती जला दी । खाने में दाल चावल और रोटी सब्जी ,बाहर रिमझिम बरसता पानी और शीतल हवा और जंगल से आती सन्नाटे की आवाज !!!! वाह आनंद आ गया, शब्दों में बयां करना मुश्किल है  । ऐसा मज़ा तो किसी स्टार होटल में न आये। खाना खाने के बाद हम लोग बिस्तर में जाकर सो गए ।

पूरी रात बारिश होती रही । सुबह उठे ,बाहर देखा तो बारिश जारी थी ,दोबारा बिस्तर में घुस गए । सुनील आया तो उससे चाय मंगवाई । वो बोला -सर दूध खतम हो गया है, तो हमने उससे बिना दूध वाली चाय ही मंगवा कर पी । वो बोला अभी नाश्ते के लिए कुछ नहीं है । केरोसिन खत्म हो गया है । कुछ इंतजाम करते हैं । असल में केयर टेकर जो कहता वो ही सुनील हमें आकर बोल देता । बारिश के कारण हम फसें थे अन्यथा यहाँ से कब के निकल जाते । बारिश अभी भी अनवरत जारी थी। दोबारा बिस्तर में घुस गए । इस बारिश के कारण सारा प्रोग्राम चौपट होता दिख रहा था । मोइला टॉप पर जाने का रास्ता कच्चा है । बारिश बंद हो भी जाये तो कीचड़ के कारण वहाँ जाना अब संभव नहीं था । कल रात को जो बारिश अच्छी लग रही थी, वही अब विलेन बन चुकी थी । सुनील फिर चाय बनाकर ले आया  । बोला दोपहर का खाना मिल जायेगा । लकड़ी जला कर उस पर बना रहे हैं । उसने ही बताया की अब आप टाइगर फ़ाल भी नहीं जा पाओगे । ज्यादा बारिश में वहां जाना संभव नहीं, रास्ता फ़िसलन वाला होने के कारण बंद कर देते हैं और फ़ाल में भी सारा मिटटी वाला गन्दा पानी ही आएगा ।

दोपहर का खाना भी तैयार हो गया । खाना खा भी लिया लेकिन बारिश नहीं रुकी । सुखविंदर के पास तो रेन कोट था लेकिन मेरे पास नहीं था ,दूसरा बारिश भी तेज़ थी तो निकलना सम्भव नहीं था । आख़िरकार 2:30 बजे बारिश हलकी हुई । रेस्ट हाउस वाले को रुकने और खाने के पैसे चुकाए । सुनील को भी अलग से पैसे दिए और वहां से निकल लिए । चकराता पहुँचने पर फिर से बारिश शुरू हो गयी । एक दुकान में रूककर चाय के साथ पकोड़े खाये और फिर बारिश रुकने का इंतजार किया । इस बार ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा । अब चकराता से चले तो सीधा कलसी आकर ही रुके । 5 मिनट का ब्रेक लिया और फिर वापसी जारी रखी । अगला शोर्ट ब्रेक पौंटा साहिब में लिया और फिर छछरौली के पास एक ढाबे पर रात का खाना खाया और इस तरह चलते रुकते रात ग्यारह बजे अम्बाला वापस पहुँच गए ।  इस टूर पर हम मोइला टॉप और टाइगर फ़ाल तो नहीं देख पाए लेकिन अंग्रेजो द्वारा 1868 में बनवाये गए  बुधेर फारेस्ट हाउस में एक रात का रुकना हमारे लिए अविस्मरनीय अनुभव बन गया । इस रेस्ट हाउस की लोकेशन बड़ी जबरदस्त है । 2525 मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ ,घने जंगल के 3 किलोमीटर अन्दर , जहाँ आस पास दूर-दूर तक कोई आबादी न हो । दुनिया से एकदम कटे हुए . जहाँ न बिजली है न मोबाइल का सिग्नल ...बस है तो केवल प्रकृति, सकून और कभी न भुलने वाला अनुभव !!!!

रेस्ट हाउस 

रेस्ट हाउस का गेट 

उन्दावा वन 

रेस्ट हाउस से दिख रहा दृश्य 




कलसी से आगे 

सुखविंदर


यहीं खाना खाया था 







यहाँ आल्टो भी पहुँच सकती है 





चकराता 

चकराता 

चकराता 


चकराता 

चकराता 

चकराता 



बुधेर फारेस्ट रेस्ट हाउस 

बुधेर फारेस्ट रेस्ट हाउस 


चकराता

चकराता

देवबन 


चकराता



चकराता









45 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2018) को "नव वर्ष कैसा हो " (चर्चा अंक-3199)) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार शास्त्री जी 💐💐

      Delete
  2. Replies
    1. धन्यवाद चौहान साहब💐💐

      Delete
  3. वाह सहगल साहब । वैसे आज दूसरी बार 5 स्टार की झन्ड किसी घुमक्कड़ के मुँह से सुन रहा हूँ । पहले में शायद पाण्डेय जी की तुंगनाथ यात्रा में हुई और दूसरी आप ने कर दी । सच मे जब भूख प्रॉपर हो तो जो मिल जाये उसके आगे सब फेल हैं ।
    आधी अधूरी सही बढ़िया यात्रा ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद कौशिक साहब । बिल्कुल सही फ़रमाया आपने ।👍💐💐

      Delete
  4. बेहद खूबसूरत जगह के बारे में जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहगल साहब। शानदार पोस्ट

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद ओम भाई जी ।💐💐

      Delete
  5. सहगल साहब...बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनिल शाब जी

      Delete
  6. बढ़िया पोस्ट......फारेस्ट हाऊस बढ़िया लगा...और वहाँ की pics भी ज्यादा खूबसूरत हैं.....बाकी मज़ा आ गया होगा वहाँ रात गुजारने में.....👌👍

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद डॉक्टर साहब ।सच मे खूब आंनद आया 👌💐💐

      Delete
  7. सहगल साब की जय हो। बारिश वास्तव में पहाड़ों पर कभी अप्रतिम सौंदर्य की देवी तो कभी खलनायिका बन जाती है। मैं दो बार चकराता गया हूँ और दोनों ही बार टाइगर फॉल भी गया। इस बार मार्च में गए तो एक आद्भूत स्थल चिलमिरी नेक पर भी गए। हिंदी फिल्मों में विलेन हेलीकॉप्टर से उतर कर नायक को उसकी नायिका सौपने के बहाने ऐसी ही जगह बुलाता है और फिर खूब ठाँ ठाँ होती है। बस चकराता की छत ही समझ लीजिए। 360 डिग्री व्यू दिखता है यहां से!

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सिंघल साहब ।अगले चक्कर मे आपकी बतायी जगह पर भी जायेंगे ।👍💐💐

      Delete
  8. आनंद ही आनंद। बढ़िया यात्रा। अपन को भी जाना एक बार उधर एक बार।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद त्यागी जी ।जरूर जाना ,निराश नही होंगे ।👍💐💐

      Delete
  9. वाह सुंदर पोस्ट,चकरोता अपने आप मैं खूबसूरत जगह है और साथ ही खूबसूरत दोस्त,फ़ोटो सभी लाजबाब👌👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. ढेर सारा धन्यवाद दीदी ।👍👍💐💐

      Delete
  10. Budher Forest Rest house ki booking kha se hoti h n permit ka kya procedure hai?

    ReplyDelete
    Replies
    1. Fax No/telephone for booking- 01360-275078. You have to send fax ,they will confirm just 3-4 days before booking date.

      Delete
  11. sab fotu jabardast hain.. caretaker ki complaint karo.. ye tarika theek nahi

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद तिवारी जी । खाने की सुविधा रुकने में शामिल नही थी क्या शिकायत करते उसकी ।थोड़े नखरे तो किये लेकिन खाना नही उसी ने खिलाया ।👍👍💐💐

      Delete
  12. वाक़ई बेहद खूबसूरत और शांत...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद मनोज भाई 💐💐

      Delete
  13. भैया जी बहुत मन था वहां जाने का लेकिन समय की कमी थी तो वहाँ उस बार नही जा पाये आपकी पोस्ट के बाद अब जब अगली बार उधर जायेंगे तो सबसे पहले चकराता जायेंगे ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सोनू जी ।अगली बार जरूर जाना 👌👌

      Delete
  14. प्रेम सागर जी जब हम लोग पहुंचे थे जरूर अटपटा था लेकिन बाद में खाने का सारा बंदोबस्त भी किया था उसने। सरकारी किचन में कुछ नहीं था। अपने खाने में से ही हमें खिलाया था।

    ReplyDelete
  15. Well described post, Ausome pics.....

    ReplyDelete
  16. बहुत ही बढ़िया पोस्ट नरेश भाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सुशील कैलाशी जी 💐💐

      Delete
  17. बहुत अच्छे नरेश जी ..... मोइला टॉप और टाइगर फाल रह गया पर बुधेर रेस्ट हाउस की एक रात बिताकर अपनी अवस्मरणीय पलो को संजोय लिया ..... लेख और चित्र अच्छे लगे ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद रीतेश जी . खासकर बारिश के सीजन में चकराता के आसपास की सुन्दरता बहुत बढ़ जाती है .

      Delete
  18. इस जगह के फोटो और लोकेशन वाकई बहुत जबरदस्त लग रहे है....लेकिन न लाइट न पानी न खाना न चाय ...अगर यह सब सुविधा होती तो और मजा आ जाता...मोयला टॉप के लिए वापस कभी जाओगे ही आप....इस जगह में एक दिन रुकना भी मजेदार है...बढ़िया वर्णन और फोटोस....

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद प्रतीक भाई . खाना पीना तो हो ही गया था ...वैसे उन्हें ये सुविधा वहां होनी चाहिए .

      Delete
  19. बहुत खूब सहगल साब ...प्रकति की छाँव में बसा चकराता सच में बहुत खूबसूरत लगा और आपने जिस तल्लीनता से इसे लिखा है ...मन कर आया जाने को ...बेहतरीन

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद योगी भाई जी .बारिश के बाद इसकी सुन्दरता देखने लायक होती है .

      Delete
  20. नरेश भाई अब तो चकराता जाना ही पड़ेगा। बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद शशि भाई जी .

      Delete
  21. Wow..awesome picture and lush green surroundings..Great

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद राज साहब ..

      Delete
  22. Nice Post with beautiful pictures.

    ReplyDelete
  23. Kya kalsi se chakrata , koi bhi apne vehicle se ja sakta he ?
    2000 ke pahle to keval vahi k vehicles aur driver ja sakte the.

    ReplyDelete