Thursday, 16 May 2019

Manikaran - Himachal

मणिकर्ण- MANIKARAN
खीर गंगा ट्रैक  से वापिस बरशैणी पहुँचते-2 शाम के 6 बज चुके थे । आज 20 किलोमीटर से ज्यादा आना – जाना हो गया था इसलिए हम सभी काफी थके हुए थे। एक दुकान में हल्का खाना-पीना किया और फिर अपनी गाड़ी में सवार हो मणिकर्ण की तरफ़ चल दिए । 

श्रीरघुनाथ मंदिर, नैना भगवती मंदिर और श्री राम मंदिर एक साथ
पहले के तय प्रोग्राम के हिसाब से आज हमें भुन्तर जाकर रुकना था ताकि सुबह लेट भी निकलें तो शाम तक आराम से अम्बाला पहुँच जाएँ ,लेकिन अब इसकी संभावना मुश्किल लग रही थी । एक तो सुबह ट्रैक शुरू करने में ही लेट हो गए, दूसरा अब थकावट की वजह से गाड़ी चलाने का भी मन नहीं था । बरशैणी से निकलते समय ही दिन ढलने लगा था और हमें मणिकर्ण पहुँचते-2 साढ़े सात बज चुके थे । मणिकर्ण में उसी होटल के बाहर गाड़ी लगा ली जहाँ हम कल रुके थे, कमरा भी वही मिल गया। कमरे पर आकर कुछ देर आराम किया । थकावट के कारण आज बाहर घूमने का मन नहीं था तो खाने के लिए होटल के सामने ही एक छोटे से ढाबे को खाना आर्डर कर दिया। थोड़ी देर बाद उसने खाना हमारे कमरे पर ही पहुँचा दिया। खाना खाकर हम सभी सो गए ।

अगले दिन सुबह फिर जल्दी से उठ गए । आज हमें मणिकर्ण घूमना था और फिर वापसी भी करनी थी। मणिकर्ण छोटी सी जगह है । एक कोने से दुसरे कोने तक जाने में 15 मिनट भी नहीं लगते । कल रात भी जब हम खाना खाने गए थे तो पूरे मणिकर्ण का एक चक्कर लगा आये थे । रात होने के कारण मार्किट पूरी बंद थी। अगले दिन सुबह खीरगंगा ट्रेक पर जाने से पहले भी दोबारा मार्किट एरिया में गए । श्री राम मंदिर और नैना भगवती मंदिर में तो गए लेकिन बाकि मंदिर और गुरूद्वारे न जा सके । ट्रैक पर निकलना था इसलिये एक चाय की दुकान से चाय पीकर वापिस आ गये और बरशैनी की तरफ निकल गए थे । आज सुबह उठकर हम नहाने का सामान साथ ले गए और सीधा श्री राम मंदिर चले गए । यहाँ भी नहाने के लिए गर्म पानी के कुंड बने हुए हैं । यहाँ पुरुषों और महिलाओं नहाने के लिए अलग से कुंड बने हुए हैं जिन्हें क्रमशः राम कुंड और सीता कुंड कहा जाता है।  काफी देर तक हम गर्म पानी के कुंड में पड़े रहे। कल की ट्रैकिंग की थकान के बाद आज गर्म पानी में नहाना हमें काफी राहत दे रहा था । नहाने के बाद मंदिर में गए । यहाँ मंदिर परिसर में भगवान श्री राम के मंदिर के अलावा भगवान शिव और हनुमान जी के मंदिर भी हैं। यात्रियों के रुकने के लिए धर्मशाला भी है । श्री राम मंदिर से बाहर आने के बाद नैना भगवती मंदिर , रघुनाथ मंदिर भी गये ।

मंदिरों में दर्शन के बाद हम सीधा गुरूद्वारे चले गए और वापसी में गुरूद्वारे के साथ ही बने शिव मंदिर भी हो आये । शिव मंदिर में भी एक गर्म पानी का स्रोत है। यह गर्म पानी शीतल जल वाली पार्वती नदी से कुछ दूरी पर ही है। इस में गर्म जल कहाँ से आता है, यह बात आज तक रहस्य बनी हुई है। शिव मंदिर के पास गर्म पानी के स्रोत में गुरुद्वारे का लंगर प्रसाद बनाने के लिए बडे-बडे गोल बर्तनों में चाय, दाल -चावल पकाए जाते हैं। चावल को बर्तन में रख कर इस यहां पर रख दिया जाता है तो कुछ ही मिनट में पक जाते हैं। पर्यटकों के लिए सफेद कपड़े की पोटलियों में चावल डालकर धागे से बांधकर बेचे जाते हैं। यहां का पानी इतना गर्म होता है कि कोई भी इसमें हाथ तक नहीं डाल सकता। इस स्रोत के जल को पार्वती नदी के पानी में मिला कर नहाने के लायक बनाया जाता है।

मंदिरों और गुरूद्वारे में दर्शन के बाद हम लोग होटल में अपने कमरे पर लौट आये और जल्दी से सामान पैक कर भुंतर की ओर निकल लिए । भुंतर पहुँच कर एक भोजनालय में आलू के परांठो का नाश्ता किया और फिर मंडी ,सुंदरनगर ,बिलासपुर और कीरतपुर होते हुए शाम 7 बजे तक अम्बाला पहुँच गए । 
   
मणिकर्ण का पौराणिक इतिहास:
हिमाचल का नाम देवभूमि यहां की प्राकृतिक सुंदरता और यहाँ मौजूद ढेरों मंदिर और तीर्थस्थलों के कारण पड़ा है ,जिनके पीछे तमाम पौराणिक मान्यताएं और जनश्रुतियां जुड़ी हुई हैं हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थों में से एक मणिकर्ण धार्मिक एकता का प्रतीक माना जाता है। यहां पर पार्वती नाम की एक नदी बहती है, जिसके एक ओर शिव मंदिर है तो दूसरी ओर गुरु नानक देव का ऐतहासिक गुरुद्वारा। नदी से जुड़े होने के कारण दोनों ही धार्मिक स्थलों का वातावरण बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ता है।

मणिकर्ण के उबलते पानी के सोते के पीछे भी एक पुरानी कहानी है कहते हैं कि मणिकर्ण में भगवान शिव और माता पार्वती ने 11 हजार वर्षों तक तपस्या की थी एक बार जब माँ पार्वती जल-क्रीड़ा कर रही थीं, तब उनके कानों में पहनी हुई एक दुर्लभ मणि पानी में गिर गई थी भगवान शिव ने अपने गणों को इस मणि को ढूंढने को कहा लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मणि नहीं मिली इस बात से होकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए  । आखिरकार पता चला कि वह मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास पहुंच गयी है। जब शेषनाग को भगवान शिव के गुस्से की जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अन्दर से गरम जल फूट पडा। गरम जल के साथ ही मणि भी निकल पडी। आज भी मणिकर्ण में जगह-जगह गरम जल के सोते हैं।
पार्वती नदी के इस ओर शिव मंदिर है और दूसरी ओर गुरुद्वारा। यहां का यह सुंदर दृश्य देखने लायक है। यहां पर आने वाले सभी भक्त चाहे वह हिंदू हो या सिख दोनों ही जगह से दर्शनों का लाभ लेते हैं।

यहाँ का सबसे प्राचीन मंदिर श्रीरघुनाथ मंदिर है। कहा जाता है कि कुल्लू के राजा ने अयोध्या से भगवान राम की मू्र्ति लाकर यहां स्थापित की थी। यहां शिवजी का भी एक पुराना मंदिर है। इस स्थान की विशेषता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुल्लू घाटी के अधिकतर देवता समय-समय पर अपनी सवारी के साथ यहां आते रहते हैं।

मणिकर्ण गुरुद्वारा की कहानी
हिमाचल के मणिकर्ण का यह गुरुद्वारा बहुत ही प्रख्यात स्थल है। ज्ञानी ज्ञान सिंह लिखित त्वरीक गुरु खालसामें यह वर्णन है कि गुरुनानक देव अपने 5 चेलों संग मणिकर्ण आये थे। गुरुनानक ने अपने एक चेले भाई मर्दानाको लंगर बनाने के लिए कुछ दाल और आटा मांग कर लाने के लिए कहा। फिर गुरुनानक ने भाई मर्दाने को जहां वो बैठे थे, वहां से कोई भी पत्थर उठाने के लिए कहा। जब उन्होंने पत्थर उठाया तो वही से गर्म पानी का स्रोत बहना शुरू हो गया। यह स्रोत अब भी कायम है और इसके गर्म पानी का इस्तमाल लंगर बनाने में होता है। कई श्रद्धालु इस पानी को पीते और इसमें डुबकी लगाते हैं। गुरूद्वारे में यात्रियों के रुकने के लिए 300 से अधिक कमरे बने हुए हैं  

शिव मंदिर 

शिव मंदिर और गुरुद्वारा 

होटल से दिखता मणिकर्ण 

होटल से दिखता मणिकर्ण 

होटल से दिखता मणिकर्ण 

होटल से दिखता मंदिर और गुरुद्वारा 



पार्वती नदी 



बस स्टैंड की तरफ 


पार्वती नदी 

पार्वती नदी 

मंदिर के सामने रखी पालकी 

मेरे साथी 









माँ नैना भगवती 



शिव मंदिर में शिव परिवार 

नंदी महाराज 

गर्म पानी के कुंड से उठती भाप 

गर्म पानी के कुंड में पक रहा भोजन 

शिव मंदिर 


रघुनाथ मंदिर 

भुंतर में पार्वती नदी 

संगम -ब्यास और पार्वती नदी का 


ब्यास नदी 


25 comments:

  1. आनन्द आ गया सहगल साहब, एक बार फिर यादें ताज़ा कर दी आपने । बढ़िया सजीव वर्णन, सजीव चित्रों सहित ।

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    1. धन्यवाद कौशिक जी .संवाद बनाये रखिये .

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  2. शानदार लेखन ,जल्दी ही भगवान और गुरुजी बुलाने वाले है

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    1. धन्यवाद बुआ जी .आपकी यात्रा मंगलमय हो .

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  3. Sangeeta BalodiMay 17, 2019 12:28 pm

    वाह भाई मजा आ गया पढ़ कर माता पार्वती ओर भगवान शिव की कहानी,आज तुमारे ब्लॉग को पढ़कर ही पता चला कि इस जगह का नाम क्यों पड़ा !!

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    1. धन्यवाद संगीता दीदी .

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  4. बहुत बढ़िया जानकारी दी है,फोटोज भी जबदस्त हैं

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    1. धन्यवाद माही मान जी . ब्लॉग पर आपका स्वागत है .

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  5. आभार शास्त्री जी .

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  6. Nice informative post with beautiful pictures.

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    1. thanks Mr. Rajeev Kumar jee for your encouraging words.

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  7. wow , beautiful pictures with supporting narrations

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  8. बढ़िया पोस्ट ... मणिकर्ण छोटा जरूर हैं पर जगह बेहद शानदार है .. गुरुद्वारा, मन्दिर, गर्म पानी के कुंड और पार्वती नदी आकर्षित करती है । चित्र अच्छे लगे

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    1. धन्यवाद रितेश गुप्ता जी .आपने सही कहा बेशक मणिकर्ण छोटा हैं लेकिन यहाँ देखने को काफी कुछ है .

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  9. Bahut hi sundar naresh bhai, hamari bhi yadein yade Kara di......

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  10. बढ़िया लिखते हो, आज ही आपकी कुछ यात्राएँ पढ़ीं।
    मोहन बिश्नोई

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    1. धन्यवाद मोहन बिश्नोई जी

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  11. मणिकर्ण ��

    मैं कई धार्मिक स्थानों पर गया हूँ लेकिन ये वो देवस्थान है जिसने मुझे सबसे ज्यादा भक्ति में भावविभोर किया।
    बाकी धार्मिक जगहों पर दुर्व्यवहार और अव्यवस्था के चलते श्रद्धा- भक्ति कम खिन्नता जादा उत्पन्न होती है।

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  12. बहुत खूब सहगल साब ! वो वाला मंदिर बहुत पसंद आया जिसमें भगवन शिव , श्री राम की तसवीरें दीवार पर उकेरी गयी हैं और जो हिमाचली स्थापत्य कला में बना हुआ है ! सुन्दर जगह है होटल मिलने में परेशानी तो नहीं होती ?

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  13. मणिकर्ण बहुत छोटा सा था जब में गया था नदी पर बने दो पुल के बीच ही था अब तो काफी बड़ा सा दिख रहा है।
    आपने अच्छी जानकारी दी।

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  14. Thanks for sharing amazing blog. It is really interesting article. Waiting for more information to update soon. To Know More details about our Travel services: Winmaxi Holidays & Travels is one of the best travel services in Coimbatore.

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