बिजली महादेव ( Bijli Mahadev)
लगभग पौने नौ बजे हम
पराशर से अपनी अगली मंजिल बिजली महादेव की ओर चल दिए । कल जाते हुए तो अँधेरे के
कारण सुन्दर दृश्य नहीं देख पाए थे लेकिन आज दिन के उजाले में चारो तरफ सुन्दरता
ही नज़र आ रही थी । सड़क देवदार के घने जंगल से होकर है । जंगल इतना सघन है की इसके बहुत
से हिस्से में नीचे धूप नहीं पहुँच पाती और इसी कारण से पेड़ों के तने काई से भरे
हुए थे । शुरू के दस किलोमीटर का रास्ता काफ़ी ख़राब था इसीलिए हमारा ध्यान सड़क पर
ज्यादा था । पहाड़ी इलाकों में चढ़ाई से उतराई हमेशा ज्यादा ख़तरनाक होती है । चढ़ाई
के समय तो केवल बाइक का ज्यादा जोर लग रहा था लेकिन उतराई में बैलेंस की ज्यादा
दिक्कत थी । दोनों बाइक के इंजन बंद थे फिर भी बाइक 30-40 की स्पीड से नीचे भाग रही थी । हर 50-60 मीटर के बाद ही ख़तरनाक
मोड़ आ जाता था जिसके कारण बड़ी सावधानी से बाइक चलानी पड़ रही थी । अधिक ढलान होने
से दोनो ब्रेक मारने पर भी बाइक जल्दी नहीं रूकती । लगभग पौने घंटे में हमने वो
घटिया रास्ता पार किया ।उससे आगे सड़क बिलकुल नयी बनी थी । आप इस रास्ते की तुलना उखीमठ से चोपता जाने वाले
मार्ग से कर सकते हैं ....घना जंगल ,ढेर सारी हरियाली और काई से भरे पेड़ों के तने।
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प्रवेश द्वार |
बागी गाँव से पहले ही रास्ते में एक नया और साफ़
सुथरा ढाबा मिला । वहीँ नाश्ता किया गया । लड़के ने काफ़ी अच्छे परांठे बनाये थे ।
नाश्ता करने के बाद हमने आगे का सफ़र ज़ारी रखा । बागी गाँव से निकलने के चार किलोमीटर
बाद पराशर से आने वाली सड़क, मंडी से कटौला कांडी बजौरा होते हुए कुल्लू जाने मुख्य
सडक में मिल जाती है । यह एक तिराहा है ।जिसमे से एक रास्ता बागी गाँव होते हुए
पराशर को ,दूसरा कटौला गाँव होते हुए मंडी को और तीसरा
कांडी बजौरा होते हुए कुल्लू की तरफ जाता है ।यह तिराहा बागी गाँव और कटौला गाँव
के लगभग मध्य में है । इस तिराहे से दोनों की दुरी लगभग चार किलोमीटर है और कुल्लू
की दुरी 43 किलोमीटर है । रास्ता सिंगल लेन ही है लेकिन अच्छा बना है।
शुरू में तो तीखी चढ़ाई है । बाइक का पूरा जोर
लगा । पहले या दुसरे गियर में ही चलानी पड़ी लेकिन आगे कुल्लू तक लगभग सारा रास्ता
ही उतराई का है और बेहद खूबसूरत है । हिमाचल के अंदरूनी गांवों से होते हुए और चीड़
के घने जंगल से बलखाती सड़क पर बाइक चलाने का आनंद ही कुछ और है । उतराई पर बाइक
बंद थी और तेजी से भाग रही थी । जब कहीं समतल जगह या चढाई आती तो बाइक स्टार्ट कर
लेते अन्यथा बंद से ही अच्छा काम चल रहा था । लगभग दो घंटे के सफ़र के बाद हम बजौरा पहुँच गए ।
बजौरा मंडी कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही है। यहाँ से 10 मिनट के बाद ही हम
भुन्तर पहुँच गए । यहाँ पहुँच कर हमने एक ऑटो वाले से बिजली महादेव जाने का रास्ता
पुछा । उसने बताया की थोड़ा आगे ही मणिकर्ण चौक से पुल
पार करके दायीं तरफ़ हो जाओ । इसी पुल से एकदम पहले ही ब्यास और पार्वती नदियों का
संगम स्थल है । यह पुल काफ़ी कमजोर है एक समय में एक तरफ का ट्रैफिक ही चलता है ।
इस सड़क को कुल्लू बाइपास भी कहते हैं और मणिकर्ण रोड भी ।यह सड़क पार्वती नदी के
साथ साथ ही है । थोड़ा आगे जाकर एक सड़क सीधे हाथ
मणिकर्ण को चली जाती है ,मुख्य सड़क बाएं और घूमते हुए, पार्वती नदी पर पुल
को पार करके कुल्लू की तरफ । यहाँ सड़क पर
ट्रैफिक काफ़ी कम था ।बाइक तेज़ी से चलाई ।
आगे जाकर रामशिला फ्लाईओवर के नीचे से सीधे
हाथ की तरफ यु टर्न लेकर एक सड़क बिजली महादेव को चली जाती है । यहाँ से कुल दुरी
25 किलोमीटर है ।23 किलोमीटर सड़क मार्ग और बाकि 2 ट्रैकिंग। यहाँ के बाद अब रास्ता
पूछने की कोई दिक्कत नहीं । यही सड़क है जो बहुत से हिमाचली गाँवो से होते हुए बिजली महादेव जाएगी ।यहाँ भी सड़क पर
काफ़ी चढ़ाई है और इतनी घुमावदार कि क़भी आप पूर्व की ओर जा रहे होते हो तो कभी
पश्चिम की ओर । कभी उत्तर दिशा में तो कभी दक्षिण दिशा में । यदि सूर्य देव न हो
हों दिशा भ्रम पक्का है। हिमाचली गाँवो से होते हुए, सेब
के बागों से गुजरते हुए कब सड़क खत्म हो गयी पता ही नहीं चला ।सड़क खत्म होने के बाद
दो किलोमीटर की सीधी चढाई है। सीड़ियाँ बनी हुई है जिसमे से बहुत सी टूटी हुई हैं ,लगता
है काफ़ी समय से इनकी देख रेख नहीं हुई ।
हम
एक घंटे में ऊपर बिजली महादेव पहुँच गए। ऊपर एक हरा भरा विशाल मैदान सा है। बाकि
तस्वीरें सब बता देंगी । अब कुछ जानकारी बिजली महादेव के बारे में :
भारत
में भगवन शिव के अनेक अद्भुत मंदिर है उन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के
कुल्लू में स्तिथ बिजली महादेव। कुल्लू का पूरा इतिहास बिजली महादेव से जुड़ा हुआ
है। कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर
बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है। पूरी कुल्लू घाटी में ऐसी मान्यता है कि यह
घाटी एक विशालकाय सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान
पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर
का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर
मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं। कुछ ही माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित
हो जाते हैं।
यह
जगह समुद्र स्तर 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीत काल में यहां भारी बर्फबारी होती है।
कुल्लू में भी महादेव प्रिय देवता हैं। कहीं वे सयाली महादेव हैं तो कहीं ब्राणी
महादेव। कहीं वे जुवाणी महादेव हैं तो कहीं बिजली महादेव। बिजली महादेव का अपना ही
महात्म्य व इतिहास है। ऐसा लगता है कि बिजली महादेव के इर्द-गिर्द समूचा कुल्लू का
इतिहास घूमता है। हर मौसम में दूर-दूर से लोग बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं।
बिजली महादेव मंदिर मंदिर संपूर्ण रूप से लकडी से र्निमित है। सीढियां
चढ़ने के उपरांत एक बरामदे में जाने के बाद गर्भ गृह है जहां मक्खन में लिपटे
शिवलिंग के दर्शन होते हैं। मंदिर परिसर के सांमने एक लकड़ी का स्तंभ है जिसे ध्वजा
भी कहते है, यह स्तंभ 60 फुट लंबा है जिसके
विषय में बताया जाता है कि इस खम्भे पर आकाशीय बिजली गिरती है जिसके कारण शिवलिंग
के टुकड़े टुकड़े हो जाते हैं , इसीलिये इस स्थान को
बिजली महादेव कहा जाता है। कुल्लू से दस किलोमीटर पहले ब्यास और पार्वती नदियों के संगम स्थल , भून्तर से कुल्लू की
ओर देखने पर सामने एक बड़ा सा पर्वत दिखता है जिसके एक तरफ से ब्यास नदी आती दिखती है और
दूसरी तरफ से पार्वती नदी। इसी पर्वत की चोटी पर बिजली महादेव स्थित है।
जाने का मार्ग:
यहाँ
जाने के तीन मार्ग हैं :
1. पहला जिससे हम गए थे । यही सबसे अधिक
प्रचलित है । कुल्लू से रामशिला होते हुए । इसी रास्ते से कुल्लू से बिजली महादेव
के लिए बसें भी चलती हैं। यहाँ दो किलोमीटर की चढाई है ।
2. भुन्तर से आगे मणिकर्ण रोड से भी एक
रास्ता है लेकिन इसे सिर्फ स्थानीय लोग ही इस्तेमाल करते हैं इसमें काफ़ी अधिक चलना
पड़ता है। शायद 5-6 किलोमीटर ।
3. कुल्लू से आगे नग्गर जाते हुए भी एक
रास्ता है । यह सबसे लम्बा मार्ग है । कुल्लू से 45 किलोमीटर पड़ता है । इसमें आधी
सड़क बनी है बाकि रास्ता कच्चा है लेकिन इस रास्ते से गाड़ियाँ-बाइक ऊपर बिजली
महादेव तक जा सकती है।
रूकने के लिए :
ऊपर रुकने के लिए मदिर की तरफ से धर्मशाला है ।अधिकतर लोग दर्शन के
बाद नीचे आ जाते हैं । उतरने में सिर्फ 40-45 मिनट लगते हैं ।
हमें दो
किलोमीटर चढ़ने में एक घंटा लगा और
उतरने में 50 मिनट। वापिस आने के बाद अपनी अपनी बाइक पर वापसी शुरू कर दी ।अब तक शाम
के पाँच बज चुके थे ।कुल्लू तक पहुँचते पहुँचते
शाम के 6 बज गए । हमने तय किया जब तक
रौशनी है ,तब तक चलते हैं , अँधेरा होते ही किसी होटल में रुक जायेंगे । भुन्तर
में शाम होने के कारण काफ़ी ट्रैफिक मिला । यहाँ से 6-7 किलोमीटर और आगे निकल आये ।
अँधेरा हो चूका था । रोड पर ही एक होटल देख कर रात वहीँ ठहर लिए । सुबह 7 बजे फिर
वापसी की राह पकड़ ली। खाते पीते ,रुकते चलते शाम 6 बजे अपने घर अम्बाला पहुँच गए ।
इस यात्रा में तीन दिन में कुल 730 किलोमीटर बाइक चलाई और लगभग इतने
का ही पैट्रोल लगा यानि पूरी यात्रा एक रूपये प्रति किलोमीटर । पैट्रोल के अलावा
हमारा दोनों का खाने , ‘पीने’, रात रुकने का कुल खर्च 2700 हुआ यानि प्रति व्यक्ति 1350
रूपये ।
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पराशर से बागी गाँव के बीच में कहीं |
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पराशर से बागी गाँव के बीच में कहीं |
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पराशर से बागी गाँव के बीच में कहीं |
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पराशर से बागी गाँव के बीच में कहीं |
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पराशर से बागी गाँव के बीच में कहीं |
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साथी अपनी बाइक पर |
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मैं और मेरा विक्टर |
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मुख्य मंदिर |
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मंदिर के सामने नंदी |
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मंदिर के आस पास सुंदर दृश्य |
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मंदिर के आस पास सुंदर दृश्य |
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मंदिर के आस पास सुंदर दृश्य -कुल्लू वैली |
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मंदिर के आस पास सुंदर दृश्य |
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यात्री निवास |
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गर्भ गृह में शिवलिंग |
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मंदिर से पहले खाने पीने की दुकानें |
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वापसी शुरू |
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देवदार का घना जंगल |
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आ गया न मुंह में पानी |
बहुत ही सुन्दर एवं मनोहारी दृश्य है। जानकारी आपने काफ़ी अच्छे से दी है। आगे चलकर मेरे काफ़ी काम आयेगी। धन्यवाद।
ReplyDeleteधन्यवाद संदीप भाई .
DeleteHi Naresh ji
ReplyDeleteआपकी यात्रा का दूसरा भाग भी, पहले भाग की ही तरह सरस् और विस्तृत जानकारी से परिपूर्ण है। भले ही आपने इसे यात्रा पूर्ण होने के बाद तुरन्त ही लिखा है परंतु पढ़ते हुए कहीं ऐसा नही लगा कि इस पोस्ट को जल्दबाजी में लिखा गया है।
रास्ता, जंगल, पहाड़, वर्तमान और दंत कथाएं तथा लोक विश्वास सभी को आपने इसमें भरसक शामिल किया है। एक सफल यात्रा और पोस्ट की सम्पूर्णता की बधाई!
फोटोज बहुत अच्छे है 👍
धन्यवाद पाहवा जी . सच में यह पोस्ट काफ़ी जल्दी लिख दी है लेकिन कोशिश रही की जानकारी देने में कमी न रहे . बाकि आप सभी दोस्तों का प्यार तो है ही .
DeleteHi Naresh ji
ReplyDeleteआपकी यात्रा का दूसरा भाग भी, पहले भाग की ही तरह सरस् और विस्तृत जानकारी से परिपूर्ण है। भले ही आपने इसे यात्रा पूर्ण होने के बाद तुरन्त ही लिखा है परंतु पढ़ते हुए कहीं ऐसा नही लगा कि इस पोस्ट को जल्दबाजी में लिखा गया है।
रास्ता, जंगल, पहाड़, वर्तमान और दंत कथाएं तथा लोक विश्वास सभी को आपने इसमें भरसक शामिल किया है। एक सफल यात्रा और पोस्ट की सम्पूर्णता की बधाई!
फोटोज बहुत अच्छे है 👍
Nice post. Beautiful pictures.
ReplyDeleteथैंक्स राजीव कुमार जी .
Deleteनरेश जी बिजली महादेव के दर्शन वे वहां की विस्तृत जानकारी दी आपने, पढकर अच्छा लगा साथ ही बिजली महादेव जाने की इच्छा भी हुई, देखते है कब बिजली महादेव के दर्शन होते है।
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन भाई . आप भी जरूर जाना . बढ़िया जगह है .
Deleteनरेश जी बिजली महादेव के दर्शन वे वहां की विस्तृत जानकारी दी आपने, पढकर अच्छा लगा साथ ही बिजली महादेव जाने की इच्छा भी हुई, देखते है कब बिजली महादेव के दर्शन होते है।
ReplyDeleteधन्य है आप नरेश जी,जो हमे बिजली महादेव के दर्शन करा दिए और धन्य है आपकी घुमक्कडी इतनी यात्रा और इतने कम ख़र्चे में सभी के लिये प्रेरणा है।यूँ ही घूमते रहिये और लिखते रहिये।
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिमा जी .आप यूँ ही होंसला बढ़ाते रहे .
Deleteबढिया वृतांत, बिजली महादेव की जय।
ReplyDeleteधन्यवाद शर्मा जी .बिजली महादेव की जय।
Deleteबढिया वृतांत, बिजली महादेव की जय।
ReplyDeleteबेहतर जानकारी और अच्छे चित्र ।
ReplyDelete1350 प्रति व्यक्ति खाना 'पीना' लेकर किफायती है।
धन्यवाद किशन जी . मैं किफायती ही घूमता हूँ .
Deleteबेहतर जानकारी और अच्छे चित्र ।
ReplyDelete1350 प्रति व्यक्ति खाना 'पीना' लेकर किफायती है।
बहुत अच्छा जानकारी सहित पूरा वृत्तांत मनमोहकै । और चित्र की निश्छल प्रकृतिक दृश्य किसी का मन मोह सकता है ।
ReplyDeleteक्या वहाँ दो चार दिन रूक कर आसपास के प्रकृति के गोद मे दिल दिमाग और शरिर को आराम फरमाने सुविधा होगा ?
धन्यवाद कपिल जी . ऊपर मंदिर में ठहरने की सुविधा है .
Deleteसदा की तरफ भोले बाबा की किर्पा रही आपपर ।
ReplyDeleteआगे भी बाबा ऐसे ही दर्शन देते रहें ।
बढ़िया व्रतांत और गज़ब फोटो
धन्यवाद कौशिक जी .बहुत दिनों बाद आना हुआ .
Deleteसदा की तरफ भोले बाबा की किर्पा रही आपपर ।
ReplyDeleteआगे भी बाबा ऐसे ही दर्शन देते रहें ।
बढ़िया व्रतांत और गज़ब फोटो
As usual, very well written post with beautiful pictures . Chir n Deodar trees looks so beautiful .Bijli Mahadev story is interesting. Although a long drive on bike has its own charm but it is so risky specially on hilly areas while the way is twisted n turned.it makes me so scary.A big thanks to
ReplyDeleteLord Shiva that both of u have reached safely to their homes.
Hr Hr Mahadev
Thanks .Nothing to worry .
DeleteNice post.
ReplyDeleteThanks beta.
Deleteइस यात्रा में तीन दिन में कुल 730 किलोमीटर बाइक चलाई और लगभग इतने का ही पैट्रोल लगा यानि पूरी यात्रा एक रूपये प्रति किलोमीटर । पैट्रोल के अलावा हमारा दोनों का खाने , ‘पीने’, रात रुकने का कुल खर्च 2700 हुआ यानि प्रति व्यक्ति 1350 रूपये । इतने में तो यात्रा को बिल्कुल "इकनोमिक" कहा जाएगा ! सस्ते में बढ़िया जगह घूम आये आप
ReplyDeleteधन्यवाद योगी भाई . इकनोमिक घूम के ही मज़ा है .
Deleteनरेश जी.....कम खर्च में आपकी भरपूर सरस और बढ़िया यात्रा रही | मंदिर और रास्ते विस्तृत वर्णन करके आपने बहुत अच्छा लिया ...|
ReplyDeleteचित्रों में भी आपने यात्रा को बखूबी उतारा है...
धन्यवाद
धन्यवाद रितेश जी . जगह ही खूबसूरत है
Deleteबेहतर जानकारी और अच्छे चित्र ।
ReplyDeleteधन्यवाद भास्कर जी .
Deleteबहुत खूब नरेश जी। फ़ोटो भी शानदार हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद रमता जोगी जी .
Deleteबहुत कम खर्च में घूम आये...दो नायब खूबसूरत जगहें हिमाचल की...काफी छोटी छोटी जानकर्क जैसे बागी वाला तिराहा जानकर्क बहुत अच्छा लगा...
ReplyDeleteThanks Pratik bhai..
Deleteबहुत खूब, नरेश जी। फोटोग्राफी और घुम्मकड़ी दोनो कूट कूट के भारी हुई है आपमें।
ReplyDeleteधन्यवाद अनित कुमार जी .
DeleteThis great and nice post. I really like this amazing post. Very well written post with beautiful pictures.
ReplyDeleteThanks Ankita Singh.
Delete