Thursday 25 January 2018

Rudranath Yatra : Chamoli to Pung Bugyal


रुद्रनाथ यात्रा : चमोली से पुंग बुग्याल

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कल्पेशवर मंदिर के दर्शन के बाद हम चमोली की ओंर चल दिए और रास्ते में गरुड़ चट्टी में एक होटल में रात्रि विश्राम के लिए रुक गए। अब उससे आगे ...

अगले दिन सुबह 5 से पहले ही सब उठ गए । हमारे कमरे में एक ही  टॉयलेट था और तैयार सबको होना था तो कल सुबह की तरह यहाँ भी आसपास मुआयना किया तो पाया कि होटल के कई कमरे खुले थे और खाली भी थे ,बस फिर क्या था वहाँ भी कब्ज़ा कर लिया और जल्दी से सभी तैयार हो कर नीचे गाड़ी पर पहुँच गए । नीचे ढाबा अभी बंद था और हमे रात के खाने की पेमेंट करनी थी । मालिक की खोजबीन शुरू की लेकिन उसका मालूम ही नहीं था वो कहाँ सोया हुआ है , बिना पेमेंट दिए हम जाना नहीं चाहते थे , ढाबे के सामने ही एक चाय की दुकान थी जो इस दौरान खुल चुकी थी । वहां हमने चाय का आर्डर दिया ,जब तक चाय बनकर आती, ढाबे वाले का पता चल गया था ,उसे कमरे पर जाकर उठाया और रात के खाने के पैसे दिये । रात को ज्यादा पी लेने से वो उठ ही नही रहा था। चाय के साथ गुड डे बिस्कुट का सेवन कर हम चमोली की तरफ़ चल दिए ।

 


कार में पेट्रोल लगभग ख़तम हो चूका था, चाय वाले ने बताया कि गरुड़ चट्टी से लेकर चमोली तक कोई भी पेट्रोल पंप नहीं है ,आपको पेट्रोल चमोली में ही मिलेगा । हम चमोली की तरफ चल दिए , चमोली शहर से थोड़ा पहले ही एक पेट्रोल पंप मिला, वहाँ पहुँच कर मालूम हुआ कि ये सात बजे खुलेगा ,लेकिन सात तो बज चुके थे फिर भी पेट्रोल डालने वाला वहाँ कोई नहीं था, वहाँ कुछ बच्चे ही थे । थोड़ी देर वहाँ इंतजार करने के बाद भी जब कोई नहीं आया तो हम आगे शहर की और चल दिए और वहाँ एक टैक्सी ड्राईवर से पेट्रोल पंप के बारे में पूछा तो उसने बताया की यहाँ सिर्फ एक ही पेट्रोल पंप है ,वही - जहाँ से हम आ रहे थे , दूसरा पेट्रोल पम्प गोपेश्वर में है और उसके बाद उखीमठ में । हमें बड़ी हैरानी हुई की जिला मुख्यालय,बड़ा शहर  और राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने के बावजूद चमोली में एक ही पेट्रोल पंप है । इसी कारण इनकी मोनोपोली बनी हुई है। अपनी मर्ज़ी से खोलतें हैं और मर्ज़ी से तेल डालते हैं।

गोपेश्वर के लिए चमोली से रास्ता अलग हो जाता है जो आगे सगर ,मंडल ,चोपता होते हुए उखीमठ पहुँचता है और वहां से बाएं टर्न लेकर रुद्रप्रयाग में बद्रीनाथ वाले मुख्य मार्ग में मिल जाता है । काफी समय से मेरी बड़ी इच्छा थी कि इस रास्ते पर ड्राइव करते हुए एक तरफ से जाकर दूसरी तरफ से आने की .ये इच्छा पूरी होने की आज शुरुआत होने वाली थी. चमोली से गोपेश्वर 10 किमी दूर है, उससे 5 कि.मी. आगे सगर गाँव और उससे भी 10 कि.मी. आगे मंडल गाँव । इन दोनों गाँवों से आप रुद्रनाथ ट्रेक शुरू कर सकते हैं । हमें अपने प्लान के अनुसार सगर गाँव से चढ़ाई करनी थी और मंडल की तरफ से वापसी ,ताकि दोनों रास्ते देख सकें और वापसी में अनसूया माता के मंदिर भी जा सकें । चमोली से चलकर थोड़ी ही देर बाद हम गोपेश्वर पहुँच गए । एक छोटा सा पेट्रोल पम्प है, वहाँ से गाड़ी की टंकी फुल करवाई और निश्चिन्त होकर सगर की और चल दिए । सगर पहुँचकर एक भोजनालय पर नाश्ते के लिए रुक गए । साइड में गाड़ी पार्क कर जैसे ही हम खाने के लिए भोजनालय की तरफ़ गए वहाँ हमें नरेश चौधरी, अमित लवानिया और उनके कुछ दोस्त मिल गए । सभी एक दुसरे से गर्म जोशी से मिले ,लग ही नहीं रहा था कि हमारी पहली मुलाकात थी । इससे पहले सिर्फ मैं और नरेश चौधरी एक बार ओरछा में मिले थे ,बाकि सब की आपस में यह पहली मुलाकात थी।

जिन दिनों हम इस यात्रा पर निकले थे ,उन्ही दिनों नरेश चौधरी, अमित लवानिया और उनके कुछ दोस्त भी कल्पेश्वर होते हुए रुद्रनाथ जाने का प्लान बना कर निकले थे । इन्ही दिनों एक अन्य मित्र मनु त्यागी भी अपने एक साथी के साथ कल्पेश्वर से रुद्रनाथ जा रहे थे । डाक्टर अजय त्यागी जी भी अपनी बाइक पर अपनी पत्नी के साथ (हमें तो ये ही बताया था ;)) उत्तराखंड के इसी हिस्से में घुमक्कड़ी पर थे। सबको सबके प्रोग्राम का पता था इसलिए नरेश चौधरी ने इस यात्रा के दौरान एक अस्थायी व्हाट्स अप्प ग्रुप बनाकर सबको ऐड कर लिया था ताकि यात्रा के दौरान हम सब एक दुसरे के सम्पर्क में रहें । ग्रुप से ही मुझे मालूम हुआ था कि नरेश चौधरी और उनके साथी कल्पेश्वर के बाद बद्रीनाथ चले गए हैं । उनके आगे के प्रोग्राम का मालूम नहीं था। अब जब तीन अलग अलग ग्रुप रुद्रनाथ जा रहे थे, यह तो तय था कि आपस में कहीं तो मुलाकात होगी ,कहाँ और कब होगी इसका ही सस्पेंस था । अब यहाँ उन्हें अचानक देखकर सुखद आश्चर्य हुआ । मेल-मिलाप के बाद मालूम हुआ की अब वो रुद्रनाथ न जाकर तुंगनाथ जायेंगे ,ये सभी लोग बाइक पर थे। बाद में मालूम हुआ कि मनु त्यागी भी किसी कारण से रुद्रनाथ नहीं गए ।

मेल मिलाप के बाद सेल्फी की जरूरी औपचारिकता भी निपटाई और फिर नरेश चौधरी और उनके साथी चोपता –तुंगनाथ की तरफ चले गए और हम खाना खाने के लिए भोजनालय में । भोजनालय के साथ ही होटल भी है ,शायद ‘हरियाली’ नाम था इसका , 3-4 कमरे भी बने हुए थे रुकने के लिए। देखने में ठीक ठाक है लेकिन बड़ी बेकार और धीमी सर्विस। आलू के परांठे भी कागज़ी !!!! एकदम पतले , बेस्वाद दही और सुपर घटिया चाय । एक परांठा आने के बाद अगला परांठा पाँच मिनट बाद, परांठे बनाते -2 बीच में ही उसका शायद आटा भी खतम हो गया । एक तो खाना बेस्वाद और ऊपर से यहाँ भी सुशील को हरी मिर्च नहीं मिली । सुशील कहने लगा ...यार कहाँ ले आये ? तीन दिन से हरी मिर्च नहीं मिल रही खाने को, मुंह का स्वाद ही ख़राब हो गया है । आधा अधूरा नाश्ता करके ,उसका हिसाब कर वहाँ से निकल लिए। यहाँ से रुद्रनाथ जाने का रास्ता 200-300 मीटर आगे से शुरू होता है । वहां पहुँचकर एक जगह साइड में कार पार्क कर दी ,साथ ही गौरव ने अपनी मोटर साइकिल भी वही खड़ी कर दी , हमने अपना-2 एक छोटा पिठ्ठू बैग तैयार कर बाकि का सारा सामन गाड़ी में भर दिया और चल दिए भोले नाथ के द्वारे ।

जहाँ से रुद्रनाथ जी की ट्रैकिंग शुरू होती है ,वहाँ एक छोटा सा द्वार बना हुआ है। समय चेक किया ,सुबह के ठीक 9 बजे थे । हम अपने तय समय से कम से कम दो घंटे लेट थे ।प्रोग्राम के अनुसार हमें रात को सगर पहुँच अगले दिन सुबह सुबह ट्रैकिंग शरू करनी थी और नाश्ता पुंग बुग्याल में करना था लेकिन हम रात को यहाँ से बहुत दूर थे । खैर भगवान जो करता है , अच्छा ही करता है । सगर से ट्रैकिंग देर से शुरू करने के कारण मैंने आज का लक्ष्य पञ्च गंगा से घटाकर पनार (12 कि.मी.) तक कर दिया था। द्वार से भोले नाथ को प्रणाम कर अपनी नई मंजिल रुद्रनाथ की ओर चल दिए, जिसके दर्शनों के लिए ही इस पूरी यात्रा का ताना बाना बुना गया था। शुरू का रास्ता गाँव से ही है ,थोड़ा आगे चलते ही रास्ता दो हिस्सों में बंट जाता है । बड़ा रास्ता सीधा आगे जा रहा है और दायीं तरफ एक छोटा सा रास्ता । हम यहीं खड़े हो गए और सोचने लगे की किधर जाएँ । हमें वहाँ रुका देखकर एक अम्मा ने इशारा कर दिया की दायीं तरफ मुड़ना है । हम दायीं तरफ मुड़ गए, आगे जाकर एक पत्थर पर रुद्रनाथ लिखा हुआ भी मिल गया जिससे मालूम हो गया की हम सही दिशा में जा रहे हैं । चढ़ाई शुरू से ही तीखी है इसलिए हमारा शुरू में ही साँस फूलने लगा। थोड़ी देर में हम गाँव पार कर चुके थे.

अब खड़ी चढ़ाई के रास्ते में दोनों ओर खेत , कहीं कहीं घर और छानियां भी हैं। खेतों में काम करती गाँव की औरतें तो कई मिली लेकिन कोई भी पुरुष नहीं। हम पांचों में से किसी के पास भी ट्रैकिंग स्टिक नहीं थी ,देसी लोग ठहरे । धीरे –धीरे सभी ने डंडों का जुगाड़ कर लिया और अपनी राह पर चलते रहे । लगभग लगातार एक घंटा चलने के बाद यात्रा के पहले विश्राम स्थल पहुँचे । यह यात्री विश्राम जिला पंचायत, चमोली द्वारा निर्मित है और इस जगह का नाम चांदकोट है। यहाँ पक्का चबूतरा बना है और साथ ही गाँव के एक नेगी की दुकान है जहाँ पर चाय, बिस्कुट, मैगी ,बुरांश के जूस से लेकर दाल-भात और लोगों के लिए रुकने तक का इंतजाम है। यहाँ पानी का एक नल भी है। यहाँ साफ सुथरी जगह देखकर हम आराम के लिए रुक गए । दुकान वाले ने चाय के लिए पूछा ,मना कर दिया । कैमरा लेकर इधर उधर की फोटो खींचने लगे । कुछ साथी सुस्ताने के लिए लेट गए । एक छोटी सी प्यारी चिड़िया की फोटो लेने की कोशिश करते रहे लेकिन फ्रेम में नहीं आ रही थी जैसे ही फोटो क्लिक करते उड़ कर दूसरी झाड़ी में चली जाती । काफी देर बाद जब फ्रेम में आई ,फोटो खिंची तो मुंह पीछे मोड़ लिया । यहाँ थोड़ी देर आराम करने के बाद सबने बुरांश का जूस पिया और आगे की यात्रा के लिए निकल पड़े।

सगर जहां 1700 मीटर की ऊंचाई पर है वही चांदकोट 2020 मीटर से कुछ अधिक यानी 2 किलोमीटर में 320 मीटर की चढ़ाई ! यकीनन तीखी चढ़ाई है। चांदकोट का विश्राम स्थल गाँव की सीमा पर है,खेत यहीं ख़त्म हो जाते हैं और उससे आगे जंगल शुरू हो जाता है।

चांदकोट से जैसे जैसे आगे जाते रहे ,जंगल घना होता गया ,खड़ी चढ़ाई है, बस ऊपर चढ़ते जाओ और चढ़ते जाओ। कहीं पर 50 कदम का भी सीधा रास्ता नहीं है । अब रास्ते के इर्द दाएं-बाएं सिर्फ बड़े-बड़े पेड़ हैं, खेत खलियान सब खत्म हो चुके हैं। रास्ता बना हुआ है भटकने की कोई गुंजाइश नहीं।कई जगह बड़े-बड़े पत्थरों को जोड़कर सीढ़ियां बनाई हुई हैं जिन पर चढ़ना कठिन है। इस निर्जन जंगल में सब धीरे धीरे चल रहे हैं सांस फूलता है- खड़े-खड़े आराम करते हैं, फिर आगे चल पड़ते हैं । अभी बहुत दूर जाना है कई मंजिलें तय करनी है लेकिन अभी हमारा अगला लक्ष्य  पुंग बुग्याल है जो चांदपुर से 2 किलोमीटर आगे है। हम लगभग सभी एक साथ ही चल रहे हैं और लगभग 1 घंटा चलने के बाद अचानक पुंग बुग्याल हमारे सामने आ जाता है। एक बैनर पर लिखा पुंग बुग्याल हमारा स्वागत करता है। पुंग बुग्याल नीचे से दिखाई नहीं देता अचानक ही सामने आता है , जैसे किसी बड़े भवन में ढेर सारी सीढ़ियां चढ़ने के बाद अचानक से बड़ी सी छत सामने आ जाए। हमारा आज का पहला लक्ष्य प्राप्त हो जाने से हम सब खुश हैं । सुबह के ग्यारह बज चुके है और पिछले दो घंटे में हम 1700 मीटर (सगर) से 2285 मीटर (पुंग बुग्याल) पर आ चुके हैं ।


अभी बस इतना ही ..बाकि  अगले पार्ट में, तब तक आप यहाँ तक की तस्वीरें देखिये ।

इस यात्रा के पिछले भाग पढ़ने के लिए नीचे लिंक उपलब्ध हैं ।
दूसरा भाग : कार्तिक स्वामी   


रुद्रनाथ की यात्रा यहीं से शुरू होती है 
यात्रा शुरू की एक फोटो तो बनती है 

सगर गाँव से दिख रही घाटी 

चांदकोट
चांदकोट


यही चिड़िया है ..फोटो खिंची तो मुंह फेर लिया 



बुरांस का जूस 

सुखविंदर 


हीरो हीरालाल 

सागर और गौरव 
















शुरू में ऐसा रास्ता है ...पक्का बना हुआ 




खेत में काम करते हुए फोन पर जरूरी बात 






शायद अपने भार से ज्यादा भार उठाये गाँव की औरतें 
इसका नाम बताओ तो अगली बार रुद्रनाथ यात्रा पर साथ चलना 
फाइव स्टार सुविधा यहाँ उपलब्ध है 
पुंग बुग्याल
पुंग बुग्याल में पुरानी छानी 
पुंग बुग्याल

चांद्कोट और सगर के ठीक बीच में 


चाँद कोट का GPS डाटा

 
                                                                 पुंग बुग्याल का GPS डाटा 

39 comments:

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    1. धन्यवाद अनिल भाई .जय भोले नाथ .

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  2. जय हो बहुत सुंदर लेखन गजब मजा आ गया

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    1. धन्यवाद अमित भाई .संवाद बनाये रखिये .

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  3. Sehgal ji agli baar jab bhi udhar jayenge to hri mirch ki bori sath le chalenge.. Apna bhi kaam chal jayega aur baki bech kar tour ka kharcha bhi nikal aayega... Jai bholenath

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    1. अरे वाह ..क्या आईडिया दिया है .बस अगली बार हरी मिर्च की बोरी तैयार रखना .

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  4. वाह उस्ताद वाह .ढेर सारी सुन्दर तस्वीरों ने मन मोह लिया ,ऊपर से विस्तृत जानकारी .10 /10
    यहाँ जाने वाले किसी भी यात्री के खूब काम आएँगी .

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    1. धन्यवाद संजीव जी .किसी यात्री के काम आये तो लिखना सफल हुआ .

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  5. उम्दा शुरुआत..बेहतरीन पोस्ट । बढिया तस्वीरें और पुंग बुग्याल की फोटो तो लाजवाब है।

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  6. सुन्दर तस्वीरों एवं जानकारी से भरी बढ़िया पोस्ट .जय रुद्रनाथ .

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    1. धन्यवाद राज जी ।जय रुद्रनाथ ।

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  7. बहुत बढ़िया भाई जी,,👍👍🙏
    वैसे सच मे धर्मपत्नी जी हि साथ थी कोई औऱ नही😂😂😂😂

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    1. धन्यवाद अजय भाई । जी भाभी जी का मालूम था बस आपके थोड़े मजे ले लिए ।😊😊💐

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  8. बहुत बढ़िया भाई जी,,👍👍🙏
    वैसे सच मे धर्मपत्नी जी हि साथ थी कोई औऱ नही😂😂😂😂

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  9. बहुत बढ़िया रोचक विवरण !
    जय बाबा भोलेनाथ

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    1. धन्यवाद पाण्डेय जी ।
      जय रुद्रनाथ ।

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  10. बहुत बढिया यात्रा वृत्तांत..
    हर हर महादेव

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    1. धन्यवाद सचिन जी ।
      जय रुद्रनाथ ।

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  11. श्री रुद्रनाथ विजयते😊💐💐 जारी रखिये

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    1. धन्यवाद मिश्रा जी ।
      जय रुद्रनाथ ।

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  12. बहुत शानदार यात्रा चल रही है
    जय भोलेनाथ जी की.

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  13. धन्यवाद । जय भोलेनाथ जी की ।

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  14. रुद्रनाथ हमें नंदीकुंड से मानपाई बुग्याल जाते हुए दूसरी पहाड़ी पर दिखाई दे रहा था , और उसे देखकर मन हो रहा था कि एक बार उधर जाना ही है। आपने सरल तरीके से सब कुछ समझा दिया , अब देखिये बाबा कब बुलाते हैं !!

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  15. बढ़िया यात्रा और खूबसूरत चित्र । लगता है ट्रेक कुछ कठीन जान पड़ रहा है, चित्र अच्छे लगे

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    1. धन्यवाद रीतेश जी .

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  16. मजेदार यात्रा चल रही है, पुंग बुग्याल ज्यादा बड़ा नहीं है क्या ? फोटो में तो छोटा ही लग रहा है बाकि ये मोबाइल के एप्प का नाम व्हाट्स एप्प पर बता देंगे तो मुझे सुविधा रहेगा, ये ऑफलाइन भी काम करता है क्या ?

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  17. धन्यवाद प्रदीप जी .पुंग बुग्याल ज्यादा बड़ा नहीं है लेकिन बिलकुल छोटा भी नहीं है .यह चारों तरफ जंगल से घिरा बेहद सुन्दर लगता है .

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  18. बहुत ही सरल और आसान भाषा मे सारा विवरण देना नरेश तुम्हारी खासियत हैं । तुम्हारे जरिये हम भी बाबा रुद्रनाथ के दर्शन कर धन्य हो गए👏

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    1. धन्यवाद बुआ जी .जय भोले नाथ .

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  19. बहुत खूब नरेश जी...

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    1. धन्यवाद बीनू भाई ..

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  20. urgam kalpeswar se rudrnaath ka trak bi badiya h or urgam to nandikund pandavsera badni taal hote hoye raansi se madhaheswar kaafi sundar trk rut h ...

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    1. Thanks Vinod ji. indeed Both trek are beautiful

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  21. Sangeeta BalodiJune 07, 2018 5:08 pm

    बहुत ही सुंदर वर्णन

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  22. Please give your phone no.&is stay&food available in planar&pitradhar in October month?

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