राम जन्मभूमि अयोध्या
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि प्रयागराज
कुम्भ में स्नान करने और दो दिन बिताने के बाद
अगले दिन सुबह जल्दी से उठकर सब तैयार हो गए। आज हमें राम लल्ला के दर्शन हेतु
राम जन्म भूमि अयोध्या जाना था । प्रयागराज से
अयोध्या की सड़क मार्ग से दुरी लगभग 170 किमी है और लगभग पाँच घंटे सफ़र में लग ही
जाते हैं, इसलिये सुबह-सुबह ही डाक्टर साहब से विदा ली और बस स्टैंड के लिए रवाना हो गए
। कुम्भ क्षेत्र से ही हमें
बस स्टैंड जाने के लिए एक ऑटो रिक्शा मिल गया और हम 15-20 मिनट में बस स्टैंड
पहुँच गए । बस स्टैंड पहुँचकर सबसे पहले नाश्ते का काम निपटाया और फिर अयोध्या
जाने वाली बस में सब सवार हो गए ।
तुलसी चौरा |
“ पवित्र सरयू नदी के दाएं तट पर बसा अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य
का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। इसे 'कौशल देश' भी कहा जाता था। अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थलों में एक
है। यह सप्त पुरियों में से एक है। यह नगरी भारत के सबसे प्रतापी सूर्यवंशी राजाओं
की राजधानी रही है। भगवान विष्णु के मनुष्य के रूप में अवतार लेकर
यहां जन्म लेना भी लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है, इसीलिए इसे 'श्रीराम' की भूमि यानी राम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। ”
लगभग पाँच घंटे के सफ़र के बाद हम लोग अयोध्या पहुँच गए । बस ने हमें बाईपास पर
उतारा तो वहां से एक बैटरी रिक्शा लेकर अयोध्या शहर की तरफ चल पड़े। रिक्शा वाला , हमारे
कहने पर हमें एक धर्मशाला टाइप होटल में ले गया । कमरे साफ सुथरे थे और हमें एक
चार बेड वाला कमरा पसंद आ गया। एंट्री करते हुए होटल वाले ने हमें बताया कि राम
जन्म भूमि मंदिर शाम 5:30 बजे बंद हो जायेगा यदि आपको वहाँ आज ही जाना है तो समय
से चले जाना । अभी दोपहर के तीन बजे थे इसलिये थोड़ी देर कमरे पर आराम किया और शाम
चार बजे हम राम जन्म भूमि की तरफ चल दिए । अयोध्या में मुख्य सड़क/बाज़ार एक ही है।
हमारे होटल से लगभग एक किलोमीटर आगे दायें तरफ हनुमान गढ़ी की तरफ एक छोटी गली से रास्ता जाता है । राम जन्म
भूमि जाने का मार्ग भी यहीं से है । सबसे पहले हनुमान गढ़ी है । उससे थोड़ा आगे
दशरथ महल और कनक भवन है, थोड़ा और आगे चलने पर राम जन्मभूमि है । चूँकि राम जन्मभूमि
मंदिर सबसे पहले बंद हो जाता है तो पहले हम सीधा वहीँ गए ।
राम जन्मभूमि मंदिर जबरदस्त सुरक्षा घेरे में है । अन्दर किसी भी प्रकार का सामान
ले जाना मना है । सबकी तीन बार तलाशी ली जाती है और फिर सभी को लोहे के जंगले से
होकर गुजरना पड़ता है । दो- तीन बार दायें-बाएं घुमने के बाद आख़िरकार राम लला के
सामने पहुँच जाते हैं । राम लला एक अस्थायी टेंट में विराजमान है। भगवान श्री राम का
बाल रूप विग्रह बड़ा ही मनमोहक है लेकिन भगवान राम को इस हाल में देखकर बड़ी पीड़ा भी
होती है । बचपन में एक नारा सुनते थे : “गर्व से कहो हम हिन्दू हैं” लेकिन मर्यादा
पुरषोतम भगवान श्री राम की जन्म स्थली पर राम लला को एक फटे हुए टेंट में विराजमान
देखकर मन वेदना से भरकर कह रहा था “शर्म से कहो हम हिन्दू हैं” । भगवान राम की
जन्म स्थली की इस दुर्दशा के लिए हम हिन्दू ही जिम्मेवार हैं । भगवान राम को
काल्पनिक बताने वाले भी हिन्दू ही हैं और राम जन्मभूमि के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में
लड़ने वाले भी हिन्दू ही हैं और उनके बहुत से समर्थक भी हैं । ऐसे लोगों के समर्थक
हिन्दुओं को चाहिए कि एक बार अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन कर आयें । शायद वहां
के हालात देखकर ही उन्हें सध्बुधि आ जाये ।
राम लला के दर्शनों के बाद वापसी में कनक भवन , दशरथ महल और हनुमान गढ़ी गए ।
अब तक शाम के साढ़े सात बज चुके थे । कमरे पर वापिस जाने से पहले खाने का काम भी
निपटा दिया । आज सुबह पाँच घन्टे के बस के सफ़र और अब पिछले दो घन्टे से पैदल घूमने
के कारण काफी थक चुके थे। खाना खाकर एक बैटरी रिक्शा से सीधा कमरे पर जाकर सो गए । अगले दिन सुबह उठकर मैं और
सुशील सरयू घाट चले गए , बाकि दो साथियों ने थकावट के कारण जाने से मना कर दिया ।
एक घंटे बाद हम सरयू घाट से लौट आये और जल्दी से घर वापसी के लिए तैयार हो गए । होटल
छोड़ने के बाद रास्ते में एक जगह नाश्ता किया और फ़िर हम सीधा रेलवे स्टेशन चले गए
जहाँ से हमें आज सुबह 10 बजे अम्बाला के लिए ट्रेन पकड़नी थी । ट्रेन भी समय पर आ
गयी और अगले दिन हम अपने घर पहुँच गए ।
अयोध्या के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों की पौराणिक जानकारी :
हनुमान गढ़ी:
अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी सदैव
वास करते हैं। इसलिए अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन के साथ भक्त हनुमान जी के
दर्शन भी करते हैं। यहां का सबसे प्रमुख हनुमान मंदिर "हनुमानगढ़ी" के
नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। कहा जाता
है कि हनुमान जी यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते
थे। हनुमान जी को रहने के लिए यही स्थान दिया गया था। प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी
को ये अधिकार दिया था कि जो भी भक्त मेरे दर्शनों के लिए अयोध्या आएगा उसे तुम्हारा
भी दर्शन पूजन करना होगा। यहाँ आज भी छोटी दीपावली के दिन आधी रात को संकटमोचन का
जन्म दिवस मनाया जाता है। पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले
लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है। यह मंदिर अयोध्या में एक टीले पर
स्थित होने के कारण मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। इसके बाद पवनपुत्र हनुमान की 6
इंच की प्रतिमा के दर्शन होते हैं,जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है। मुख्य
मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनी माता की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है
कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में मां
अंजनी व बाल हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमान जी, अपनी मां अंजनी की गोद में बालक के रूप में विराजमान हैं।
इस हनुमान मंदिर के निर्माण के कोई स्पष्ट साक्ष्य तो नहीं मिलते हैं लेकिन
कहते हैं कि अयोध्या न जाने कितनी बार बसी और उजड़ी, लेकिन फिर भी एक स्थान जो हमेशा अपने मूल रूप में रहा वो
हनुमान टीला है जो आज हनुमान गढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। लंका से विजय के प्रतीक
रूप में लाए गए निशान भी इसी मंदिर में रखे गए जो आज भी खास मौके पर बाहर निकाले
जाते हैं और जगह-जगह पर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। मन्दिर में विराजमान हनुमान
जी को वर्तमान अयोध्या का राजा माना जाता है। कहते हैं कि हनुमान यहाँ एक गुफा में
रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान
के साथ अंजनि की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी
सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस मन्दिर के निर्माण के पीछे की एक कथा प्रचलित है। सुल्तान मंसूर अली अवध का
नवाब था। एक बार उसका एकमात्र पुत्र गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। प्राण बचने के
आसार नहीं रहे, रात्रि की कालिमा
गहराने के साथ ही उसकी नाड़ी उखड़ने लगी तो सुल्तान ने थक हार कर संकटमोचक हनुमान
जी के चरणों में माथा रख दिया। हनुमान ने अपने आराध्य प्रभु श्रीराम का ध्यान किया
और सुल्तान के पुत्र की धड़कनें पुनः प्रारम्भ हो गई। अपने इकलौते पुत्र के
प्राणों की रक्षा होने पर अवध के नवाब मंसूर अली ने बजरंगबली के चरणों में माथा
टेक दिया। जिसके बाद नवाब ने न केवल हनुमान गढ़ी मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया
बल्कि ताम्रपत्र पर लिखकर ये घोषणा की कि कभी भी इस मंदिर पर किसी राजा या शासक का
कोई अधिकार नहीं रहेगा और न ही यहां के चढ़ावे से कोई कर वसूल किया जाएगा। उसने 52
बीघा भूमि हनुमान गढ़ी व इमली वन के लिए उपलब्ध
करवाई।
कनक भवन: हनुमान गढ़ी के
निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम के
सोने मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण बहुत बार इस मंदिर को
सोने का घर भी कहा जाता है। यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। इस मन्दिर के श्री विग्रह (श्री
सीताराम जी) भारत के सुन्दरतम स्वरूप कहे जा सकते है। यहाँ नित्य दर्शन के अलावा
सभी समैया-उत्सव भव्यता के साथ मनाये जाते हैं। आज जो कनक भवन अयोध्या में मौजूद
है, वह कुछ साल पहले ही ओरछा के राजा के द्वारा बनवाया गया था।
कहा जाता है कि लगभग चार हजार साल पहले भी यहां इसी नाम का मंदिर था। कनक भवन को
भगवान राम का अंत:पुर या सीता महल भी कहा जाता है। मंदिर में सीता-राम की संगमरमर
की मूर्तियां स्थापित हैं। बड़ी मूर्तियों के आगे सीता-राम की छोटी मूर्तियां हैं, जो हजारों साल पुरानी बताई जाती है। कनक भवन में दूसरी मंजिल पर भगवान राम की
अंत:पुरी है। वहीं, एक कमरे में स्नान गृह और दूरसे में श्रृंगार
गृह है।
कनक भवन के आगे श्रीराम जन्म भूमि है। इतिहासकार मानते हैं कि यहां पर भगवान
राम का एक प्राचीन मंदिर था, जिसे मुगल बादशाह
बाबर ने सन् 1526 में अयोध्या पर
आक्रमण के समय तोड़ कर, उसकी जगह पर एक
मस्जिद बना दी थी। आज भगवान राम की मूर्ति एक अस्थाई मंदिर में स्थापित है। हनुमान
गढ़ी से राम जन्म भूमि का मार्ग लगभग आधे कि.मी. का है। इस मार्ग में कई मंदिर
हैं।
दशरथ
महल : रामकोट स्थित महाराज दशरथ महल को बड़ा स्थान या
बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता
है। यह स्थल सैलानियों के लिए सुबह 8 से लेकर दोपहर 12
बजे तक और शाम 4 से
लेकर रात के 10 बजे तक खोला जाता है। राम विवाह,
दीपावली, श्रावण मेला, चैत्र
रामनवमी और कार्तिक मेला का यहां विशेष महत्व है और इन्हें यहां विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता
है। इन त्योहारों को मनाने के लिए यहां सैलानी काफी दूर-दूर से चलकर आते हैं। माना जाता है कि
चक्रवर्ती महाराज दशरथ महल
में राजा दशरथ अपने नाते-रिश्तेदारों के साथ रहते थे। यह स्थल अब एक पवित्र मंदिर के रूप में तब्दील हो चुका है, जहां राम-सीता, लक्ष्मण और शत्रुघ्न आदित की प्रतिमाएं
हैं।
सरयू घाट : अयोध्या में सरयू नदी के तट पर कई पक्के घाट हैं, जिसका वर्णन कई ग्रंथों में पाया जाता है। भले ही समय के
साथ सरयू नदी की धारा अब घाटों से दूर चली गई है, लेकिन उसका महत्व आज भी उतना ही है। यहां पर लगभग 13
घाट हैं। सभी घाटों पर अनेक मंदिर बने हुए हैं।
तुलसी चौरा: यहीं पर एक तुलसी चौरा नाम की एक जगह है। कहते है कि गोस्वामी तुलसीदास जी
ने इसी जगह पर श्रीरामचरितमानस की रचना शुरू की थी। यहां पर उनकी एक आकर्षक
प्रतिमा है। इस जगह को आज पार्क का रूप दे दिया गया है और इस जगह को तुलसीदास
उद्यान भी कहा जाता है।
कैसे पहुंचें
1. हवाई मार्ग- अयोध्या से लगभग 120 कि.मी. की दूरी पर गोरखपुर एयरपोर्ट है।
वहां तक हवाई मार्ग से आकर रेल या बस से अयोध्या पहुंचा जा सकता है।
2. रेल मार्ग- अयोध्या के देश के लगभग सभी बड़े शहरों
के लिए रेल गाड़ियां चलती हैं।
3. सड़क मार्ग- अयोध्या का सड़क मार्ग भी कई शहरों से
जुड़ा हुआ है।
दशरथ महल |
दशरथ महल |
दशरथ महल |
दशरथ महल |
सरयू घाट |
मैं सरयू घाट पर |
सरयू घाट |
सरयू घाट |
सरयू घाट |
तुलसी चौरा |
तुलसी चौरा |
तुलसी चौरा |
हनुमान गढ़ी के हनुमान जी |
कनक भवन |
कनक भवन में भगवान जी |
अयोध्या रेलवे स्टेशन |
शानदार भैया
ReplyDeleteधन्यवाद अजय बाबू .
Deleteवाह सहगल साहब राम लला कर दर्शन करवा दिए आपने साथ मे पूरा अयोध्या भी दिखा दिया । सचमुच हर हिन्दू के लिए रामलला का ये हाल शर्मनाक है । आशा करते हैं जल्द ही राम भक्तों की सुनेंगे और अयोध्या में राम जी का एक सुन्दर मन्दिर बनेगा ।
ReplyDeleteजय श्री राम
धन्यवाद कौशिक साहब .आशा करते हैं अगली बार अयोध्या जाएँ तो भव्य राम मंदिर देखने को मिले .
Deleteजय श्री राम.....जय राजा राम की.....अयोध्या के बारे में पूरी जानकारी के साथ कोई पोस्ट पहली बार पढ़ रहा हूँ वो भव्य चित्रों के साथ..... बहुत अच्छा लगा लेख पढकर...... अयोध्या का श्री राम लला मंदिर जरुर बनेगा ...
ReplyDeleteराम राम जी
धन्यवाद गुप्ता जी . जय श्री राम .हमारी भी इच्छा है कि अयोध्या में राम लला का भव्य मंदिर बने .
Deleteबहुत खूब।
ReplyDeleteधन्यवाद बीनू भाई .
Deleteजय श्री राम ..
ReplyDeleteधन्यवाद प्रदीप जी .जय श्री राम ..
Deleteजानकारी से भरपूर बढ़िया पोस्ट . राम लल्ला के लिए भव्य मंदिर भी जल्दी ही बनेगा , आप विचलित न हो .जय श्री राम ..
ReplyDeleteधन्यवाद राज़ जी .जय श्री राम ..
Deleteपूरी जानकारी के साथ बढ़िया पोस्ट. कभी अयोध्या नहीं जा पाया ..आपके माध्यम से ये भी देख लिया .
ReplyDeleteजय श्री राम.
धन्यवाद अजय जी .जय श्री राम ..
Deleteअयोध्या की बहुत सही जानकारी।
ReplyDeleteजय श्री राम।
धन्यवाद शिवदत मिश्रा जी .जय श्री राम ..
Deleteजय श्री राम....बहुत बढ़िया जानकारी से लबरेज लेख
ReplyDeleteधन्यवाद अनिल भाई .जय श्री राम ..
Deleteआभार शिवम् मिश्रा जी .
ReplyDeleteआभार आपका नरेश जी, इससे पहले अयोध्या पर इतनी खूबसूरत पोस्ट मैंने कभी नही पढ़ी। फोटोज तो इतने आकर्षक है कि तुरंत अयोध्या जाने का मन हो गया । आपकी लेखनी और यात्रा इसी प्रकार हमें भी यात्रा कराती रहे । मेरी शुभकामनाएं। 💐💐💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिमा जी. संवाद बनाये रखिये .
Deleteअरे वाह बहुत बढ़िया 👌शानदार
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ जी.
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ReplyDeleteI am agree with the you, Ayodhya is a beautiful place. If you visited once then you can't stop yourself to visit again via the Best travel agency in Noida.
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