खीर गंगा ट्रैक,
हिमाचल
नवम्बर-2018 में हिमाचल में शिकारी देवी और कमरुनाग ट्रैक पर जाने के बाद पिछले 4-5 महीनो में हिमालय जाने का कोई
प्रोग्राम नहीं बन पाया। इस दौरान तीन यात्रायें तो हुई लेकिन सभी मैदानी इलाकों
में ,इसीलिए फिर से हिमालय जाने की बड़ी इच्छा हो रही थी । काफी जगह दिमाग में आई
जिसमे हिमाचल में चुडधार और करेरी लेक मुख्य थी ,लेकिन इस वर्ष ज्यादा बर्फ़बारी
होने से इन जगह पर जाना अभी भी मुमकिन नहीं था। आख़िरकार हिमाचल के खीर गंगा ट्रैक
पर चलने का फाइनल हुआ। मेरे साथ सुशील और सुखविंदर
जाने वाले थे । इसी फरवरी में की गयी प्रयाग राज कुम्भ और अयोध्या यात्रा में भी ये दोनों साथ ही थे। 18 अप्रैल को
सुबह निकलने का फाइनल किया और तय दिन सुबह 8:30 बजे हम तीनो अम्बाला से हिमाचल की
ओर निकल पड़े।
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खीरगंगा |
पहला विश्राम स्वारघाट के पास लिया । इससे पहले मैं जितनी बार भी इस रूट से
आया ,कीरतपुर और स्वारघाट के बीच सड़क की हालात हमेशा खस्ता मिली। सड़क पर बड़े –बड़े
खड्डे ,ऊपर से चढ़ाई वाला रास्ता । पिछली यात्रा में भी यहाँ काम चल रहा था तो 20
किलोमीटर के इस रास्ते में काफी दिक्कत हुई थी लेकिन इस बार यहाँ फोर लेन की बढ़िया
सड़क बन चुकी थी । स्वारघाट में चाय पीने और थोड़ी देर सुस्ताने के बाद आगे का सफ़र
जारी रखा । दोपहर को मंडी के पास एक जगह सड़क किनारे खड़ी रेहड़ी से छोले-कुलचे खाकर
पेट की भूख शांत की । मंडी से आगे भुन्तर तक कई जगह फोर-लेन सड़क बनाने का कार्य चल
रहा है , इसी काम के चलते ओट टनल से पहले एक जगह ट्रैफिक बंद भी किया हुआ था। 15-20
मिनट रूककर रास्ता खुलने का इंतजार किया । इसी तरह रुकते-चलते शाम 5 बजे के करीब
हम भुन्तर पहुँच गए । भुन्तर को कुल्लू घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना
जाता है। यहीं पर ब्यास नदी और पार्वती नदियों का संगम स्थल भी है।
भुन्तर से कुल्लू-मनाली और मणिकर्ण के रास्ते अलग हो जाते हैं । बाएं तरफ़ वाली
सड़क कुल्लू-मनाली के लिए और दायें हाथ वाली सड़क मणिकरण को जाती है जो यहाँ से लगभग
35 किलोमीटर दूर है । आज हमें मणिकर्ण पहुंचना था और रात को वहाँ रूककर सुबह वहाँ
से खीरगंगा के बेस कैंप- बरशैनी जाना था । “मणिकर्ण से चार किलोमीटर पहले एक छोटा सा क़स्बा कसोल है जोकि पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ है।
कसोल पहले टूरिस्ट्स के बीच ज्यादा प्रसिद्ध नहीं था, लेकिन अब यह छोटा सा हिल स्टेशन भी टूरिस्ट्स के बीच खासा पॉपुलर होता जा रहा
है। मैं पहली बार जब 2001 में कसोल आया था तब यहाँ बहुत कम बसावट थी, होटल तो
नाममात्र ही थे लेकिन अब यह छोटा सा गांव समृद्ध दिखता है अब लोग अपने ख़ुद के
कैफ़े, गेस्ट हाउस चलाने लगे हैं। अब यहाँ काफी होटल हैं और विदेशीयों, खासकर इसराइली पर्यटकों का यह पसंदीदा ठिकाना बना हुआ है।
पार्वती नदी के किनारे कैम्पिंग के लिए अब कई रिसोर्ट खुल गए हैं । ”
शाम 6:30 के करीब हम कसोल पहुंच गए । सुशील की इच्छा आज रात
कसोल में रुकने की थी । मैंने उसे समझाया कि यहाँ रुकना और खाना काफी महंगा पड़ेगा
लेकिन उसके किसी मित्र ने उसे यहाँ के बारे काफी कुछ बढ़ा-चढ़ा कर बता रखा था, वो
नहीं माना और कसोल में ही रुकने की जिद्द करने लगा । कसोल में सुशील को किसी साइड
में गाड़ी खड़ी करने को बोल, मैं और सुखविंदर होटल पता करने चले गए । 3-4 होटल में
तो सभी कमरे बुक मिले । जहाँ मिल रहा था वहाँ भी एक कमरा 1500 रूपये से कम नहीं था
। कई होटल घुमने के बाद एक होटल वाले से 1300 में बात पक्की कर, सुशील को बुलाने
जब गाड़ी के पास पहुँचे तो उसे पुलिस वालों से घिरे पाया । बातचीत की तो मालूम हुआ
कि थोड़ी देर पहले यहाँ से निकलते हुए पुलिस वालों ने सुशील को वहां से गाड़ी हटाने
को कहा था , सुशील ने इसे हल्के में लिया और कुछ देर बाद जब पुलिस राउंड लेकर
वापिस आई तो गाड़ी वहीँ खड़ी थी तो उन्होंने नो पार्किंग का चालान काटने को कहा ।
हमने रिक्वेस्ट की लेकिन पुलिस वालों ने 500 रूपये का चालान थमा दिया । चालान
भुगतने के बाद मैंने कहा, अब यहाँ नहीं रुकना ; कमरा लेंगे तो 1000 रूपये से कम का
ही । आगे चलते हुए भी 2-3 होटलों में पता किया लेकिन सभी पहले से ही फुल थे । थोड़ी
देर में हम मणिकर्ण पहुँच गए और एक गेस्ट हाउस में 500 रूपये में एक कमरा ले लिया।
कमरा साफ सुथरा था ,साथ में अटैच्ड टॉयलेट और क्या चाहिए ? बस कमरे में टीवी नहीं था और हम
यहाँ टीवी देखने आये भी नहीं थे ! कसोल में हम 1300 रूपये में कमरा लेने को तैयार
थे लेकिन यहाँ चालान मिलाकर भी 1000 रूपये में ही पड़ा । सीधा 300 रूपये बच गए , इसकी
सेलिब्रेशन तो बनती थी और फिर हम कहाँ पीछे रहने वाले थे । पार्टी के दौर के बाद
रात 9 बजे के करीब बस स्टैंड के पास एक पंजाबी ढाबे पर जाकर खाना खाया और फिर वापिस
कमरे पर आकर सो गए ।
अगले दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हुए और एक-एक कप चाय पीकर
सुबह 7:15 पर बर्शेणी चल दिए ।
बर्शेणी यहाँ से 15 किलोमीटर दूर है लेकिन सड़क की हालत बेहद ख़राब होने के कारण
वहां पहुँचने में एक घंटे से भी अधिक समय लग गया । बर्शेणी पहुँचने से पहले ही
रास्ते में ही कई बर्फीली चोटियाँ दिखने लगती है और बर्शेणी पहुंचकर भी नज़ारा बदलता
नहीं । नाश्ते के लिए एक भोजनालय में आलू के परांठो का आर्डर दे दिया जब तक परांठे
बनते तब तक थोड़ी फोटोग्राफी कर ली । नाश्ता करने के बाद गाड़ी आगे डैम तक ले गए और
एक साइड में गाड़ी को पार्क कर लगभग 9:30 बजे हम ट्रैकिंग के लिए निकल गए ।
कल्गा, पुल्गा और तोश- बरशैणी के पास बसे तीन गांव है। बरशैणी और तोश
गाँव पार्वती नदी के इस तरफ कल्गा और पुल्गा, पार्वती नदी के उस पार । बरशैणी से
आगे हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट है और उससे 2 किलोमीटर आगे ऊपर की तरफ तोश गाँव
। यहाँ तक गाड़ी जा सकती है । तोश गाँव की तरफ जाने वाली सड़क छोड़कर नीचे की तरफ एक
रास्ता जाता है। यहाँ तोश नाला पर एक पुल बना है, यही तोश नाला आगे जाकर पार्वती नदी
में मिल जाता है।
खीर गंगा की ट्रैकिंग बरशैणी (2250 मीटर) से शुरू होती है , मुख्यतः दो रास्ते हैं- एक कलगा गाँव से दूसरा नक्थान गाँव
से । पहले के लिए बरशैणी से पार्वती नदी का पुल पार कर पहले कलगा गाँव तक चढ़ना है
और फिर वहाँ से पार्वती नदी के दायीं तरफ ही चलना है । दूसरे के लिए डैम से आगे
जाकर तोश नाले पर बने पुल को पार करके नक्थान गाँव की तरफ चलना है , इसमें पार्वती
नदी के बायीं तरफ चलना है। दोनों ही रास्तों पर करीब 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। दूसरा रास्ता
अधिक प्रचलित है और हम भी इसी रास्ते से गए थे । दोनों रास्ते रुद्रनाग से आगे पुल
पार करते ही मिल जाते हैं ।
बरशैणी से 3 किलोमीटर आगे
नकथान गांव हैं यह पार्वती घाटी का आखिरी गांव है। ये छोटा सा गांव किसी
जन्नत से कम नहीं। यहाँ आपको खाने पीने का सामान मिल जाता है इसके बाद कोई बस्ती
नहीं है। कुछ दूरी पर रुद्रनाग है यहां चट्टानों के नीचे से होकर पानी बड़े वेग से आता
है। यह झरना देखने में काफी मनमोहक हैं। स्थानीय लोगों में इस झरने के लिए काफी
श्रद्धा है उनका मानना है कि यहां देवता भी दर्शन करने के लिए आते हैं। रुद्रनाग
में एक मंदिर भी बना हुआ है । इसके थोड़ा बाद ही पार्वती नदी पर एक बड़ा झरना भी है।
तोश नाले पर बने पुल से नक्थान गाँव तक ठीक चढ़ाई है लेकिन यहाँ से आगे रुद्रनाग
तक हलकी चढ़ाई-उतराई है जो ज्यादा महसूस नही होती। नकथान गांव से आगे खीरगंगा के इस
रास्ते पर झरनों की भरमार है । पीने के पानी की कोई दिक्कत नहीं है , हर 200-250
मीटर की दुरी पर पानी का स्तोत्र है । रुद्रनाग (2365 मीटर) से आगे पार्वती
नदी का पुल पार करते ही देवदार का घना जंगल शुरू हो जाता है और करीब 4 किलोमीटर तक
लगातार खड़ी चढ़ाई है। यह जंगल खीर गंगा (2817 मीटर) पर जाकर ही खत्म
होते हैं । खीर गंगा के पास
रुकने के लिए कई टेंट उपलब्ध रहते हैं जहाँ रात रुकने और खाने की व्यवस्था रहती है
। लेकिन यहाँ खाने पीने की चीजों के दाम बहुत महंगे हैं । एक कप चाय 40 रूपये और
एक प्लेट मैग्गी 80 रूपये की।
हमें बरशैणी से खीर गंगा पहुँचने में लगभग चार घंटे लगे । एक टेंट वाले को मैग्गी
और चाय आर्डर करके आराम करने लगे । पेट पूजा के बाद वहाँ से थोड़ा और ऊपर गर्म पानी
के कुंड की तरफ चल दिए । यहाँ पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग से कुंड बने हुए हैं ।
आधे घंटे से ज्यादा देर तक हम गर्म पानी में पड़े रहे। ट्रैकिंग की थकान के बाद गर्म
पानी में नहाना हमें काफी राहत दे रहा था । नहाने के बाद कुंड के पास ही बने शिव
जी का मंदिर गए । अभी भी मंदिर के आसपास काफी बर्फ थी । बताते हैं कि यहाँ से कुछ और
दूरी पर भगवान कार्तिके की गुफा है जहाँ स्थानीय लोगों की अटूट आस्था है। लगभग दो
घंटे यहाँ बिताने के बाद हमने वापसी शुरू कर दी और शाम 6 बजे वापिस बरशैणी पहुँच
गए ।
खीर गंगा ट्रैक खीर गंगा ट्रैक हिमाचल के कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर पश्चिम में स्थित है।
यह ट्रैक समुद्रतल से 2817 मीटर की ऊंचाई
पर है। खीरगंगा अर्थात, खीर सीं सफ़ेद गंगा, पार्वती घाटी के ऊपर स्थीत एक छोटा सा मैदान है
जो गर्म पानी के कुंड के लिए प्रसिद्ध है। खीर जैसी सफ़ेद रंग के वजह से इस जगह को
खीरगांगा बुलाया जाता है। खीर गंगा जाने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर
तक है। खीर गंगा का निकटतम शहर बरशैणी है। भुंतर से बस द्वारा यहां पहुंचा जा सकता
है, इसके बीच में कसोल और
मणिकर्ण पड़ते हैं। मणिकर्ण से खीरगंगा 25 किलोमीटर दूर है। खीर गंगा पहुंचने के लिए भुंतर, कसोल, मणिकरण और
बर्शेणी तक सड़क मार्ग को वाहन से तय कर सकते हैं और आगे का 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय
करना होता है। दूर बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों को खीर गंगा से देखना एक शानदार
अनुभव देता है।
अगली पोस्ट में आपको मणिकर्ण ले चलेंगे ,तब तक आप यहाँ की तस्वीरें देखिये ।
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मणिकर्ण से थोड़ा आगे से ही ये व्यू दीखता है |
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मणिकर्ण से थोड़ा आगे से ही ये व्यू दीखता है |
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कलगा गाँव |
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सडक ऐसे ही टूटी हुई है |
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बरशैणी से व्यू |
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बरशैणी से व्यू |
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बरशैणी से व्यू
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बरशैणी से व्यू |
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मैं और मेरी पहाड़न |
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बरशैणी से व्यू |
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तोश नाला |
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तोश नाला |
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डैम ,संगम और बर्फीली चोटियाँ |
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तोश गाँव |
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तोश नदी का पुल |
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रास्ते में ऐसे झरनों की भरमार है |
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पार्वती नदी |
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पार्वती नदी |
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पार्वती नदी का पुल |
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पार्वती नदी |
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खीर गंगा |
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खीर गंगा |
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खीर गंगा में मेरे साथी |
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खीर गंगा से व्यू |
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खीर गंगा से व्यू |
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खीर गंगा से व्यू |
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खीर गंगा से व्यू |
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खीर गंगा से व्यू |
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खीर गंगा से व्यू |
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शिव मंदिर |
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रुद्र्नाग |
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रुद्र्नाग पर मैं |
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/05/2019 की बुलेटिन, " पैरंट्स टीचर मीटिंग - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार शिवम् मिश्रा जी .
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (10-05-2019) को "कुछ सीख लेना चाहिए" (चर्चा अंक-3331) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी..
Deleteअति सुन्दर। 500 का चालान कटवा के भी आपने 300 बचा लिए, बहुत बढ़िया 😀
ReplyDeleteधन्यवाद ओम भाई ..
Deleteवाह सहगल साहब, काफी सुना था आज दर्शन भी हो गए खीर गंगा के आपके साथ । फोटो के हमेशा की तरह ठाठ कर रखें हैं आपने जिससे साथ चलने जैसा अनुभव होता है । बम बम भोले
ReplyDeleteधन्यवाद संजय कौशिक जी . बम बम भोले .
Deleteबढ़िया यात्रा रही । लेकिन पोस्ट में सब कुछ जल्दी सी लगा । जय हो
ReplyDeleteधन्यवाद पाण्डेय जी. जल्दी तो नहीं पर दूसरी पोस्ट नही चाहता था इस पर इसलिए सभी इसी में खतम कर दिया .
Deleteबहुत शानदार वर्णन नरेश , क्या मई में भी ये नजारा मिलेगा।
ReplyDeleteधन्यवाद बुआ जी . इस नज़ारे के लिए आपको मणिकरण से आगे जाना पड़ेगा .
Deleteनरेश भाई सुन्दर फोटो से सझी ये पोस्ट रही। लकिन थोडा छोटी सी लगी खेर अगली पोस्ट मनिकरण का इन्तजार रहेगा।
ReplyDeleteधन्यवाद सचिन जी. पोस्ट छोटी नहीं है .सामन्यात पोस्ट से लम्बी है .लगभग 2 हज़ार शब्द हैं इसमें .
Deleteशानदार सुगम तेज आनंददायक यात्रा भैया
ReplyDeleteजगह भी लाजवाब और चित्र भी
अगली जगह का ििइंतज़ार रहेगा भैया
धन्यवाद डाक्टर साहेब .अगली पोस्ट इसी सप्ताह ..
Deleteबहुत ही सुंदर पोस्ट मजा आ गया पढ़ कर. सुशील भाई की जिद बहुत भारी न पड़ी, थोड़े मैं ही निपट लिए .........बाकी तो मस्ती चलती है
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता दीदी .
Deleteबहुत सुन्दर । प्रथम तस्वीर तो बिलकुल अल्टीमेट है ।
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश जी . ब्लॉग पर आपका स्वागत है .
Deleteखीरगंगा ट्रेक की बढ़िया शुरुआत की है सहगल जी, फोटो भी लाजवाब आये है खासतौर से तोश नाले का दृश्य देखते ही बनता है ! चलान वाली बात सुनकर तो ऐसा लग रहा है कि जो हिल स्टेशन ज्यादा चर्चित हो जाते है वहां पुलिस वाले भी कभी-कभी बेवजह यात्रियों को परेशान करते हुए चालान काटना शुरू कर देते है बाकि आपकी क्या परिस्थिति रही होगी उसका तो अनुमान ही लगा सकता हूँ !
ReplyDeleteधन्यवाद चौहान साहब . जगह वाकई काफी खूबसूरत है .
Deleteगज़ब के नज़ारे ,लाज़वाब तस्वीरें और सुंदर लेख व जानकारी मणिकर्ण का इंतजार ❤ से
ReplyDeleteधन्यवाद विजया दीदी .
Deleteआपलोग एक ही दिन में आना-जाना दोनो कर लिये ये बहुत बड़ी बात है। हमलोगों की तो हालत खराब हो गई थी जाने में और अगले दिन वापसी में भी।
ReplyDeleteधन्यवाद ॐ प्रकाश सिंह जी . स्वागत है .
Deleteबहुत अच्छे नरेश जी....अच्छा लगा आपका खीर गंगा ट्रेक की ये पोस्ट और चित्र लाजबाब लगे ....... हम लोग केवल मणिकर्ण तक गये है ..... खीर गंगा का पता हम लोगो को बाद में लगा था ....
ReplyDeleteधन्यवाद रितेश गुप्ता जी .
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