सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर ( Somnath Jyotirling Temple )
पिछली पोस्ट में आप पढ़ चुके हैं कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद हम
गोपी तालाब और भेट द्वारका गए ।वहाँ से दोपहर तक वापिस द्वारका लौट आये और शाम को
द्वारका के स्थानीय मंदिरों में दर्शन किये और फिर रात की ट्रेन से सोमनाथ के लिए
रवाना हो गए। अब उससे आगे ....
द्वारका से सोमनाथ के लिए एक ही ट्रेन है जो द्वारका से रात 8:30 चल कर अगले
दिन सुबह 5:00 बजे सोमनाथ पहुँच जाती है । सोमनाथ इस रूट पर आखिरी रेलवे स्टेशन है
। हमारी ट्रेन समय से पहले ही सोमनाथ पहुँच गयी थी । बाहर अभी दिन का उजाला नहीं
हुआ था, थोडा अँधेरा ही था । वैसे भी भारत के धुर पश्चिमी किनारे पर होने के कारण यहाँ
सूर्योदय लेट ही होता है । सोमनाथ स्टेशन के पूरे प्लेटफ़ॉर्म पर मछली से भरे हुए
बड़े बड़े डिब्बे पड़े हुए थे । जिसके कारण रेलवे स्टेशन पर मछली की जबरदस्त दुर्गंध
थी। हम जल्दी से स्टेशन से बाहर निकले और हमें कई गेस्ट हाउस वालों ने ‘कमरा चाहिए
–कमरा चाहिए ‘ कहते हुए घेर लिया। बड़ी मुश्किल से उनसे पीछा छुड़ाया । एक पंडित जी
भी अपनी बाइक पर घूमते हुए अपना कमरा देने के लिए ग्राहक खोज रहे थे, अब वो चिपक
गए । बोले कमरा देख लो ,पसंद आये तो लेना , नहीं तो मत लेना । हमने एक रिक्सा किया
और उस पंडित के पीछे पीछे उसके घर पहुँच गए । उसने अपने घर के ही दो कमरे यात्रियों
के लिए छोड़े हुए थे । कमरा ठीक ठाक था । ज्यादा अच्छा भी नहीं और बुरा भी नहीं । कमरा
मंदिर के काफी नजदीक था और हमें शाम तक ही चाहिए था इसलिए हमने वही पसंद कर लिया।
किराया भी शायद 400 रूपये था ।
सोमनाथ मंदिर |