धर्मशाला - मैक्लोडगंज
बैजनाथ
मंदिर में पुनः दर्शन के बाद हम लोग नाश्ते की तलाश में मार्किट
की तरफ़ गए लेकिन अभी तक यहाँ की मार्किट नही खुली थी इसलिए यहाँ से बिना नाश्ता
किये ही धर्मशाला की तरफ चल दिये । धर्मशाला के लिए हमें पालमपुर होते हुए चामुंडा
देवी तक जाना था जहाँ से धर्मशाला का रास्ता अलग हो जाता है । यानि कल रात हम जिस
रास्ते से आये थे उसी रास्ते से हमें चामुंडा देवी तक वापिस जाकर , वहां से कांगड़ा जाने वाले मार्ग को छोड़ कर धर्मशाला
जाने वाली सड़क पर जाना था । बैजनाथ से चामुंडा देवी की दूरी 22 किलोमीटर है और सारा
रास्ता पहाड़ी ही है। इस पूरे रास्ते मे धौलाधार के शानदार नज़ारे देखने को मिलते
हैं । मशहूर हिल स्टेशन पालमपुर लगभग मध्य में पड़ता है। पालमपुर अपने चाय के
बागानों के लिए मशहूर है । पालमपुर में हम सबने एक चाय के बागान से हरी पत्तियों
की चाय खरीदी ।
नाश्ते के लिए पूरे रास्ते में कोई भी दुकान खुली नहीं मिली और आख़िरकार चामुंडा
देवी पहुंचकर मंदिर के सामने वाली दुकानों में से एक पर छोले भटूरे का नाश्ता किया
। नाश्ते से निपट फिर धर्मशाला की तरफ चल दिए । यहाँ से धर्मशाला की दूरी मात्र 17
किलोमीटर है और सारा रास्ता प्लेन से ही है । लगभग आधे घंटे की ड्राइव के बाद हम
लोग धर्मशाला पहुँच गए । धर्मशाला काफी बड़ा शहर है और यहाँ काफ़ी चहल पहल थी । कांगड़ा
जिले का यह खूबसूरत हिल स्टेशन धौलाधार पर्वत श्रेणियों के बीच बसा है। कांगड़ा
जिले का मुख्यालय भी यहीं है। यह हिमाचल की दूसरी राजधानी है। प्राकृतिक खूबसूरती
समेटे यह स्थान छोटा, लेकिन काफी
सुकूनदायक है।
प्राचीन समय में कांगड़ा घाटी में कटोच वंश का शासन था, जिसकी खूबसूरत निशानी यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित कांगड़ा
दुर्ग में देख सकते हैं। कटोच वंश के बाद ब्रिटिश राज में शहर की खूबसूरती में और
इजाफा हुआ। ब्रिटिश राज में कांगड़ा घाटी में जबर्दस्त भूकंप आया था। उस समय
मैक्लोडगंज व फरसेठगंज को राजधानी बनाने की तैयारी चल रही थी। 4 अप्रैल, 1905 को आए तेज भूकंप ने एक झटके में कांगड़ा घाटी के साथ
धर्मशाला को भी धराशायी कर दिया था। करीब 20 हजार लोगों की मौत ने ब्रिटिश सरकार के सामने एक बड़ी
चुनौती खड़ी कर दी थीं । कालांतर में एक उजड़ा हुआ शहर फिर से बसा।
आज हमें शाम को अम्बाला वापिस पहुँचना था इसलिये समय अभाव के कारण हम धर्मशाला
में नहीं रुके और क्रिकेट स्टेडियम के सामने से होते हुए सीधा मैक्लोडगंज की तरफ निकल गए । मैक्लोडगंज पहुँचकर सीधा प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर गए ।
मंदिर काफी बड़ा ,साफ सुथरा और बेहद सुन्दर बना हुआ है । इसे दलाई लामा मंदिर के
नाम से भी जानते हैं । मंदिर के बाद हम कुछ देर के लिये स्थानीय मार्किट घुमे और
फिर अपनी वापसी की यात्रा शुरू कर दी और माता बगुलामुखी ,बनखंडी और माँ चिंतपूर्णी
देवी के दर्शन करते हुए रात 11 बजे के करीब अम्बाला पहुँच गए ।
मिनी ल्हासा- यानी मैक्लोडगंज
पहाड़ी पर बसा यह खूबसूरत कस्बा धर्मशाला से तकरीबन 6 किमी। की ऊंचाई पर स्थित
है। इसका नाम ब्रिटिशकाल में पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर डोनाल्ड मैक्लोड के
नाम पर पड़ा। गंज का अर्थ हिंदी व उर्दू में आस-पड़ोस होता है। यह धर्मशाला नगर
निगम के तहत ही आता है। तिब्बतियों की अधिकता के कारण मैक्लोडगंज को 'मिनी ल्हासा- भी कहा जाता है। तिब्बती सर्वोच्च
धर्मगुरु दलाई लामा का आवास भी यहीं है। अगर आप तिब्बती कला व संस्कृति से रूबरू
होना चाहते हैं तो मैक्लोडगंज एक बेहतरीन जगह हो सकती है। मैक्लोडगंज में एक बड़ी
मार्केट है, जहां तिब्बती
उत्पाद मिलते हैं। मार्केट से आप सुंदर तिब्बती हस्तशिल्प, कपड़े, थांगका (एक
प्रकार की सिल्क पेंटिंग) और हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं। यहां से आप
हिमाचली पश्मीना शाल व कारपेट की खरीदारी कर सकते हैं, जो अपनी विशिष्टता के
लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां दुकानें, रेस्तरां, होटल और सड़क
किनारे लगने वाले बाजार सब कुछ हैं।
धर्मशाला कब और
कैसे पहुँचे ?
वैसे तो यहां वर्ष भर आ सकते हैं, पर सबसे उपयुक्त समय मार्च से जून और अक्टूबर से जनवरी है। दिल्ली से सीधी
वॉल्वो बस सेवा के अलावा सामान्य बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। दिल्ली के अलावा,
चंडीगढ़, जम्मू, शिमला से भी
नियमित बस सेवाएं हैं।
दिल्ली से रोजाना हवाई उड़ानें भी हैं। गगल एयरपोर्ट है जो कि धर्मशाला से 10
किलोमीटर दूर स्थित है। रेल मार्ग से आना चाहते
हैं तो पठानकोट रेलवे स्टेशन आ सकते हैं। धर्मशाला शहर से पठानकोट 86 किलोमीटर की दूरी पर है। पठानकोट से कांगड़ा तक
नैरोगेज रेलगाड़ी और उसके बाद सड़क मार्ग के जरिए धर्मशाला पहुंच सकते हैं।
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धौलाधार |
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धर्मशाला स्टेडियम - चित्र नेट से |
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बौद्ध मंदिर |
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बौद्ध मंदिर |
बहुत बढ़िया यात्रा लेख । अक्सर ऐसा होता है, कि एक जगह नाश्ता/खाना न मिले तो बाद में भी मुश्किल हो जाती है ।
ReplyDeleteधन्यवाद मुकेश जी .
DeleteNice Post with beautiful pictures.
ReplyDeleteThanks Ajay.
DeleteNice pictures and informative post.
ReplyDeleteThanks and Welcome.
Deleteबहुत बढ़िया सहगल साब ! धौलाधार रेंज बहुत अच्छी लगती है ! दाढ़ी मूंछ वाले बुद्ध पहली बार देखे हैं !!
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी .
Deleteबहुत बढ़िया नरेश भाई👍👍
ReplyDeleteधन्यवाद अजय भाई जी
DeleteNice Post. good view of Dhauladhar and Baudh Temple.
ReplyDeleteधन्यवाद संजीव जी .
Deleteमुझे भी धर्मशाला बहुत पसंद आया था।हम भी पालनपुर से ही धर्मशाला आये थे फिर डलहौजी गए थे। सुंदर चित्रों के साथ यादगार जगह
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ जी .
Deleteधर्मशाला और मक्लेओडगंज कि खूबसूरत पोस्ट के लिए धन्यवाद....धौलाधार के फोटो बहुत सुपर्ब है भाई
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई जी .
Deleteबहुत बढ़िया सहगल साहब...
ReplyDeleteधन्यवाद अनिल जी .
Deleteबेहतरीन जानकारी और सुन्दर तस्वीरों से भरी एक शानदार पोस्ट .
ReplyDeleteधन्यवाद जी .
DeleteWow! such a wonderful and beautiful pictures. Its an awesome, appropriate, customized information one seeks for. You have mentioned everything in a proper way. Whatever question I had got cleared by just reading your blog.
ReplyDeleteThanks Ankita.
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