सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के उपरांत रात
को वेरावल से चलकर अगले दिन सुबह अहमदाबाद पहुँच गये । प्लेटफॉर्म पर बने
विश्रामालय के स्नानघर में pay एंड use सुविधा का उपयोग कर, नहा-धोकर तैयार
हो गए और फिर नाश्ते से निपट के अहमदाबाद घूमने के लिए तैयार हो गए । एक छोटा
पिट्ठू बैग छोड़ बाकि सारा सामान स्टेशन पर
ही क्लॉक रूम में जमा करवा दिया और स्टेशन से बाहर आ गए । स्टेशन से बाहर निकलते
ही टैक्सी चालकों और ऑटो रिक्शा वालों ने घेर लिया । सभी अहमदाबाद/गाँधी नगर घूमाने
के पैकेज बेच रहे थे ।
 |
साबरमती रिवर फ्रंट
|
हमारे पास दोपहर तक का समय था , शाम को हमें
अम्बाला के लिए ट्रेन पकड़नी थी , इसलिए हमे अपने हिसाब से प्रोग्राम बनाना था । एक
ऑटो वाले से 700 रुपये में बात हो गयी जिसमे वो हमें साबरमती फ्रंट , गाँधी आश्रम , अक्षरधाम , हठी जैन का मन्दिर , भूल भुलैया दिखाकर
कांकरिया लेक पर छोड़ देगा । हमारी इच्छा सबसे पहले अक्षरधाम मन्दिर जाने की थी
लेकिन अभी सुबह के 7 ही बजे थे और वो 9 बजे के बाद खुलता है इसलिए सबसे पहले हम
गाँधी आश्रम चले गए । ग़ांधी (साबरमती ) आश्रम , गाँधी नगर में है
और वहाँ पहुँचने में ही लगभग आधा घण्टा लग गया । आश्रम उस समय खुल चुका था । आश्रम
के पिछली तरफ साबरमती नदी है । उस समय यहाँ बडा ही शांत वातावरण था । आश्रम में
हमारे अलावा दो चार लोग ही घूमने आए हुए थे ।
साबरमती आश्रम : गांधी जी की मृत्यु के पचात् उनकी स्मृति को निरंतर
सुरक्षित रखने के उद्देय से एक राष्ट्रीय स्मारक की स्थापना की गई। साबरमती आश्रम
गांधी जी के नेतृत्व के आरंभ काल से ही संबंधित है, अत:
गांधी-स्मारक-निधि नामक संगठन ने यह निर्णय किया कि आश्रम के उन भवनों को, जो गांधी जी से संबंधित थे, सुरक्षित रखा जाए।
इसलिए 1951 ई. में साबरमती आश्रम सुरक्षा एवं स्मृति न्यास अस्तित्व
में आया। उसी समय से यह न्यास महात्मा गांधी के निवास, हृदयकुंज, उपासनाभूमि नामक
प्रार्थनास्थल और मगन निवास की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है।
हृदयकुंज में गांधी जी एवं कस्तूरबा ने
लगभग 12 वर्षों तक निवास किया था। 10 मई 1963 ई. को श्री जवाहरलाल ने हृदयकुंज के समीप गांधी स्मृति
संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस संग्रहालय में गांधी जी के पत्र, फोटोग्राफ और अन्य दस्तावेज रखे गए हैं। यंग इंडिया, नवजीवन तथा हरिजन में प्रकाशित गांधी जी के 400 लेखों की मूल प्रतियाँ, बचपन से लेकर
मृत्यु तक के फोटोग्राफों का बृहत् संग्रह और भारत तथा विदेशों में भ्रमण के समय
दिए गए भाषणों के 100 संग्रह यहाँ
प्रदर्शित किए गए हैं। संग्रहालय में पुस्तकालय भी हैं, जिसमें साबरमती आश्रम की 4,000 तथा महादेव देसाई
की 3,000 पुस्तकों का संग्रह है। इस संग्रहालय में महात्मा गांधी
द्वारा और उनको लिखे गए 30,000 पत्रों की
अनुक्रमणिका है। इन पत्रों में कुछ तो मूल रूप में ही हैं और कुछ के माइक्रोफिल्म
सुरक्षित रखे गए हैं।
बापू ने आश्रम में 1915 से 1933 तक निवास किया। जब
वे साबरमती में होते थे, तो एक छोटी सी कुटिया में रहते थे जिसे आज भी "ह्रदय-कुंज" कहा जाता है। यह ऐतिहासिक दृष्टि से अमूल्य निधि है जहाँ उनका डेस्क, खादी का कुर्ता, उनके पत्र आदि मौजूद हैं।
कुंज - ह्रदय के दायीं तरफ नंदिनी कक्ष है
जहाँ देश विदेश से आये अतिथि ठहरते थे। विनोबा कुटीर भी पास ही में है जहाँ आचार्य
विनोबा भावे ठहरे थे ।जब तक साबरमती आश्रम का दर्शन न किया जाए तब तक गुजरात या
अहमदाबाद नगर की यात्रा अपूर्ण ही रहती है। अब तक विश्व के अनेक देशों के प्रधानों, राजनीतिज्ञों एवं विशिष्ट व्यक्तियों ने इस आश्रम के दर्शन
किए हैं।
एक घण्टे से ज्यादा समय साबरमती आश्रम
में बिताने के बाद हम अक्षरधाम मन्दिर चले गए । अक्षरधाम मन्दिर खुलने से पहले ही
हम वहां पहुँच चुके थे । चूँकि मन्दिर में कैमरा, मोबाइल,बैग आदि कुछ भी सामान ले जाना मना है तो हमने अपना सारा
सामान, मंदिर समिति द्वारा उपलब्ध लॉकर में जमा करवाया, फिर काउंटर से अंदर जाने
के लिए टिकट ली और मन्दिर के अंदर चले गए ।
अक्षरधाम मंदिर
अक्षरधाम मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर स्थित विशाल मंदिर है। यह
मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय द्वारा निर्मित है। अक्षरधाम मंदिर
गुजरात के प्रमुख सांस्कृतिक
केंद्रों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 1992 में हुई थी। मंदिर 32 मीटर ऊंचा, 73 मीटर लंबा और 39 मीटर चौड़ा है। इस प्रसिद्ध मंदिर के
निर्माण में कहीं भी इस्पात या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है। भगवान
स्वामीनारायण को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 6000 गुलाबी बलुआ पत्थरों से हुआ है।
अक्षरधाम मंदिर के प्रथम तल में स्थित 'हरी मंडपम' मंदिर का सबसे पवित्र स्थल है। भगवान स्वामीनारायण और उनके
अनुयायियों की मूर्तियां यहां स्थापित हैं। भगवान स्वामीनारायण को समर्पित इस
मंदिर में उनकी सोने की करीब 7 फीट ऊंची मूर्ति इस मंदिर की सैद्धांतिक मूर्ति है । इस
मंदिर की जटिल नक्काशीदार दीवारों पर गुलाबी पत्थर लगा
है जो दिन में सूरज की रोशनी में चमकता रहता है। हरे भरे
पेड़-पौधों से सुशोभित इस मंदिर में बड़ी संख्या में लोग दर्शन के अलावा घूमने भी
आते हैं। मंदिर के बगीचे और फव्वारे बेहद आकर्षक हैं। यहां पर उद्यानों में बच्चों
को खेलने की उचित व्यवस्था है। इसके अलावा यहां के सुंदर झरने और झीलें
पयर्टकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां की खासयित यह है कि यहां एक ही छत
के नीचे कला, वास्तुकला, शिक्षा, अनुसंधान और प्रदर्शनियों के विभिन्न पहलुओं को एक साथ देखा
जा सकता है। अक्षरधाम की टैगलाइन है- "यह वह स्थान है, जहाँ कला चिरयुवा है, संस्कृति असीमित
है और मूल्य कालातीत हैं। "
यहाँ भी एक घण्टे से अधिक समय लग गया ।
मन्दिर से बाहर आने के बाद कुछ खान पान किया
और वापिस अहमदाबाद लौटने के लिए ऑटो रिक्शा में सवार हो गए । मन्दिर के पास ही
गुजरात विधानसभा की बिल्डिंग है जो काफी आकर्षक और विशाल बनी हुई है । अहमदाबाद
लौटकर पहले भूल भुलैया गए और फिर हठी नाथ जैन के मन्दिर । ये मंदिर भी काफी भव्य
बना हुआ है । बड़ी बारीक कलाकारी की हुई है । मन्दिर में एक सोने का रथ भी है जिसे
साल में एक बार शोभा यात्रा में निकाला जाता है। हठीसिंह जैन मंदिर देखने के बाद
हमें ऑटो वाले ने कांकरिया झील पर उतार दिया । यहाँ झील के साथ ही सुन्दर पार्क और
एक चिड़ियाघर बना हुआ है । यहाँ आप जितना चाहे समय व्यतीत कर सकते हैं ।
हठीसिंह
जैन मंदिर
सजावट के साथ जटिल नक्काशी इस मंदिर की
प्रमुख विशेषता है। इस मंदिर का निर्माण सफेद
संगमरमर पर किया गया है। हाथीसिंह जैन मंदिर अहमदाबाद के प्रमुख जैन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में रिचजन मर्चेंट ने
किया था। इस मंदिर को उन्होंने जैनों के 15वें गुरु धर्मनाथ को समर्पित किया था। हथींसिंग जैन मंदिर, 15 वें जैन तीर्थंकर धर्मनाथ को समर्पित है और इसे अहमदाबाद
के एक व्यवसायी शेठ हथिसिंग के द्वारा दान 10 लाख रूपयों की
लागत से बनाया गया है। शेठ हथिसिंग की
मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इसका निर्माण पूरा करवाया । इसका निर्माण 1848 ई। र्पू। हुआ था। इसे सफेद पत्थर से बनवाया गया है जो सलत
समुदाय के लिए एक उत्कृष्ट शिल्प कौशल का नमूना है और इसमें विशेष रूप से
प्रेमचंद्र सलत का काम भी हुआ है। यह मंदिर दिल्ली गेट के काफी करीब है। इसमें एक
मंडप, टॉवर के साथ गुंबद और सुंदर नक्काशी वाले सर्पोट करते हुए 12 खंभे है। मुख्य मंदिर, पूर्व में ज्ञिथत
है और जैन तीर्थकरों के कुल 52 श्राइन है।
श्राइन के मुख्य द्वार के सामने कीर्ति स्तंभ/महावीर स्तंभ ( सम्मान का स्तंभ
) बने है, इन्हे देखने के बाद मंदिर में प्रवेश होता है। यहां स्थित 78 मीटर ऊंचा लम्बा टॉवर राजस्थान के चित्तौड़ टॉवर से
मिलता है। इस टॉवर पर की गई नक्काशी मुगल डिजाइन से काफी मिलती जुलती है।
कमला नेहरू प्राणी उद्यान
कांकरीया झील गुजरात की दूसरी सबसे बडी
झील है। इसकी परिधी करीब 2।25 किलोमिटर की है। कांकरीया झील अहमदाबाद के दक्षिण
में स्थित मणीनगर उपनगरीय इलाके में आई हुई है। कांकरीया झील का निर्माण सुल्तान
अहमद शाह ने करवया था। झील के मध्य में नगीना वाडी नामक उपवन है। काँकरिया झील
भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में स्थित सबसे बड़ी झील है। काँकरिया झील
को 'क़ुतुबु हौज' और 'हौज-ए-क़ुतुबु' के नाम से भी जाना
जाता था। सुल्तान क़ुतुबुद्दीन ने काँकरिया झील का निर्माण 15वीं शताब्दी में शुरु
किया और 1451 ईस्वी में स्थापित हुई। लगभग डेढ़ कि॰मी॰ परिधि में फैली इस झील के
मध्य नगीनावाड़ी महल स्थित है। काँकरिया झील के मध्य में बहुत ही सुंदर द्वीप महल
है। यहाँ मुग़ल काल के दौरान नूरजहाँ और जहांगीर अक्सर घूमने जाया करते थे।
काँकरिया झील पर्यटकों के बीच में बहुत प्रसिद्ध है और यहाँ नौका विहार का भी
उत्तम प्रबंध है। काँकरिया झील के चारों ओर बहुत ही ख़ूबसूरत बगीचे है और इसी झील
के निकट बाल वाटिका, चिड़ियाघर आदि
स्थित हैं। शाही बाग़ महल, शाह आलम का रोज़ा, केलिको टेक्सटाईल संग्रहालय, श्रेयांस लोक-कला
संग्रहालय आदि शहर के अन्य प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। अहमदाबाद का कमला नेहरू प्राणी उद्यान भी यहां घूमने की खास जगहों
में है। इसे कांकरिया
चिड़ियाघर के रूप में भी जाना जाता है। 31 एकड़ क्षेत्र में
फैले इस उद्यान में बाघ, हाथियों, नीलगाई, एनाकोंडा, स्पॉट डियर, इंडियन स्टार कछुए, बीयर, सिल्वर पियिएन्ट्स, निकोबार कबूतर, व्हाइट पीकॉक्स की दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिलती हैं। यहां खिलौना ट्रेन भी चलती
हैं।
हम लगभग दो घंटे कांकरीया झील और चिड़ियाघर
घूमते रहे और फिर एक दूसरा ऑटो रिक्सा लेकर रेलवे स्टेशन लौट आए । शाम की ट्रेन से
अम्बाला के लिए वापसी शुरू की और अगले दिन एक धाम और दो ज्योतिर्लिंग की सफल
यादगार यात्रा के बाद सकुशल घर पहुँच गए ।
गुजरात यात्रा की इस सीरीज की पिछली पोस्ट पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें ।
 |
साबरमती आश्रम |
 |
साबरमती आश्रम |
 |
साबरमती आश्रम |
 |
साबरमती आश्रम से नदी की ओर जाता रास्ता |
 |
साबरमती आश्रम |
 |
गाँधी के 3 बन्दर |
 |
हठीसिंह
जैन मंदिर
|
 |
हठीसिंह
जैन मंदिर
|
 |
चिड़ियाघर |
 |
चिड़ियाघर |
 |
चिड़ियाघर |
 |
कांकरीया
झील |
 |
कांकरीया
झील |
 |
कांकरीया चिड़ियाघर |
 |
खिलौना ट्रेन |
 |
कांकरीया झील |
 |
अक्षरधाम मंदिर -चित्र नेट से |
अच्छे चित्रों सहित उपयोगी जानकारी देने के लिए धन्यवाद। साबरमती आश्रम गांधीनगर में नहीं, अहमदाबाद में ही है। मुझे दो बार वहां जाने का अवसर मिला। अक्षरधाम मंदिर कोई सा भी नहीं देख पाया हूँ। काँकरिया लेक को वास्तव में बहुत अच्छे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर लिया गया है वरना पहले तो वह जरायमपेशा लोगों और अपराधियों के उठने बैठने की जगह हुआ करती थी।
ReplyDeleteधन्यवाद सुशान्त जी । अक्षरधाम बेहद कलात्मक बना है आप जरूर देखना । साबरमती आश्रम की जानकारी ठीक करता हूँ ।
Deleteबहुत शानदार, व्यवस्थित और बारीकियों को ध्यान में रखकर वृतान्त को पूरा किया गया है। हमारी भी यात्रा की पुनरावृत्ति हो गई। रुचिकर यात्रा साहित्य लिखते रहिए��
ReplyDeleteधन्यवाद प्रकाश मिश्रा जी । संवाद बनाये रखिये ।।💐💐💐💐
Deleteसुन्दर चित्रों से सम्माहित ,जानकारी से भरी बढ़िया पोस्ट .
ReplyDeleteधन्यवाद अजय कुमार जी ।💐💐
Deleteबहुत मज़ा आया आपके द्वारा दर्शन करने में। आपकी यात्रा ऐसे ही सफल, सुखद और मंगलमयी होने की कामना करते है। तस्वीरे फिर से लाजवाब है।
ReplyDeleteधन्यवाद अनित कुमार जी
Deleteहठीसिंह जैन मंदिर की नक्काशी तो वाकई देखने लायक है ।
ReplyDeleteधन्यवाद उमेश पाण्डेय जी
Deleteबहुत सुन्दर पोस्ट
ReplyDeleteधन्यवाद धीरज जी ...
Deleteखूबसूरत चित्र और शानदार यात्रा वृतांत ...
ReplyDeleteधन्यवाद योगी भाई जी .यूँ ही होंसला बढ़ाते रहो .
Deleteवाह दिल लुभावन तस्वीरें और कमाल की जानकारी
ReplyDeleteसच ✍️✍️ आभार ❤️🙏
धन्यवाद विजया दी ..
Deleteउपयोगी जानकारी भरी पोस्ट...खूबसूरत चित्र
ReplyDeleteधन्यवाद संजय भास्कर जी ।💐💐
Deleteहठी सिंह जैन मंदिर याने हठी सिंह नो देरासर इसको देख कर मजा आ गया....अहमदाबाद यात्रा साबरमती आश्रम के बिना अधूरी है...बहुत सही से अहमदाबाद वापस घूम लिए...करीब 8 साल पहले इन सभी स्थलों की की गई यात्रा याद आ गयी...
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई । सच मे हठी सिंह जैन मंदिर बहुत खूबसूरत है ।💐
DeleteNICE POST.
ReplyDeletethanks..
Deleteim just reaching out because i recently published .“No one appreciates the very special genius of your conversation as the
ReplyDeletedog does.
(buy puppies online )
(shih tzu puppies )
(buy puppie online )
(buy puppies online )
(shih tzu puppies )