Friday, 26 June 2020

Ancient Shiv Temple - Lakhamandal

                                    शिव मंदिर लाखामंडल

पिछले वर्ष जून के महीने लगभग इन्ही दिनों सपरिवार यमुनोत्री –गंगोत्री जाने का प्रोग्राम बना । मैं तो पहले भी एक बार यमुनोत्रीगंगोत्री जा चूका था लेकिन परिवार के साथ इन स्थानों पर यह मेरी पहली यात्रा थी । 2018 की गर्मियों में जब परिवार के साथ बद्रीनाथ जी की यात्रा की थी, तब बच्चे वहाँ जाकर बड़े खुश हुए थे । बड़े –बड़े पहाड़ों, गहरी घाटियों ,सड़क के साथ बहती नदी , जगह-जगह बहते झरने को एकदम पास से देखना उनके लिए बेहद रोमांचकारी था। पूरे सफ़र का सबने खूब आनंद लिया था । ये सब इस सफ़र में भी फिर से देखेंगे , यही सोचकर सभी बेहद उत्साहित थे ।

[लाखामंडल मंदिर]
लाखामंडल मंदिर

                                                                   

Monday, 9 December 2019

Trek to Mysterious Khait Parvat



रहस्यों से भरा उत्तराखंड का खैट पर्वत 

परियों की कहानियां बचपन में तो आपने जरूरी पढ़ी और सुनी होगी। इंसानों से इनके प्रेम के किस्से भी पहाड़ों पर खूब सुनाए जाते हैं। किस्सों की दुनिया से आगे निकलते हुए एक ऐसी जगह की ओर चलते हैं जहां आज भी लोग परियों और वनदेवियों को देखने का दावा करते हैं।मैं बात कर रहा हूँ टिहरी जिले में स्थित खैट पर्वत के शिखर पर मौजूद खैटखाल नाम के मंदिर की । इसकी जानकारी मुझे लगभग एक साल पहले एक टीवी प्रोग्राम से हुई । न्यूज़ 18 चैनल के एक प्रोग्राम “आधी हकीकत आधा फ़साना” में भी इसके बारे विस्तार से दिखाया गया था ,जिसे आप इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं । 

खैटखाल मंदिर

Wednesday, 31 July 2019

Sarnath - The Land of Buddha

सारनाथ
कल बनारस घूमने में काफी भाग दौड़ हुई थी। काशी विश्वनाथ से काल भैरव फिर BHU ,तुलसी मानस ,संकट मोचन ,वैष्णो माता मंदिर आदि-आदि और आखिर में रात को गँगा आरती । रात को कमरे पर वापिस आने और खा पीकर सोने में काफी लेट भी हो चुके थे इसलिए आज सुबह हम सब आराम से उठे । आज शाम को हमारी अम्बाला के लिए वापसी की ट्रेन थी लेकिन उससे पहले आज सुबह हम सारनाथ जाना चाहते थे। सारनाथ, बनारस से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर है । भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था । यहाँ महात्मा बुद्ध को समर्पित कई मंदिर हैं जिन्हें आप आधा दिन में आराम से घूम सकते हैं । सुबह नाश्ते का काम निपटा कर अपना सारा सामान पैक किया ताकि बाद में वापिस आने पर समय न लगे । सारा सामान लेकर केयर टेकर के पास जमा करवा दिया और रूम खाली कर दिया । गेस्ट हाउस से बाहर आकर सारनाथ जाने के लिए एक ऑटो बुक कर लिया और लगभग आधे घंटे की यात्रा के बाद हम सारनाथ पहुँच गए ।

भगवान बुद्ध 

Friday, 12 July 2019

Famous temples in Varanasi


वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिर :
बाबा विश्वनाथ और माँ अन्नपूर्णा के दर्शन और नाव से काशी के घाटों पर घूमते-2 दोपहर के 1 बज गए थे । इसके बाद हम वाराणसी के अन्य प्रमुख मंदिरों में घूमना चाहते थे और चूँकि अधिकतर मंदिर दोपहर को बंद हो जाते हैं तो हमारी कोशिश थी बंद होने से पहले कम से कम एक –दो मंदिर तो देख ही लें । वैसे तो काशी में इस समय लगभग 1500 मंदिर हैं, जिनमें से बहुतों की परंपरा इतिहास के विविध कालों से जुड़ी हुई है। इनमें से कुछ जैसे विश्वनाथ, संकटमोचन, काल भैरव, विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्थित नया विश्वनाथ मंदिर ,तुलसी मानस और दुर्गा माता के मंदिर भारत भर में प्रसिद्ध हैं।

त्रिदेव मंदिर

Friday, 28 June 2019

Kashi Vishwanath Temple - Varanasi


काशी विश्वनाथ मंदिर- वाराणसी

दिसम्बर 2014 का आख़िरी सप्ताह, रात के 11-12 बजे का समय । कड़ाके की ठण्ड के बीच सर्द कोहरे  और शीत लहर में ठिठुरते मैं और मेरा दोस्त सुशील मल्होत्रा , अम्बाला रेलवे स्टेशन पर, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी जाने के लिए बेगमपुरा एक्सप्रेस का इन्तजार कर रहे थे । साथी तो हमारे साथ एक और भी था लेकिन वो मजे से खराटे मारते हुए सो रहा था। वो समझदार ,घर से ही ठण्ड से बचने और अच्छी नींद के लिए बूढ़े साधू की “दो-तीन खुराक” लेकर आया था । अपने साथी को दीन-दुनिया से बेख़बर, छोटे-बड़े ,ऊँचे-नीचे बैगों के बिस्तर पर निश्चिन्तता से सोते देखकर उसकी ली हुई “खुराक” के प्रति मेरे मन में श्रद्धा का भाव जागृत हो रहा था। इस खुराक को आज तक हेय दृष्टि से देखने वाला मन आज केजरीवाल बन रहा था ,मतलब यू टर्न ले रहा था । मन ही मन सोच रहा था कि बूढ़े साधू की कृपा से मुझे भी आज एक खुराक मिल जाये तो अच्छी नींद आ जाये लेकिन हमारे भाग्य में आज सिर्फ़ चाय की खुराक ही लिखी थी ।
 

Thursday, 16 May 2019

Manikaran - Himachal

मणिकर्ण- MANIKARAN
खीर गंगा ट्रैक  से वापिस बरशैणी पहुँचते-2 शाम के 6 बज चुके थे । आज 20 किलोमीटर से ज्यादा आना – जाना हो गया था इसलिए हम सभी काफी थके हुए थे। एक दुकान में हल्का खाना-पीना किया और फिर अपनी गाड़ी में सवार हो मणिकर्ण की तरफ़ चल दिए । 

श्रीरघुनाथ मंदिर, नैना भगवती मंदिर और श्री राम मंदिर एक साथ

Wednesday, 8 May 2019

Trek to Kheer Ganga


खीर गंगा ट्रैक, हिमाचल

नवम्बर-2018 में हिमाचल में शिकारी देवी और कमरुनाग ट्रैक पर जाने के बाद पिछले 4-5 महीनो में हिमालय जाने का कोई प्रोग्राम नहीं बन पाया। इस दौरान तीन यात्रायें तो हुई लेकिन सभी मैदानी इलाकों में ,इसीलिए फिर से हिमालय जाने की बड़ी इच्छा हो रही थी । काफी जगह दिमाग में आई जिसमे हिमाचल में चुडधार और करेरी लेक मुख्य थी ,लेकिन इस वर्ष ज्यादा बर्फ़बारी होने से इन जगह पर जाना अभी भी मुमकिन नहीं था। आख़िरकार हिमाचल के खीर गंगा ट्रैक पर चलने का फाइनल हुआ। मेरे साथ सुशील और सुखविंदर जाने वाले थे । इसी फरवरी में की गयी प्रयाग राज कुम्भ और अयोध्या यात्रा में भी ये दोनों साथ ही थे।  18 अप्रैल को सुबह निकलने का फाइनल किया और तय दिन सुबह 8:30 बजे हम तीनो अम्बाला से हिमाचल की ओर निकल पड़े।

खीरगंगा

Thursday, 25 April 2019

A journey to Ayodhya -The Holy City

राम जन्मभूमि अयोध्या

पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि प्रयागराज कुम्भ में स्नान करने और दो दिन बिताने के बाद अगले दिन सुबह जल्दी से उठकर सब तैयार हो गए। आज हमें राम लल्ला के दर्शन हेतु राम जन्म भूमि अयोध्या जाना था । प्रयागराज से अयोध्या की सड़क मार्ग से दुरी लगभग 170 किमी है और लगभग पाँच घंटे सफ़र में लग ही जाते हैं, इसलिये सुबह-सुबह ही डाक्टर साहब से विदा ली और बस स्टैंड के लिए रवाना हो गए । कुम्भ क्षेत्र से ही हमें बस स्टैंड जाने के लिए एक ऑटो रिक्शा मिल गया और हम 15-20 मिनट में बस स्टैंड पहुँच गए । बस स्टैंड पहुँचकर सबसे पहले नाश्ते का काम निपटाया और फिर अयोध्या जाने वाली बस में सब सवार हो गए ।

तुलसी चौरा

Monday, 15 April 2019

Prayagraj Kumbh Mela 2019 : The Sacred Fair

प्रयागराज कुम्भ यात्रा-2019
आस्था, विश्वास, सौहार्द एवं संस्कृतियों के मिलन का पर्व है कुम्भ। ज्ञान, चेतना और उसका परस्पर मंथन कुम्भ मेले का वो आयाम है जो आदि काल से ही हिन्दू धर्मावलम्बियों की जागृत चेतना को बिना किसी आमन्त्रण के खींच कर ले आता है। कुम्भ पर्व किसी इतिहास निर्माण के दृष्टिकोण से नहीं शुरू हुआ था अपितु इसका इतिहास समय द्वारा स्वयं ही बना दिया गया। वैसे भी धार्मिक परम्पराएं हमेशा आस्था एवं विश्वास के आधार पर टिकती हैं न कि इतिहास पर। यह कहा जा सकता है कि कुम्भ जैसा विशालतम् मेला संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए ही आयोजित होता है। किसी उत्सव के आयोजन में भारी जनसम्पर्क अभियान, प्रोन्नयन गतिविधियां और अतिथियों को आमंत्रण प्रेषित किये जाने की आवश्यकता होती है, जबकि कुंभ विश्व में एक ऐसा पर्व है जहाँ कोई आमंत्रण अपेक्षित नहीं होता है तथापि करोड़ों तीर्थयात्री इस पवित्र पर्व को मनाने के लिये एकत्र होते हैं।
 

Wednesday, 30 January 2019

Trek to Kamrunag Lake, Rohanda


कमरुनाग यात्रा- हिमाचल
पिछली पोस्ट : शिकारी देवी

शिकारी देवी की यात्रा के बाद हम लोग वापिस जन्जैहली आ गए और बिना रुके  थुनाग, बगस्याड और कांडा होते हुए चैल-चौक पहुँच गए । यहाँ एक टी-ब्रेक के बाद अपनी अगली मंजिल रोहांडा की तरफ चल दिए। चैल-चौक से रोहांडा लगभग 28 किलोमीटर दूर है और सड़क शानदार बनी हुई है । शाम लगभग 4:30 बजे हम रोहांडा पहुँच गये । रोहांडा एक छोटा सा गाँव है और सुंदरनगर से करसोग आने- जाने वाली बसों का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है । कार एक साइड में खड़ी कर हम जगह का जायजा करने के लिए नीचे उतर आये । दायें हाथ पर ऊपर की तरफ मुझे एक फारेस्ट गेस्ट हाउस का बोर्ड दिखाई दिया। अभी कुछ सप्ताह पहले ही हम दोनों चकराता के पास घने वन के बीचों-बीच एक शानदार लोकेशन पर बने बुधेर फारेस्ट हाउस में रुके थे इसलिए फारेस्ट हाउस का बोर्ड देखकर कदम रुक नहीं पाए और मैं उस तरफ कमरे के बारे में पूछने के लिए चल दिया और सुखविंदर सामने गुप्ता ढाबे की तरफ सिगरेट की तलाश में।

देव कमरुनाग मंदिर