Wednesday, 28 February 2018

Uttrakhand Yatra : Kalimath

उत्तराखंड यात्रा : कालीमठ ( Kalimath Temple )

ओम्कारेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद हम कुंड होते हुए गुप्तकाशी की तरफ चल पड़े । उखीमठ से आगे सड़क की हालत ख़राब है । कुंड में मन्दाकिनी नदी का पुल पार करके गुप्तकाशी की तरफ मुड़ने के बाद सड़क की हालत बद से बदतर होती चली गयी । धीरे -२ चलते हुए हम गुप्तकाशी के उस तिराहे पर पहुँच गए जहाँ से कालीमठ का रास्ता अलग हो रहा था । इस तिराहे से कालीमठ मात्र 9 किलोमीटर दूर है और त्रियुगी नारायण लगभग 40 किमी दूर । यहाँ एक चाय की दुकान पर गाड़ी रोक चाय का आर्डर दिया और हम आगे के प्रोग्राम पर चर्चा करने लगे । सड़क की हालत देखकर इतना तो तय था की यदि हम त्रियुगी नारायण जाते हैं तो आने जाने में कम से कम 3 घंटे लगने थे ।इस समय साढ़े तीन बज रहे थे। कालीमठ आने जाने में अलग समय लगना था और हमें शाम तक श्रीनगर भी पहुँचना था । सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए त्रियुगी नारायण जाने का प्रोग्राम स्थगित किया गया । चाय पीकर हम कालीमठ की तरफ चल दिए ।

माँ काली मंदिर

Friday, 23 February 2018

Uttrakhand Yatra : Chopta and Omkareshwar temple, Ukhimath

उत्तराखंड यात्रा : मंडल –चोपता – ओम्कारेश्वर मंदिर , उखीमठ


पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मंडल पहुँचकर मैं, गौरव और सागर के साथ शेयर्ड जीप में बैठकर सगर चला गया । वहां पहुँचकर गौरव और सागर ने अपना सामान गाड़ी से लिया और अपनी बाइक से गोपेश्वर होते हुए अपने घर गाजियाबाद को निकल गए। उन्हें आज रात घर पर पहुंचना था ताकि कल सुबह वो अपने ऑफिस जा सके । मैं अपनी कार लेकर मंडल वापिस आ गया । अब आगे .........

जब मैं मंडल आकर होटल के कमरे में पहुँचा ,तब तक सुखविंदर और सुशील नहा कर तैयार हो चुके थे। मैं भी जल्दी से तैयार हो गया और फिर सब अपना सामान लेकर नाश्ते के लिए होटल वाले के ढाबे पर आ गये। उसे हरी मिर्च डालकर आलू के परांठे बनाने को बोल दिया । आज सुशील बहुत खुश था उसे कई दिनों बाद हरी मिर्च खाने को मिलने वाली थी । ढाबे वाले ने भी बढ़िया स्वादिष्ट परांठे बनाये ; लग ही नहीं रहा था हम उत्तराखंड में किसी ढाबे पर नाश्ता कर रहे हैं । ऐसे लग रहा था जैसे हम किसी पंजाब के ढाबे पर तंदूरी परांठे खा रहे हों । इस टूर का सबसे बढ़िया खाना यहीं खाया ।


Friday, 9 February 2018

Uttrakhand Yatra :Anusuya Devi Temple

रुद्रनाथ यात्रा : अनसूया माता मंदिर से मंडल

कंडिया बुग्याल में खाने पीने में ही 40-45 मिनट लग गए; इस समय शाम के 6:30 हो चुके थे और हल्का अंधेरा होना शुरू हो गया था। छानी वाले की इच्छा थी की हम रात को उसके पास ही रुक जाएँ। हमने आपस में विचार विमर्श किया तो सभी की सलाह थी कि आगे चलते हैं, बाबा जी भी पहले से ही तैयार थे। बस फिर क्या था सबने अपने अपने बैग उठाएं और अनसूया मंदिर की तरफ चल दिए। कंडिया बुग्याल (2346 मीटर) से अमृत गंगा नदी (2020 मीटर) तक नीचे 2 किलोमीटर की तीखी उतराई है।

अमृत गंगा

Monday, 5 February 2018

Rudranath Yatra : Rudranath Temple to Kandiya Bugyal


रुद्रनाथ यात्रा : रुद्रनाथ से कंडिया बुग्याल


रुद्रनाथ मंदिर (3590 मीटर) में भगवान शंकर के एकानन रूप में यानि मुख की पूजा की जाती है, जबकि पंचानन रूप में संपूर्ण शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ में की जाती है। यहाँ विशाल प्राकृतिक गुफा में बने मंदिर में शिव की दुर्लभ पाषाण मूर्ति है। यहाँ शिवजी गर्दन टेढे किए हुए हैं। मंदिर के अन्दर ही शिव-परिवार, सेषासन पर लेटे हुये विष्णु जी आदि कई दुर्लभ प्रतिमायें रखी हुई हैं। रुद्रनाथ के कपाट, परंपरा के अनुसार खुलते-बंद होते हैं। ठण्ड के मौसम में छह माह के लिए रुद्रनाथ जी गद्दी गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में लाई जाती है, जहां पर ठण्ड के मौसम के दौरान नीलकंठ महादेव जी की पूजा होती है।

माँ नंदा देवी 

Thursday, 1 February 2018

Rudranath Yatra : Panar to Rudranath Temple

                                       
रात को हम जल्दी सो गये थे तो सुबह आँख भी जल्दी खुल गयी, लेकिन बाहर ठण्ड बहुत थी तो इसीलिए चुपचाप रज़ाई में दुबके रहे । जिस जगह मैँ सोया हुआ था उसके पास ही एक खिड़की थी जिसके पल्लों के सुराख में से ठंडी हवा अंदर आ रही थी । उसी सुराख से बाहर पूरा अँधेरा भी दिख रहा था । मैं थोड़ी रोशनी के इंतजार में था ताकि उठकर बाहर बुग्याल में घूम सकूँ । लगभग 5:30 बजे जब बाहर हल्की रोशनी हो गयी तो मैं उठकर कमरे से बाहर आ गया ,बाकी अभी सब सो रहे थे । बाहर का दृश्य बड़ा मनमोहक था । कल शाम को बादल होने से हम कोई भी चोटी नही देख पाए थे लेकिन इस समय सभी चोटियाँ दिख रही थी। मैँ दोबारा कमरे में गया और अपना कैमरा उठा लाया लेकिन अभी रोशनी पर्याप्त न होने के कारण फ़ोटो साफ नही आ रही थी ।

गोल्डन चौखम्बा