त्र्यंबकेश्वर मंदिर - Trimbakeshwar
Temple
अगले दिन सुबह हम जल्दी से उठ कर तैयार
हो गए और होटल से चेक आउट करने के बाद सामने ही स्तिथ बस स्टैंड चले गए । यहाँ (संगमनेर)
से नासिक लगभग 70 किलोमीटर दूर है और इस समय वहाँ जाने के लिए कोई बस उपलब्ध नहीं
थी। बस का इंतजार करते हुए हम चाय और बिस्कुट का हल्का नाश्ता कर चुके थे
। थोड़ी देर बाद ही मुंबई से नासिक जाने वाली बस आ गयी और हम उस पर सवार
हो गए। नासिक पहुँचने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया और हम लगभग साढ़े नौ
बजे नासिक पहुँच गए ।
नासिक में दो बस स्टैंड हैं । एक मुख्य बस स्टैंड ,दूसरा त्र्यंबकेश्वर बस स्टैंड, जहाँ से त्र्यंबकेश्वर जाने के लिए बसें मिलती है ।
चूँकि हमें त्र्यंबकेश्वर जाना था था तो हम दूसरे बस स्टैंड ही
गए । यहाँ से हर आधे घंटे बाद त्र्यंबकेश्वर
जाने के लिए बस मिल जाती है । हम भी एक बस में सवार होकर अपनी मंजिल त्र्यंबकेश्वर की तरफ चल दिए जो यहाँ से लगभग 30 किलोमीटर दूर हैं । एक घंटे की
यात्रा के बाद हम त्र्यंबकेश्वर पहुँच चुके थे । त्र्यंबकेश्वर का बस स्टैंड बेहद खस्ता हालत में था । काफी गंदगी यहाँ वहाँ फैली हुई थी ।( इस यात्रा के तीन साल बाद मैं यहाँ दोबारा
भी सपरिवार जा चूका हूँ लेकिन बस स्टैंड की हालत वैसी ही खस्ता है , अभी भी कोई
सुधार नहीं हुआ)
बस स्टैंड से हम पूछते-पुछाते सीधा
मंदिर की तरफ चल दिए जो यहाँ से तीन –चार सौ मीटर दूर ही होगा । मंदिर के बाहर बहुत सी प्रसाद बेचने
की दुकाने हैं जहाँ लॉकर की सुविधा भी उपलब्ध है। ऐसी ही एक दूकान पर हमने अपना सामान
जमा करवा दिया और मंदिर में प्रवेश कर गए । मंदिर के अन्दर कैमरा
,फ़ोन आदि ले जाना मना है । मंदिर बाहर से ज्यादा बड़ा दिखायी नहीं
पड़ता लेकिन अन्दर से यह काफी बड़ा है और चारों तरफ ऊँची चार दिवारी है। मंदिर में
दर्शन के लिए बहुत भीड़ जमा थी और लगभग ढेड़ घंटे लाइन में लगने के बाद ही हम दर्शन कर
सके ।
मुख्य मंदिर में प्रवेश से पहले आप एक
छोटे से नंदी मंदिर से होकर गुजरते हैं फ़िर आप मन्दिर के बरामदे में पहुँचते हैं । यहाँ बहुत से पंडित मौजूद रहते हैं और इच्छुक लोग यहाँ लोग पूजा-अभिषेक
करवा सकते हैं। इससे आगे मन्दिर का गर्भ गृह है जो ,बरामदे से काफी नीचे है। मंदिर के अंदर एक छोटे से गङ्ढे में तीन
छोटे-छोटे लिंग है, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव देवों का प्रतीक माना जाता हैं। ज्योतिर्लिंग के पीछे एक बड़ा सा दर्पण भी लगा है ताकि लोग उसमे देखकर आराम से
दर्शन कर सकें। मंदिर में दर्शन के
बाद हम लोग बाहर आ गये या यूँ कहें कि हमें मंदिर कर्मचारियों ने जल्दी से बाहर कर
दिया ताकि बाकि लोग भी दर्शन कर सकें । बाहर
आने के बाद हमने सबसे पहले खाना खाया और फिर अपने अगले गन्तव्य की और चल दिए । अब
कुछ जानकारी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में.....
त्र्यंबकेश्वर
ज्योतिर्लिंग :
शिव जी के बारह ज्योतिर्लिगों में श्री त्र्यंबकेश्वर को दसवां स्थान दिया गया
है। त्रिंबकेश्वर या त्र्यंबकेश्वर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो भारत के महाराष्ट्र में नाशिक शहर से 28 किलोमीटर और नाशिक रोड स्टेशन से
40 किलोमीटर दूर त्रिंबकेश्वर तहसील के त्रिंबक शहर में गौतमी नदी के तट पर स्थित
है । त्र्यंबकेश्वर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इस ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा,
विष्णु और महेश तीनों ही विराजित हैं। पानी के
ज्यादा बहाव (उपयोग) से यहाँ का पिण्ड धीरे-धीरे ख़त्म होता चला जा रहा है। यहाँ पाए जाने वाले लिंग को आभूषित मुकुट
(मुग्ध मुकुट) से सजाया गया है,
जो पहले त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के सिर पर चढ़ाया जाता था। कहा जाता है की
यह मुकुट पांडवो के ज़माने से चढ़ाया हुआ है और इस मुकुट में हीरे, जवाहरात और बहुत से कीमती पत्थर भी जड़े हुए है। भगवान शिव के इस मुकुट को हर सोमवार 4-5 PM के बीच लोगो को दिखाने के लिए रखा जाता है।
काले पत्थरों से बना ये मंदिर देखने में बेहद सुंदर नज़र आता है। यहां हर सोमवार
के दिन भगवान त्र्यंबकेश्वर की पालकी निकाली जाती है। मंदिर की नक्काशी बेहद
सुंदर है। ये पालकी कुशावर्त ले जाई जाती है और फिर वहां से वापस लाई जाती है। इसी क्षेत्र में
अहिल्या नाम की एक नदी गोदावरी में मिलती है। कहा जाता है कि दंपत्ति इस संगम
स्थल पर संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। मंदिर के आसपास की खुबसूरती देखती है
बनती है। श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर में अभिषेक और महाभिषेक के लिए पंडितों की
व्यवस्था होती है।
मंदिर की समय सारणी
:
मंदिर खुलने का
समय – 5:30 AM
सामान्य दर्शन और
अभिषेक – 5:30 AM से 9:00 PM
स्पेशल पूजा समय – सुबह 7
से 9
मध्यान पूजा – दोपहर 1 से
1:30 तक
मुकुट दर्शन – शाम 4:30 से 5:00
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पौराणिक कथा :
इस ज्योतिर्लिंग
की स्थापना के विषय में शिवपुराण में यह कथा वर्णित है-
एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ब्राह्मणों की पत्नियाँ किसी बात
पर उनकी पत्नी अहिल्या से नाराज हो गईं। उन्होंने अपने पतियों को ऋषि गौतम का
अपकार करने के लिए प्रेरित किया। उन ब्राह्मणों ने इसके निमित्त भगवान्
श्रीगणेशजी की आराधना की। उनकी आराधना से प्रसन्न हो गणेशजी ने प्रकट होकर उनसे वर
माँगने को कहा उन ब्राह्मणों ने कहा- 'प्रभो! यदि आप हम पर प्रसन्न हैं तो किसी प्रकार ऋषि गौतम को इस आश्रम से बाहर
निकाल दें। उनकी यह बात
सुनकर गणेशजी ने उन्हें ऐसा वर न माँगने के लिए समझाया, किंतु वे अपने आग्रह पर
अटल रहे। अंततः गणेशजी को विवश होकर उनकी बात माननी पड़ी। अपने भक्तों का मन रखने
के लिए वे एक दुर्बल गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत में जाकर रहने लगे। गाय
को फसल चरते देखकर ऋषि बड़ी नरमी के साथ हाथ में तृण लेकर उसे हाँकने के लिए लपके।
उन तृणों का स्पर्श होते ही वह गाय वहीं मरकर गिर पड़ी। अब तो बड़ा हाहाकार मचा।
सारे ब्राह्मण एकत्र हो गो-हत्यारा कहकर ऋषि गौतम की भर्त्सना करने लगे। ऋषि
गौतम इस घटना से बहुत आश्चर्यचकित और दुःखी थे। अब उन सारे ब्राह्मणों ने कहा कि
तुम्हें यह आश्रम छोड़कर अन्यत्र कहीं दूर चले जाना चाहिए। गो-हत्यारे के निकट
रहने से हमें भी पाप लगेगा। विवश होकर ऋषि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ वहाँ से
एक कोस दूर जाकर रहने लगे। किंतु उन ब्राह्मणों ने वहाँ भी उनका रहना दूभर कर
दिया। वे कहने लगे- 'गो-हत्या के कारण
तुम्हें अब वेद-पाठ और यज्ञादि के कार्य करने का कोई अधिकार नहीं रह गया।' अत्यंत अनुनय भाव से ऋषि गौतम ने उन ब्राह्मणों
से प्रार्थना की कि आप लोग मेरे प्रायश्चित और उद्धार का कोई उपाय बताएँ। तब
उन्होंने कहा- 'गौतम! तुम अपने
पाप को सर्वत्र सबको बताते हुए तीन बार पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करो। फिर लौटकर
यहाँ एक महीने तक व्रत करो। इसके बाद 'ब्रह्मगिरी' की 101 परिक्रमा करने के बाद तुम्हारी शुद्धि होगी
अथवा यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से
शिवजी की आराधना करो। इसके बाद पुनः गंगाजी में स्नान करके इस ब्रह्मगीरि की 11 बार परिक्रमा करो। फिर सौ घड़ों के पवित्र जल
से पार्थिव शिवलिंगों को स्नान कराने से तुम्हारा उद्धार होगा।
ब्राह्मणों के कथनानुसार महर्षि गौतम वे सारे कार्य पूरे करके पत्नी के साथ
पूर्णतः तल्लीन होकर भगवान शिव की आराधना करने लगे। इससे प्रसन्न हो भगवान शिव ने
प्रकट होकर उनसे वर माँगने को कहा। महर्षि गौतम ने उनसे कहा- 'भगवान् मैं यही चाहता हूँ कि आप मुझे गो-हत्या
के पाप से मुक्त कर दें।' भगवान् शिव ने
कहा- 'गौतम ! तुम सर्वथा
निष्पाप हो। गो-हत्या का अपराध तुम पर छल पूर्वक लगाया गया था। छल पूर्वक ऐसा
करवाने वाले तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणों को मैं दण्ड देना चाहता हूँ।'
इस पर महर्षि गौतम ने कहा कि प्रभु! उन्हीं के निमित्त से तो मुझे आपका दर्शन
प्राप्त हुआ है। अब उन्हें मेरा परमहित समझकर उन पर आप क्रोध न करें। बहुत से ऋषियों, मुनियों और देव गणों ने वहाँ एकत्र हो गौतम की
बात का अनुमोदन करते हुए भगवान् शिव से सदा वहाँ निवास करने की प्रार्थना की। वे
उनकी बात मानकर वहाँ त्र्यम्बक ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थित हो गए। गौतमजी द्वारा
लाई गई गंगाजी भी वहाँ पास में गोदावरी नाम से प्रवाहित होने लगीं। यह
ज्योतिर्लिंग समस्त पुण्यों को प्रदान करने वाला है।
कैसे
पहुंचें
नाशिक जिले के नाशिक शहर से 28
किलोमीटर दूर ब्रह्मगिरी
पर्वत है। यह सह्याद्री घाटी का ही एक भाग है। त्रिंबकेश्वर शहर पर्वत के निचले
भाग में बसा हुआ है। ठंडा मौसम होने की वजह से यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता देखने
लायक है । त्र्यंबकेश्वर जाने के लिए पहले नासिक
पहुंचा जाता है जो
भारत के हर क्षेत्र से रेल, वायु तथा सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। नाशिक से हर घंटे यात्रियों को यातायात के साधन आसानी से
मिल जाते है। यहां
श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।
रुकने के लिए :
त्र्यंबकेश्वर में रुकने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित
एक गेस्ट हाउस है और इसके अलावा सस्ते प्राइवेट गेस्ट हाउस और हर प्रकार के होटल में
रुकने की अच्छी व्यवस्था है ।
अगली पोस्ट में आपको बाहरवें ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर महादेव ले चलेंगे
तब तक आप यहाँ की तस्वीरें देखिये ।
पिछली पोस्ट भीमाशंकर
ज्योतिर्लिंग पर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें ।
Temple Dome Visible from outside |
Temple Dome Visible from outside |
Temple Dome Visible from outside |
Surroundings Hills |
Surroundings Hills |
Poor Condition of Trimbakeshwar Bus stand |
Surroundings Hills |
Greenery on the way |
Sant Nirvutinath palki |
Greenery on the way. |
Greenery on the way. |
Very well narrated post with beautiful pictures. Om jai sri Trimbakeshwar Jyotirling.🙏
ReplyDeleteधन्यवाद .
Deleteसुंदर लेख बस ऐसे ही लिखते जाओ,,ओर ये सच बात है कि त्रयम्बकेश्वर मैं गंदगी बहुत है हर हर महादेव,,,,,,,
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी . आप हौंसला बढ़ाते रहो हम लिखते रहेंगे .
Deleteबहुत रोचक वर्णन
ReplyDeleteमैं भी गई हूं दृश्य आंखों के आगे आ गए
धन्यवाद दीदी .आपका ब्लॉग पर स्वागत है .
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-08-2018) को "सावन का सुहाना मौसम" (चर्चा अंक-3057) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आभार राधा तिवारी जी .
Deleteजय श्री त्र्यम्बकेश्वर महादेव की.... जानकारी पूर्ण बहुत ही अच्छी पोस्ट... एक हमे भी यहाँ के दर्शन लाभ लेने है ..... चित्र बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteधन्यवाद रीतेश गुप्ता जी .भोलेनाथ का बुलावा जल्द ही आपको आएगा .
Deleteसपूर्ण जानकारी से भरी अच्छी पोस्ट. आपने घर बैठे यात्रा करवा दी .जय श्री त्र्यम्बकेश्वर महादेव .
ReplyDeleteधन्यवाद अजय भाई .जय श्री त्र्यम्बकेश्वर महादेव .
Deleteयहाँ कभी जाना नहीं हो पाया लेकिन आपकी इस पोस्ट में माध्यम से आज एक यात्रा तो कर ही ली .जय भोले नाथ .
ReplyDeleteधन्यवाद राज़ साहब .जय भोले की .
Deleteबहुत ही सुन्दर, हर हर महादेव
ReplyDeleteधन्यवाद शरद जी .
Deleteजय महादेव.1 बार दर्शन का सौभाग्य मिला है
ReplyDeleteधन्यवाद आशीष पालीवाल जी .
Deleteसबसे पहले तो आपके ब्लॉग पे 100 से ज्यादा पोस्ट होने की बधाइयाँ। आपको शायद यकीन नहीं हो लेकिन जब भी मौका मिलता है आपके ब्लॉग पे 3-4 पोस्ट तो पढ़ ही लेता हूँ। शायद,आपके ब्लॉग के माध्यम से 12 ज्योर्तिर्लिंगो के दर्शन पहले ही हो जाये। आप मुझे आपका एक छोटा सा फैन भी समझ सकते है। पढ़ के मज़ा आता है और ज्ञान भी मिलता है। ऐसे ही घूमते रहिये और लिखते रहिये।
ReplyDeleteThanks Anit Kumar jee. आपका हमेशा स्वागत है .आप जैसे पाठकों के दम पर ही लिखने का हौसला मिलता है . मेरी भी कोशिश है की अपने ब्लाग पर चार धाम और बारह ज्योर्तिर्लिंगो के बारे में लिख दूँ . सभी जगह जा चूका हूँ
Deleteअच्छा लगा यह आपने हिंदी में लिख ही दिया। सावन में ज्योतिर्लिंग के नाम लेना भी पूण्य देता है आपने तो दर्शन करा दिए। जय भोले नाथ
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन भाई .
Deleteतीन चार साल पहले हम त्र्यंबकेश्वर गए थे। चार पाँच घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद जब भोलेनाथ के दर्शन की घड़ी आई तो हमें एक मिनट भी खड़े होकर ठीक से दर्शन करने नहीं दिया गया। बस 'चलो चलो' कहकर वहाँ से जबर्दस्ती आगे बढ़ा दिया। एक पल के लिए हाथ जोड़कर प्रार्थना भी नहीं कर पाए। फिर भी, जय महादेव की !
ReplyDeleteधन्यवाद मीना शर्मा जी .पहली बार तो हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ था लेकिन दुसृबार आराम से दर्शन कर लिए थे .
Deleteबढ़िया परिचय और जानकारी ! त्र्यंबकेश्वर का बस स्टेशन किसी भी तरह से जगह के अनुकूल नहीं लग रहा। इतनी प्रसिद्ध और पवित्र जगह जहाँ रोज़ हजारों लोग दर्शन के लिए आते ,हैं मूलभूत सुविधाएं तो बेहतरीन होनी ही चाहिए !!
ReplyDeleteधन्यवाद योगी जी . त्र्यंबकेश्वर बस स्टेशन के बारे आपने सही कहा ..पर अफ़सोस उसकी अभी भी यही हालत है .
DeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteत्रयंबकेश्वर मंदिर की जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteTHANKS Ahaana Gupta.
DeleteThis place is renowned and glorified for Shiva pujas and and also the numerous religious rituals (vidhis) such as Narayan Nagbali, Kalsarpa Shanti, Tripindi vidhi and all types of Shradh rituals for the deceased.
ReplyDeleteYou can book Trimbakeshwar pooja online with us.