पद्मनाभस्वामी मंदिर ( Padmanabhaswamy Temple )
पिछली
पोस्ट में आपने पढ़ा कि कोवलम बीच पर लगभग दो घंटे बिताने के बाद हमने यहाँ से पद्मनाभस्वामी
मंदिर जाने के लिए 150 रूपये में एक ऑटो
लिया और 15 -20 मिनट में हम पद्मनाभस्वामी मंदिर पहुँच गए । सुबह का समय होने के कारण अभी यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं थी लेकिन अभी पूजा /आरती
का समय होने के कारण अभी दर्शन बंद थे । मंदिर बाहर से देखने पर कुछ खास भव्य
प्रतीत नहीं हो रहा था । मंदिर का प्रवेश द्वार (गोपुरम ) कुछ ऊँचाई पर है और
दरवाजा बंद होने के कारन अभी अन्दर का कुछ भी दृश्य नहीं दिख रहा था । मंदिर में
प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है। मंदिर
से पहले ही धोती बेचने की कुछ दुकाने भी हैं । मंदिर में फ़ोन, कैमरा,बैग आदि कुछ
भी सामान ले जाना मना है। मंदिर कमेटी द्वारा संचालित क्लॉक रूम में आप अपना सामान
जमा करवा सकते हो ।
थोड़ी ही देर बाद मंदिर खुलने का समय हो गया और हम लोग अपना सामान जमा करवाकर
मंदिर में दर्शन के लिए चले गए । मंदिर प्रवेश से पहले सबकी अच्छी तरह से तलाशी ली
जाती है । मंदिर के अन्दर रख रखाव की कमी साफ झलक रही थी । सफाई भी ज्यादा नहीं थी
। दीवारों और छत पर जाले लटक रहे थे और फर्श भी बहुत पुराने समय का था । कई जगह तो
कच्चा ही है । खैर ...लगभग आधा घंटा लाइन
में इधर उधर घूमते हुए मुख्य गर्भ गृह के सामने पहुँच गए । यहाँ भी दक्षिण भारत के
अन्य मंदिरों की तरह गर्भ गृह में बहुत हलकी रौशनी थी । मंदिर के गर्भगृह में
भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में विराजमान है । मुख्य मंदिर के
अलावा परिसर में दो तीन अन्य मंदिर भी हैं । हमने उनमे भी जाकर भगवान के दर्शन
किये और थोड़ी देर वहाँ रुकने के बाद मंदिर परिसर से बाहर आ गये । मंदिर परिसर
अन्दर से काफी बड़ा है ।
दर्शन उपरांत क्लॉक रूम से अपना सामान लेकर हम फिर मुख्य चौराहे पर आ गए और
अपने गेस्ट हाउस जाने के लिए कोई ऑटो देखने लगे । अचानक एक ऑटो वाला आकर कहने लगा..
आप आओ मेरे साथ चलो , मुझे पता है आपको कहाँ जाना है । मैं उसे समझ ही रहा था कि
वो क्या कहना चाहता है उसने बताया की सुबह मैं ही आपको गेस्ट हाउस से कोवलम लेकर
गया था । उसे तो मैंने बाद में पहचाना लेकिन उसके ऑटो को पहले पहचान लिया था। थोड़ी
ही देर बाद हम गेस्ट हाउस पहुंच चुके थे । आज दोपहर को हमने त्रिवेंद्रम रेलवे
स्टेशन से दिल्ली के लिए ट्रेन पकडनी थी इसलिए थोड़ी देर आराम करने के बाद हम त्रिवेंद्रम
सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंच गए और दोपहर दो बजे वापसी की यात्रा शुरू कर दी।
कुछ जानकारी पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में --
पद्मनाभ मंदिर :केरल के पद्मनाभ मंदिर के बारे में तो आपने सुना ही होगा। माना जाता है कि यह
भारत का सबसे अमीर मंदिर है। कुछ वक्त पहले ये मंदिर तब चर्चा में आया था जब एक
लाख करोड़ से अधिक का खजाना वहां मिला था, कहते हैं कि इससे कहीं अधिक वहां के तहखानों में बंद है। चलिए पहले आपको इस
मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें बता देते हैं। पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के
तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के
प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन
स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण
आराधना-स्थली है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है
जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान
विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम
भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम
पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और
इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
कहा जाता है कि 10 वीं शताब्दी में इस मंदिर का
निर्माण कराया गया था। हालांकि कहीं-कहीं इस मंदिर के 16वीं शताब्दी के होने का भी
जिक्र है। लेकिन यह काफी साफ है कि 1750 में त्रावणकोर के एक योद्धा मार्तंड वर्मा
ने आसपास के इलाकों को जीत कर इसका पुनर्निर्माण करवाया । इस मंदिर के पुनर्निर्माण
में अनेक महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। सर्वप्रथम इसकी भव्यता को आधार
बनाया गया मंदिर को विशाल रूप में निर्मित किया गया जिसमें उसका शिल्प सौंदर्य सभी
को प्रभावित करता है। मंदिर के निर्माण में द्रविड़ एवं केरल शैली का मिला जुला
प्रयोग देखा जा सकता है। मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ
स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत
विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है।
मंदिर के पास ही सरोवर भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है।
त्रावणकोर के शासकों ने शासन को दैवीय स्वीकृति दिलाने के लिए अपना राज्य
भगवान को समर्पित कर दिया था। उन्होंने भगवान को ही राजा घोषित कर दिया था। मंदिर
से भगवान विष्णु की एक मूर्ति भी मिली है जो शालिग्राम पत्थर से बनी हुई है। माना
जाता है कि मार्तंड वर्मा ने पुर्तगाली समुद्री बेडे और उसके खजाने पर भी कब्जा कर
लिया था। यूरोपीय लोग मसालों खासकर काली मिर्च के लिए भारत आते थे। त्रावणकोर ने
इस व्यवसाय पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। मसालों के व्यापार से राज्य को काफी
फायदा होता था और इस संपत्ति को इस मंदिर में रख दिया जाता था। सही मायनों में तो
पूरे राज्य की संपत्ति को ही मंदिर में रखा गया था।
यह मंदिर एक ऐसे इलाके में बना हुआ है जहां कभी कोई विदेशी हमला नहीं हुआ। 1790 में टीपू सुल्तान ने मंदिर पर कब्जे की कोशिश
की थी लेकिन कोच्चि में उसे हार का सामना करना पड़ा था। टीपू से पहले भी इस मंदिर पर हमले और कब्जे की कोशिशें की
गई थीं लेकिन यह कोशिशें कभी कामयाब नहीं हो पाईं। मंदिर के खजाने और वैभव की
कहानियां दूर-दूर तक फैली हुई थीं और आक्रमणकारी इस पर कब्जा करना चाहते थे।
1991 में त्रावणकोर के अंतिम महाराजा बलराम वर्मा की मौत हो गई। 2007 में एक
पूर्व आईपीएस अधिकारी सुंदरराजन ने एक याचिका कोर्ट में दाखिल कर राज परिवार के
अधिकार को चुनौती दी। 2011 में सुप्रीम
कोर्ट ने तहखाने खोलकर खजाने का ब्यौरा तैयार करने को कहा। 27 जून 2011 को तहखाने
खोलने का काम शुरू किया गया। तहखाने खुले तो लोगों की आंखे खुली रह गई। पांच
तहखानों में करीब एक लाख करोड़ की संपत्ति निकली है जबकि एक तहखाना अभी भी नहीं
खोला गया है।कहा जाता है कि जो तहखाना बंद है उसमें लाखों करोड़ का खजाना हो सकता
है। माना जा रहा है कि इस तहखाने में जितना खजाना है वह इस पूरे खजाने से बड़ा है।
इस मन्दिर में हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है। मंदिर में हर वर्ष ही दो
महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में
और दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सवों
में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते हैं।
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इसके साथ ही मेरी
दक्षिण भारत यात्रा की सीरीज समाप्त होती है । मिलते हैं जल्दी ही उत्तराखंड की
चार धाम यात्रा पर .... सम्पर्क बनाये रखें ।
इस यात्रा के पिछले भाग पढ़ने के लिए लिंक नीचे उपलब्ध हैं ।
गर्भ गृह की मूर्ति की तस्वीर की फोटो |
छोटे बच्चों को भी धोती पहननी पड़ती है |
ये मंदिर का तालाब है .इसको खाली कर इसकी सफाई चल रही थी |
त्रिवेंद्रम सेंट्रल रेलवे स्टेशन |
त्रिवेंद्रम बस स्टैंड |
स्टेशन के बाहर एक छोटा सा मन्दिर |
केरला के ट्रेन से लिए हुए चित्र |
केरला के ट्रेन से लिए हुए चित्र |
केरला के ट्रेन से लिए हुए चित्र |
पद्मनाभ मंदिर के बारे में बढ़िया जानकारी मिली । सुंदर वर्णन
ReplyDeleteधन्यवाद पाण्डेय जी .
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (23-07-2018) को "एक नंगे चने की बगावत" (चर्चा अंक-3041) (चर्चा अंक-3034) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आभार राधा तिवारी जी .
Deleteश्रीमान जी आपकी इस संपूर्ण यात्रा में कितना टोटल समय लगा है. शुरुआत से आखिर तक, और कितना खर्चा आया हैं, कृपया बताइये, धन्यवाद..
ReplyDeleteधन्यवाद प्रवीन गुप्ता जी .हमें इस यात्रा में कुल 11 दिन लगे और कुल खर्च लगभग 27 -28 हज़ार आया जिसमे दिल्ली से हैदराबाद की प्लेन टिकेट एवं बाकि ट्रेन रिजर्वेशन भी शामिल है .
DeleteNice series. Waiting for next.
ReplyDeleteYou have beautifully described eleven days journey of South India. This journey will always be memorable. The idol of Lord Vishnu is worth seeing but in this temple, there was lack of cleanliness & there was too much heat.
ReplyDeleteThanks Dear.
Deleteकेरल की हरियाली और खूबसूरत समुद्र तटों के साथ इस धनाढ्य विष्णु मंदिर मे मंदिर की धोती लपेटकर दर्शन करना अनोखा अनुभव है.
ReplyDeleteधन्यवाद धीरेन्द्र तिवारी जी .
Deleteधन्यवाद सहगल साहेब .घर बैठे दर्शन करवा दिए ..
ReplyDeleteधन्यवाद गौरी साहेब .
DeleteRichest temple, and the longest reclining Padmsnabha Ji.
ReplyDeleteThanks Bhushan Bradoo jee.
Deleteपद्मनाभ स्वामी मंदिर जो कि विष्णु भगवान को समर्पित है पिछले साल ख़ज़ाने वाली गुफा व अभिश्राप की खबरें से भी काफी सुर्खियों में रहा था। यह विश्व का सबसे अमीर मंदिरों है ये आज पता चला। धन्यवाद नरेश जी आपका इस सुंदर यात्रा को लिखने के लिए।
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन त्यागी जी .
Deleteनरेश भाई सारा भारत घूमा दिया बहुत आभार आपका
ReplyDeleteधन्यवाद मिंटू भाई
Deleteदक्षिण की शानदार यात्रा की बधाई सहगल साब और मुझे प्रसन्नता है कि इस यात्रा में लगातार आपके साथ बना रहा !! मंदिर और केरला के ग्रामीण अंचल के फोटो बहुत सूंदर और प्रशंसनीय हैं !! लिखते रहिये
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी .सम्पर्क में बने रहिये .
DeleteNice series on South India. Thanks for sharing. Keep it up.
ReplyDeleteThanks and welcome.
DeleteMarvelous work!. Blog is brilliantly written and provides all necessary information I really like this site. Thanks for sharing this useful post.Thanks for the effective information. If you have any requirements for Taxi Services in India then you can book through our website.
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