उत्तराखंड यात्रा : कालीमठ ( Kalimath Temple )
पिछले पार्ट से आगे
ओम्कारेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद हम कुंड होते हुए गुप्तकाशी की तरफ चल पड़े
। उखीमठ से आगे सड़क की हालत ख़राब है । कुंड में मन्दाकिनी नदी का पुल पार करके
गुप्तकाशी की तरफ मुड़ने के बाद सड़क की हालत बद से बदतर होती चली गयी । धीरे -२ चलते
हुए हम गुप्तकाशी के उस तिराहे पर पहुँच गए जहाँ से कालीमठ का रास्ता अलग हो रहा
था । इस तिराहे से कालीमठ मात्र 9 किलोमीटर दूर है और त्रियुगी नारायण लगभग 40
किमी दूर । यहाँ एक चाय की दुकान पर गाड़ी रोक चाय का आर्डर दिया और हम आगे के
प्रोग्राम पर चर्चा करने लगे । सड़क की हालत देखकर इतना तो तय था की यदि हम
त्रियुगी नारायण जाते हैं तो आने जाने में कम से कम 3 घंटे लगने थे ।इस समय साढ़े
तीन बज रहे थे। कालीमठ आने जाने में अलग समय लगना था और हमें शाम तक श्रीनगर भी
पहुँचना था । सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए त्रियुगी नारायण जाने का
प्रोग्राम स्थगित किया गया । चाय पीकर हम कालीमठ की तरफ चल दिए ।
माँ काली मंदिर |