कांची कामाक्षी अम्मान मंदिर - Sri Kanchi Kamakshi Amman Temple
एकम्बरनाथर
मंदिर में दर्शन के बाद हम एक ऑटो रिक्शा से कामाक्षी अम्मान मंदिर पहुँच गए। मंदिर अब तक खुल चूका था और दर्शन के लिए काफी
लोग भी जमा हो चुके थे । हम भी जल्दी से दर्शनों के लिए कामाक्षी अम्मान मंदिर में
प्रवेश कर गए । मंदिर बाहर से भी सुन्दर दिखता है और अन्दर से बहुत भव्य बना हुआ
है । इसकी भव्यता और साफ़ सफ़ाई से मालूम हो रहा था कि यह कांचीपुरम का एक समृद्ध
मंदिर है। मंदिर के अन्दर दर्शनों के लिए लाइन लगी हुई थी और बिना समय गवाएँ हम भी
लाइन में लग गए और थोड़ी देर बाद दर्शन के बाद मंदिर से वापिस बाहर आ गए। अब तक शाम
के साढ़े चार बज चुके थे। आज ही हमें कांचीपुरम से 40 किलोमीटर दूर चिन्गालपट्टू रेलवे
स्टेशन से शाम 6:50 पर रामेश्वरम के लिए ट्रेन पकड़नी थी इसलिए बिना समय गवाएँ हम
ऑटो से बस स्टैंड चले गए। वहाँ पहुंचकर रेस्टोरेंट से अपना सामान लिया और चिन्गालपट्टू
जाने के लिए बस पकड़ ली ।
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
आज हमारा कांचीपुरम के चार मंदिरों में दर्शन करने / देखने का प्रोग्राम था
लेकिन हम सिर्फ वरदराज पेरूमल मंदिर , एकम्बरनाथर मंदिर और कामाक्षी अम्मान मंदिर
ही देख पाये । समय अभाव के कारण कैलाशनाथार मंदिर नहीं जा पाए। कैलाशनाथार मंदिर कांचीपुरम
शहर के पश्चिम दिशा में स्थित कांचीपुरम का सबसे प्राचीन और दक्षिण भारत के सबसे
शानदार मंदिरों में से एक है। इसके बारे में कुछ जानकारी इन्टरनेट से लेकर नीचे दी
है । यदि आप कभी कांचीपुरम जाएँ तो यहाँ भी अवश्य जाएँ । इन चार मंदिरों के अलावा कांचीपुरम
का वैकुंठ पेरूमल मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है । समय हो तो यहाँ भी जाना चाहिए ।
कांचीपुरम को ठीक से देखने के लिए कम से कम पूरा एक दिन चाहिए।
तमिलनाडु की बस सर्विस काफी ढीली है । यहाँ रफ़्तार नाम की कोई चीज नहीं है, न
ही किसी को कोई जल्दी । इनके चलने की औसत गति 30 के आसपास ही रहती है । आज सुबह
तिरुपति से कांचीपुरम (110 किमी) आने में ही लगभग 4 घंटे लग गए थे। इसलिए मन में
कुछ डर भी था कि समय रहते चिन्गालपट्टू पहुँच पाएंगे या नहीं ? लेकिन अभी ट्रेन
छूटने में लगभग दो घंटे थे और दुरी मात्र 40 किलोमीटर थी तो लग रहा था कि आराम से
पहुँच जायेंगे । बस काफी धीमे चल रही थी और रास्ते में पड़ने वाले लगभग हर गाँव में
रुक भी रही थी । शुरू के 30 किलोमीटर में ही जब ढेड़ घंटा लग गया तो मुझे काफी
चिंता होने लगी । क्यूंकि यदि यह ट्रेन छुट गयी तो इसके बाद यहाँ से दुसरी कोई
ट्रेन भी नहीं थी। मैंने ड्राईवर से बात की उसे समझाया की मैंने चिन्गालपट्टू से शाम
6:50 पर रामेश्वरम के लिए ट्रेन पकड़नी है ,जल्दी करो । उसने जबाब में सिर हिला
दिया और बोला बस दो जगह और रुकेगा । मेरे दिल की धडकने बढ़ी हुई थी और ड्राईवर आराम
से बस चला रहा था । लेकिन मेरे कहने का फायदा यह हुआ कि जब चिन्गालपट्टू आया तो
उसने हमें रेलवे स्टेशन के एकदम सामने उतार दिया । गाड़ी के आने का समय हो चूका था ।
रेलवे स्टेशन सड़क से मात्र 100-150 मीटर दूर ही था । जल्दी से जब हम प्लेटफ़ॉर्म पर
पहुँचे तो गाड़ी की उद्घोषणा हो रही थी। कुछ ही मिनट बाद ट्रेन भी आ गयी और हमने
अपनी सीट पर पहुँचकर चैन की साँस ली । यदि पाँच मिनट भी लेट हो जाते तो आज ट्रेन न
मिलती। वैसे इस टूर की ये हमारी आखिरी बस यात्रा थी आगे का सारा सफ़र ट्रेन से ही
था ।
अब थोड़ी जानकारी कामाक्षी अम्मान मंदिर के बारे में :
कामाक्षी अम्मान मंदिर : तमिलनाडु में स्थित कांचीपुरम को मंदिरों का शहर कहा जाता
है। यह शहर दक्षिण भारत की काशी के नाम से भी मशहूर है । शहर के हजारों मंदिरों
में से कामाक्षी अम्मान मंदिर सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह मंदिर देवी सती के प्रमुख शक्तिपीठ में से एक है। कामाक्षी
मन्दिर कामाक्षी देवी को समर्पित है जिन्हें माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इस मंदिर में त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमूर्ति
देवी कामाक्षी पद्मासन अवस्था में बैठी दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर देख रही हैं। उनके
नेत्र विशाल एवं बेहद खूबसूरत हैं । उनके आसपास बहुत शान्त और स्थिर वातावरण है। यह
मन्दिर मदुरई के मीनाक्षी मन्दिर और तिरुवनैकवल के अकिलन्देश्वरी मंदिर के साथ तमिलनाडु
में देवी पार्वती का मुख्य मन्दिर है।
कांचीपुरम के शिवकांची में स्थित इस मंदिर को लगभग छठी शताब्दी में पल्लव वंश
के शासकों द्वारा निर्मित कराया गया था। 14 वीं और 17वीं शताब्दी में इस मंदिर का
पुनरोद्धार करवाया गया था। मंदिर के कुछ
हिस्से प्राचीन अवस्था में हैं, तो कई हिस्सों का
पुनः निर्मित कराया गया है । काँचीपुरम के सभी शासकों ने भरपूर प्रयास किया कि
मन्दिर अपने मूल स्वरूप में बना रहे। कहा जाता है कि कामाक्षी देवी मंदिर में आदि
शंकराचार्य की काफी आस्था थी। उन्होंने यहां श्रीचक्र बनवाया। मंदिर परिसर में
गायत्री मंडपम भी है। परिसर में ही अन्नपूर्णा और शारदा देवी के मंदिर भी हैं। माँ
कामाक्षी के भव्य मंदिर में भगवती पार्वती का श्रीविग्रह है, जिसे कामाक्षीदेवी या कामकोटि भी कहते हैं। यहाँ
माँ तीन रूप में विराजमान हैं ,पहला रूप कामाक्षी देवी, दूसरा श्रीचक्रम और तीसरा श्री Bilahasam रूप में है ।
कामाक्षी अम्मान मंदिर करीब पाँच एकड़
क्षेत्र में फैला हुआ है और यह मंदिर शहर के बीचों बीच स्थित है; इसके अलग अलग दिशा में चार प्रवेश द्वार हैं । मुख्य द्वार पर एक तरफ काल भैरव और दूसरी और
महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति लगी है । सामने ही सवर्ण
रंग की एक बड़ी सी ध्वजा स्तम्भ हैं । मंदिर परिसर केमध्य एक बड़ा सा तालाब भी है । मंदिर
परिसर के अंदर चाहरदीवारी के चारों कोनों पर निर्माण कार्य है। एक कोने पर कमरे
बने हैं तो दूसरे पर भोजनशाला का निर्माण करवाया गया है। इसी तरह तीसरे पर हाथी
स्टैंड और चौथे पर विद्यालय बना है।
कैसे पहुंचे – मंदिर कांचीपुरम बस स्टैंड से 1 किलोमीटर और कांचीपुरम
रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दूर है। यहाँ से वरदराज पेरूमल मंदिर 4 किलोमीटर ,
एकम्बरनाथर मंदिर 1 किलोमीटर और कैलाशनाथार मंदिर लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर है।
दर्शन समय - प्रात: 5:30 से दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक।
ब्रह्मोत्सव और नवरात्रि पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है।
कैलाशनाथार मंदिर : "कांचीपुरम शहर के पश्चिम दिशा में स्थित कैलाशनाथार मंदिर कांचीपुरम का
सबसे प्राचीन और दक्षिण भारत के सबसे शानदार मंदिरों में से एक है। 8वीं शताब्दी में पल्लव वंश के राजा नरसिंह वर्मन द्वितीय ने अपनी पत्नी के लिए
कैलाशनाथार मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर के अग्रभाग का निर्माण राजा के
पुत्र महेन्द्र वर्मन द्वितीय ने करवाया था। कैलाशनाथार मंदिर का कार्य नरसिंह
वर्मन द्वितीय के समय में प्रारम्भ हुआ तथा महेन्द्र वर्मन द्वितीय के समय में
इसकी रचना पूर्ण हुई। इस मंदिर में शिव
और पार्वती की नृत्य प्रतियोगिता को दर्शाया गया है। ‘कैलाशनाथ मंदिर’ भारत की नायाब
धरोहरों में से एक है। इसका इतिहास सदियों पुराना रहा है। इसमें नक्काशी के कामों
पर विशेष ध्यान दिया गया। इस कारण ‘इस मंदिर’ को भारत का पहला ढांचागत मंदिर माना जाता है। कैलाशनाथ
मंदिर की वास्तुकला को प्राचीन भारत की सबसे बेहतरीन वास्तुकला का नमूना बाताया
जाता है। इसकी डिजाइन में प्राचीन ‘द्रविड़ स्थापत्य
शैली‘ का इस्तेमाल किया गया है। वहीं मंदिर की नींव
को ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है। यही कारण है कि आज हजारों सालों के बाद भी
इसमें कोई भी कमी नहीं आई है। यह आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है।"
अगली पोस्ट में आपको रामेश्वरम
धाम /ज्योतिर्लिंग लेकर चलेंगे, तब तक आप यहाँ की कुछ तस्वीरें देखिये ।
इस यात्रा के पिछले भाग
पढ़ने के लिए नीचे लिंक उपलब्ध हैं ।
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पूर्वी द्वार -मुख्य द्वार |
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गोपुरम पर बनी मूर्तियाँ |
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कार्तिक अपने वाहन पर |
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उतरी द्वार |
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पश्चिम द्वार |
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मंदिर तालाब |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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ध्वजा स्तम्भ |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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कामाक्षी अम्मान मंदिर |
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पूर्वी गोपुरम ( द्वार ) |
कैलाशनाथार मंदिर -चित्र विकी कॉमन्स से
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कैलाशनाथार मंदिर -चित्र विकी कॉमन्स से
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कैलाशनाथार मंदिर -चित्र विकी कॉमन्स से |
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बहुत सुंदर पोस्ट. . मनदिर की नक्काशी व कलाकृति बहुत ही खूबसूरत लग रही है।
ReplyDeleteधन्यवाद त्यागी जी .
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-05-2018) को "अक्षर बड़े अनूप" (चर्चा अंक-2981) (चर्चा अंक 2731) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी .
DeleteAs usual , very well written post with beautiful pictures .The carvings of all the temples of south India are worth seeing.
ReplyDeletethanks dear.
Deleteशानदार तस्वीरों के माध्यम से सजीव वर्णन . कांचीपुरम अच्छी तरह घूमा दिया आपने .अब रामेश्वरम चलते हैं आपके साथ
ReplyDeleteधन्यवाद संजीव जी .ब्लॉग पर आने के लिए बहुत धन्यवाद .
Deleteनरेश जी,अत्यंत सुंदर फ़ोटो और वर्णन । दक्षिण भारत अपने आप में अनूठा हैं और मुझे बहुत प्रिय है । जल्दी ही जाउंगी कांचीपुरम । बधाई आपको इस खूबसूरत पोस्ट के लिए ।
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिमा जी . आप भी कांचीपुरम जरूर जाएँ और वो मंदिर भी देखें जो हम न देख पाए .
Deleteबोहत ही सराहनीय लेख.
ReplyDeleteधन्यवाद चारू जी .
Deleteशानदार तस्वीरें .एक से बढकर एक . कामाक्षी अम्मान मंदिर की बहतर जानकारी दी है आपने .
ReplyDeleteसाधुवाद .
बहुत -2 धन्यवाद राज कुमार जी .
Deleteबस की रफ्तार औए डेढ़ घंटे में 30 km जाने पर थोड़ी धड़कन बढ़ गयी होगी आपकी....कांचीपुरम के मंदिरों में आपके साथ घूमकर अच्छा लगा...
ReplyDeleteसही कहा प्रतीक भाई ,बस के धीरे चलने से धडकन थोड़ी नहीं बहुत बढ़ गयी थी . टिप्पणी के साथ लगातार उत्साहवर्धन करने के लिए धन्यवाद ..
Deleteसहगल साब जो भी आपका ब्लॉग पढ़कर वहां जाएगा मुझे पूरा भरोसा है कि उसे रास्तों और खाने -पीने की दिक्कत तो नहीं आने वाली !! ब्लॉग लिखना सिर्फ कला या शौक नहीं बल्कि परोपकार का काम भी है
ReplyDeleteधन्यवाद योगी भाई .अब आप बड़े ब्लागर हैं आप जो कह रहें तो ठीक ही होगा, मान लेते हैं ;)
DeleteNICE POST.
ReplyDeleteधन्यवाद फ्रेड .
DeleteNice Post and beautiful pictures. The Temple seems to be very beautiful.
ReplyDeletethanks Ajay..
ReplyDeleteसुंदर फ़ोटो और वर्णन
ReplyDeletethanks Mr. Unknown
Delete